tag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post1742035261747407397..comments2023-06-30T02:55:42.951-07:00Comments on acharya astro: acharya astro: acharya astro:acharya astrohttp://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comBlogger447125tag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-26513004738651613762018-10-05T19:37:13.539-07:002018-10-05T19:37:13.539-07:00Horoscope, astrology, live astro, online jyotish, ...Horoscope, astrology, live astro, online jyotish, live astro, live chat, family pandit, garh shanti, varshaphala, kundly, matchmaking, love marriage, problem solution, havan, lagan, muhurat, dasha, future, hitech astrology, mobile astrologer, Talk Live free advice,www.jyotishseva.com<br /><br />Dhaniram astrologerhttps://www.blogger.com/profile/05328546319850281326noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-34047366772676130372018-10-05T19:35:59.128-07:002018-10-05T19:35:59.128-07:00Horoscope, astrology, live astro, online jyotish, ...Horoscope, astrology, live astro, online jyotish, live astro, live chat, family pandit, garh shanti, varshaphala, kundly, matchmaking, love marriage, problem solution, havan, lagan, muhurat, dasha, future, hitech astrology, mobile astrologer, Talk Live free advice,www.jyotishseva.com<br /><br />Dhaniram astrologerhttps://www.blogger.com/profile/05328546319850281326noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-50648361101728386662018-10-05T19:07:13.079-07:002018-10-05T19:07:13.079-07:00बहुत उपयोगी उपाय।
शनि, राहु और केतु से बचाव का तरी...बहुत उपयोगी उपाय।<br />शनि, राहु और केतु से बचाव का तरीका एवं प्रसन्न<br />करने के खास उपाय...<br />शनि के अनुचर हैं राहु और केतु। शरीर में इनके स्थान<br />नियुक्त हैं। सिर राहु है तो केतु धड़। यदि आपके गले<br />सहित ऊपर सिर तक किसी भी प्रकार की गंदगी या<br />खार जमा है तो राहु का प्रकोप आपके ऊपर मँडरा<br />रहा है और यदि फेफड़ें, पेट और पैर में किसी भी प्रकार<br />का विकार है तो आप केतु के शिकार हैं। राहु और केतु<br />की भूमिका एक पुलिस अधिकारी की तरह है जो<br />न्यायाधीश शनि के आदेश पर कार्य करते हैं। शनि का<br />रंग नीला, राहु का काला और केतु का सफेद माना<br />जाता है। शनि के देवता भैरवजी हैं, राहु की<br />सरस्वतीजी और केतु के देवता भगवान गणेशजी है। शनि<br />का पशु भैंसा, राहु का हाथी और काँटेदार जंगली<br />चूहा तथा केतु का कुत्ता, गधा, सुअर और छिपकली है।<br />शनि का वृक्ष कीकर, आँक व खजूर का वृक्ष, राहु का<br />नारियल का पेड़ व कुत्ता घास और केतु का इमली का<br />दरख्त, तिल के पौधे व केला है। शनि शरीर के दृष्टि,<br />बाल, भवें, हड्डी और कनपटी वाले हिस्से पर, राहु सिर<br />और ठोड़ी पर और केतु कान, रीढ़, घुटने, लिंग और जोड़<br />पर प्रभाव डालता है।<br />राहु की मार : यदि व्यक्ति अपने शरीर के अंदर<br />किसी भी प्रकार की गंदगी पाले रखता है तो उसके<br />ऊपर काली छाया मंडराने लगती है अर्थात राहु के<br />फेर में व्यक्ति के साथ अचानक होने वाली घटनाएँ बढ़<br />जाती है। घटना-दुर्घटनाएँ, होनी-अनहोनी और<br />कल्पना-विचार की जगह भय और कुविचार जगह बना<br />लेते हैं। राहु के फेर में आया व्यक्ति बेईमान या<br />धोखेबाज होगा। राहु ऐसेव्यक्ति की तरक्की रोक<br />देता है। राहु का खराब होना अर्थात् दिमाग की<br />खराबियाँ होंगी, व्यर्थ के दुश्मन पैदा होंगे, सिर में<br />चोट लग सकती है। व्यक्ति मद्यपान या संभोग में<br />ज्यादा रत रह सकता है। राहु के खराब होने से गुरु भी<br />साथ छोड़ देता है। राहु के अच्छा होने से व्यक्ति में<br />श्रेष्ठ साहित्यकार, दार्शनिक,वैज्ञानिक या फिर<br />रहस्यमय विद्याओं के गुणों का विकास होता है।<br />इसका दूसरा पक्ष यह कि इसके अच्छे होने से राजयोग<br />भी फलित हो सकता है। आमतौर पर पुलिस या<br />प्रशासन में इसके लोग ज्यादा होते हैं।<br />केतु की मार : जो व्यक्ति जुबान और दिल से गंदा है<br />और रात होते ही जो रंग बदल देता है वह केतु का<br />शिकार बन जाता है। यदि व्यक्ति किसी के साथ<br />धोखा, फरेब, अत्याचार करता है तो केतु उसके पैरों से<br />ऊपर चढ़ने लगता है और ऐसे व्यक्ति के जीवन की<br />सारी गतिविधियाँ रुकने लगती है। नौकरी, धंधा,<br />खाना और पीना सभी बंद होने लगता है। ऐसा<br />व्यक्ति सड़क पर या जेल में सोता है घर पर नहीं।<br />उसकी रात की नींद हराम रहती है, लेकिन दिन में<br />सोकर वह सभी जीव<br /><br />Dhaniram astrologerhttps://www.blogger.com/profile/05328546319850281326noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-81218752976218497192017-03-29T19:15:24.313-07:002017-03-29T19:15:24.313-07:00जब कहिँ नही हो काम ; तो यहा से ले समाधान आपकी समस्...जब कहिँ नही हो काम ; तो यहा से ले समाधान आपकी समस्या का समाधान स्पेसलिस्ट: किया-कराया, प्रेम-विवाह, सौतन दुख, व्यापार, गृहक्लेश, दुश्मन से छुटकारा, वशीकरण, खुशहाल एवं प्रसन्नचित रहें, गृहक्लेश, व्यापारिक समस्या,विवाह में रुकावट, ऋण होना, ऊपरी समस्या, कुण्डली दोष, पति-पत्नी अनबन,प्रेम संबंधी, दुश्मनों से छुटकारा,मनचाहा प्यार प्रेमविवाह ,रूठे प्रेमी को मानना ,शादी के लिए माता पिता को मानना प्रेमी वशीकरण ,प्रेमिका वशीकरण पति -पत्नी वशीकरण सोतन मुक्ति दुसमन मुक्ति आपके जीवन की हरमुस्किल से मुस्किल समस्याओ का पक्का समाधान किया जायेगा जेसे :-मनचाहा वशीकरण १०१ % पक्का समाधान किया जायेगा एक बार संपर्क करो आपका जीवन ही बदल जायेगाacharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-41421074192323107392017-03-29T19:14:25.888-07:002017-03-29T19:14:25.888-07:00जब कहिँ नही हो काम ; तो यहा से ले समाधान आपकी समस्...जब कहिँ नही हो काम ; तो यहा से ले समाधान आपकी समस्या का समाधान स्पेसलिस्ट: किया-कराया, प्रेम-विवाह, सौतन दुख, व्यापार, गृहक्लेश, दुश्मन से छुटकारा, वशीकरण, खुशहाल एवं प्रसन्नचित रहें, गृहक्लेश, व्यापारिक समस्या,विवाह में रुकावट, ऋण होना, ऊपरी समस्या, कुण्डली दोष, पति-पत्नी अनबन,प्रेम संबंधी, दुश्मनों से छुटकारा,मनचाहा प्यार प्रेमविवाह ,रूठे प्रेमी को मानना ,शादी के लिए माता पिता को मानना प्रेमी वशीकरण ,प्रेमिका वशीकरण पति -पत्नी वशीकरण सोतन मुक्ति दुसमन मुक्ति आपके जीवन की हरमुस्किल से मुस्किल समस्याओ का पक्का समाधान किया जायेगा जेसे :-मनचाहा वशीकरण १०१ % पक्का समाधान किया जायेगा एक बार संपर्क करो आपका जीवन ही बदल जायेगा call 9872414003acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-48453942438862944182016-02-24T17:09:35.226-08:002016-02-24T17:09:35.226-08:00https://twitter.com/jyotishseva1https://twitter.com/jyotishseva1acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-32715098281525856982015-12-24T21:44:14.111-08:002015-12-24T21:44:14.111-08:00कई बार घर में पैसे और अन्य किस्म की सारी सुविधाएं ...कई बार घर में पैसे और अन्य किस्म की सारी सुविधाएं होने के बावजूद भी क्लेश खत्म नहीं होता। इसके पीछे की वजह वास्तुदोष हो सकता है हालांकि वास्तुशास्त्र पर कुछ लोग यकीन करते हैं तो कुछ नहीं। आज हम आपको वास्तुदोष से जुड़ी ऐसी बातें बताते हैं जिनकी वजह से गृह क्लेश होता है। अगर इन सब का ख्याल रखा जाएं तो क्लह-क्लेश से छुटकारा पाया जा सकता है।<br /><br />इन बातों का खास तौर पर जरूर रखें ध्यान <br /><br />- रसोईघर अगर दक्षिण-पूर्व में और बैडरूम दक्षिण-पश्चिम में बच्चों का बैडरूम उत्तर-पश्चिम में और शौचालय आदि दक्षिण में नहीं हैं तो यह घर में लड़ाई झगड़े का कारण बनता है। <br /><br />- घर का दरवाजा और खिड़कियां पूर्व या उत्तर में हो। <br /><br />- दरवाजे बंद करते या खोलते समय आवाज न हो।<br /><br />- पूजा के लिए ईशान कोण हो या भगवान का मुख ईशान में हो।<br /><br />- उत्तर या पूर्व में तुलसी का पौधा लगाएं। <br /><br />- पूर्वजों के फोटो पूजाघर में न रखें, दक्षिण की दीवार पर लगाएं। <br /><br />- शाम को घर में सांध्यदीप जलाएं और आरती करें। <br /><br />- इष्टदेव का ध्यान और पूजन अवश्य करें। <br /><br />- भोजन के बाद झूठे थाली लेकर अधिक देर तक न बैठें। न ही झूठें बर्तन देर तक सिंक में रखें। <br /><br />- घर का प्रवेश द्वार पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए। प्रवेश द्वार के समक्ष सीढियाॅ व रसोई नहीं होनी चाहिए । प्रवेश द्वार भवन के ठीक बीच में नहीं होना चाहिए। भवन में तीन दरवाजे एक सीध में न हो । <br /><br />- भवन में कांटेदार वृक्ष व पेड़ नहीं होने चाहिए ना ही दूध वाले पोधे-कनेर, आॅकड़ा केक्टस आदि। इनके स्थान पर सुगन्धित एवं खूबसूरत फूलों के पौधे लगाए।<br /><br />- घर में युद्ध के चित्र, बन्द घड़ी, टूटे हुए काॅच, तथा शयन कक्ष में पलंग के सामने दर्पण या ड्रेसिंग टेबल नहीं होनी चाहिए । <br /><br />- मुख्य द्वार पर मांगलिक चिन्ह जैसे स्वास्तिक, ऊँ आदि अंकित करने के साथ-साथ गणपति लक्ष्मी या कुबेर की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए । <br /><br />- मुख्य द्वार के सामने मन्दिर नहीं होना चाहिए । मुख्य द्वार की चैड़ाई हमेशा ऊंचाई की आधी होनी चाहिए । <br /><br />- मुख्य द्वार के समक्ष वृक्ष, स्तम्भ, कुआं तथा जल भण्डारण नहीं होना चाहिए । द्वार के सामने कूड़ा कर्कट और गंदगी एकत्र न होने दे यह अशुभ और दरिद्रता का प्रतिक हैं ।<br /><br />- घर का प्लास्टर उखड़ा हुआ नहीं होना चाहिए चाहे वह आंगन का हो, दीवारों का या रसोई अथवा शयनकक्ष का। दरवाजे एवं खिड़किया भी क्षतिग्रस्त नहीं होनी चाहिए। मुख्य द्वार का रंग काला नहीं होना चाहिए। अन्य दरवाजों एवं खिडकी पर भी काले रंग के इस्तेमाल से बचें।<br /><br />- धनलाभ हेतु जेवर, चेक बुक, केश बुक, ए.टी.एम. कार्ड, शेयर आदि सामग्री अलमारी में इस प्रकार रखें कि अलमारी प्रयुक्त करने पर उसका द्वार उत्तर दिशा में खुले। अलमारी का पिछवाड़ा दक्षिण दिशा में होना चाहिए ।<br /><br />अगर घर में गृह क्लेश हैं तो ऊपर दिए गए बातों की तरफ गौर करें।acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-15840746493896332692015-12-01T16:49:00.677-08:002015-12-01T16:49:00.677-08:00शनि ग्रह के अनुसार, साल 2016 आपके लिए कैसा रहेगा? ...शनि ग्रह के अनुसार, साल 2016 आपके लिए कैसा रहेगा? इस राशिफल के माध्यम से आप जान पाएंगे इस साल उसके साथ क्या अच्छा होगा या कहां कब आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। <br />ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को न्याय का देवता माना गया है क्योंकि मनुष्यों को उनके अच्छे-बुरे कर्मों का दंड शनिदेव ही देते हैं। साल 2016 में शनि वृश्चिक राशि में चलायमान रहेगा। तुला, वृश्चिक व धनु राशि पर शनि की साढ़ेसाती व मेष, सिंह पर ढय्या का प्रभाव रहेगा। इस दौरान 25 मार्च से 13 अगस्त 2016 तक शनि की स्थिति वक्रीय रहेगी। जानिए साल 2016 में शनिदेव किस प्रकार आपकी राशि को प्रभावित करेंगे-<br />मेष राशि<br />साल 2016 में शनि वृश्चिक राशि में रहेगा। इस साल मेष राशि वालों पर शनि की ढय्या का प्रभाव रहेगा। आठवें स्थान की ढय्या विपरीत फल देने वाली रहेगी। काम-काज में रुकावटों व अड़चनों की स्थितियां बनेंगी। आठवें स्थान पर शनि होने से स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ सकता है। शत्रु आपको नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेंगे। पार्टनरशिप में नुकसान हो सकता है। व्यापार में अपनी सूझबूझ से आप मुनाफा बढ़ा लेंगे। किसी पर भी अधिक विश्वास न करें। <br />25 मार्च से 13 अगस्त 2016 के बीच शनि के वक्र स्थिति में रहने के कारण सर्जरी करवाने की स्थिति बन सकती है या फिर अन्य किसी कारण अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ सकते हैं। बॉस से किसी बात पर कहासुनी हो सकती है। किसी खास व्यक्ति से बिछड़ना हो सकता है। अपनी पूरी क्षमता व योग्यता का इस्तेमाल करने के बाद भी शनि की ढय्या के कारण परिणाम आशाजनक नहीं रहेंगे।<br />उपाय<br />1. सवा पांच रत्ती का नीलम या उपरत्न (नीली) सोना, चांदी या तांबे की अंगूठी में अभिमंत्रित करवा कर धारण करें।<br />2. शनि यंत्र के साथ नीलम या फिरोजा रत्न गले में लॉकेट की आकृति में पहन सकते हैं, यह उपाय भी उत्तम है।<br />3. किसी भी विद्वान ब्राह्मण से या स्वयं शनि के तंत्रोक्त, वैदिक मंत्रों के 23000 जाप करें या करवाएं। ये है शनि का तंत्रोक्त मंत्र-<br />ऊं प्रां प्रीं स: श्नैश्चराय नम:<br />4. शनिवार को व्रत रखें। चींटियों को आटा डालें।<br />5. जूते, काले कपड़े, मोटा अनाज व लोहे के बर्तन दान करें।<br />acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-7515273164342997402015-12-01T16:46:15.741-08:002015-12-01T16:46:15.741-08:00शनि ग्रह के अनुसार, साल 2016 आपके लिए कैसा रहेगा? ...शनि ग्रह के अनुसार, साल 2016 आपके लिए कैसा रहेगा? इस राशिफल के माध्यम से आप जान पाएंगे इस साल उसके साथ क्या अच्छा होगा या कहां कब आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। <br />ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को न्याय का देवता माना गया है क्योंकि मनुष्यों को उनके अच्छे-बुरे कर्मों का दंड शनिदेव ही देते हैं। साल 2016 में शनि वृश्चिक राशि में चलायमान रहेगा। तुला, वृश्चिक व धनु राशि पर शनि की साढ़ेसाती व मेष, सिंह पर ढय्या का प्रभाव रहेगा। इस दौरान 25 मार्च से 13 अगस्त 2016 तक शनि की स्थिति वक्रीय रहेगी। जानिए साल 2016 में शनिदेव किस प्रकार आपकी राशि को प्रभावित करेंगे-<br />मेष राशि<br />साल 2016 में शनि वृश्चिक राशि में रहेगा। इस साल मेष राशि वालों पर शनि की ढय्या का प्रभाव रहेगा। आठवें स्थान की ढय्या विपरीत फल देने वाली रहेगी। काम-काज में रुकावटों व अड़चनों की स्थितियां बनेंगी। आठवें स्थान पर शनि होने से स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ सकता है। शत्रु आपको नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेंगे। पार्टनरशिप में नुकसान हो सकता है। व्यापार में अपनी सूझबूझ से आप मुनाफा बढ़ा लेंगे। किसी पर भी अधिक विश्वास न करें। <br />25 मार्च से 13 अगस्त 2016 के बीच शनि के वक्र स्थिति में रहने के कारण सर्जरी करवाने की स्थिति बन सकती है या फिर अन्य किसी कारण अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ सकते हैं। बॉस से किसी बात पर कहासुनी हो सकती है। किसी खास व्यक्ति से बिछड़ना हो सकता है। अपनी पूरी क्षमता व योग्यता का इस्तेमाल करने के बाद भी शनि की ढय्या के कारण परिणाम आशाजनक नहीं रहेंगे।<br />उपाय<br />1. सवा पांच रत्ती का नीलम या उपरत्न (नीली) सोना, चांदी या तांबे की अंगूठी में अभिमंत्रित करवा कर धारण करें।<br />2. शनि यंत्र के साथ नीलम या फिरोजा रत्न गले में लॉकेट की आकृति में पहन सकते हैं, यह उपाय भी उत्तम है।<br />3. किसी भी विद्वान ब्राह्मण से या स्वयं शनि के तंत्रोक्त, वैदिक मंत्रों के 23000 जाप करें या करवाएं। ये है शनि का तंत्रोक्त मंत्र-<br />ऊं प्रां प्रीं स: श्नैश्चराय नम:<br />4. शनिवार को व्रत रखें। चींटियों को आटा डालें।<br />5. जूते, काले कपड़े, मोटा अनाज व लोहे के बर्तन दान करें।<br />acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-86067608922050159342015-12-01T16:45:45.481-08:002015-12-01T16:45:45.481-08:00शनि ग्रह के अनुसार, साल 2016 आपके लिए कैसा रहेगा? ...शनि ग्रह के अनुसार, साल 2016 आपके लिए कैसा रहेगा? इस राशिफल के माध्यम से आप जान पाएंगे इस साल उसके साथ क्या अच्छा होगा या कहां कब आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। <br />ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को न्याय का देवता माना गया है क्योंकि मनुष्यों को उनके अच्छे-बुरे कर्मों का दंड शनिदेव ही देते हैं। साल 2016 में शनि वृश्चिक राशि में चलायमान रहेगा। तुला, वृश्चिक व धनु राशि पर शनि की साढ़ेसाती व मेष, सिंह पर ढय्या का प्रभाव रहेगा। इस दौरान 25 मार्च से 13 अगस्त 2016 तक शनि की स्थिति वक्रीय रहेगी। जानिए साल 2016 में शनिदेव किस प्रकार आपकी राशि को प्रभावित करेंगे-<br />मेष राशि<br />साल 2016 में शनि वृश्चिक राशि में रहेगा। इस साल मेष राशि वालों पर शनि की ढय्या का प्रभाव रहेगा। आठवें स्थान की ढय्या विपरीत फल देने वाली रहेगी। काम-काज में रुकावटों व अड़चनों की स्थितियां बनेंगी। आठवें स्थान पर शनि होने से स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ सकता है। शत्रु आपको नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेंगे। पार्टनरशिप में नुकसान हो सकता है। व्यापार में अपनी सूझबूझ से आप मुनाफा बढ़ा लेंगे। किसी पर भी अधिक विश्वास न करें। <br />25 मार्च से 13 अगस्त 2016 के बीच शनि के वक्र स्थिति में रहने के कारण सर्जरी करवाने की स्थिति बन सकती है या फिर अन्य किसी कारण अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ सकते हैं। बॉस से किसी बात पर कहासुनी हो सकती है। किसी खास व्यक्ति से बिछड़ना हो सकता है। अपनी पूरी क्षमता व योग्यता का इस्तेमाल करने के बाद भी शनि की ढय्या के कारण परिणाम आशाजनक नहीं रहेंगे।<br />उपाय<br />1. सवा पांच रत्ती का नीलम या उपरत्न (नीली) सोना, चांदी या तांबे की अंगूठी में अभिमंत्रित करवा कर धारण करें।<br />2. शनि यंत्र के साथ नीलम या फिरोजा रत्न गले में लॉकेट की आकृति में पहन सकते हैं, यह उपाय भी उत्तम है।<br />3. किसी भी विद्वान ब्राह्मण से या स्वयं शनि के तंत्रोक्त, वैदिक मंत्रों के 23000 जाप करें या करवाएं। ये है शनि का तंत्रोक्त मंत्र-<br />ऊं प्रां प्रीं स: श्नैश्चराय नम:<br />4. शनिवार को व्रत रखें। चींटियों को आटा डालें।<br />5. जूते, काले कपड़े, मोटा अनाज व लोहे के बर्तन दान करें।<br />acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-26763370495862764072015-10-09T18:31:08.570-07:002015-10-09T18:31:08.570-07:0010 अक्तूबर शनिवार को शनि प्रदोष व्रत है। सोमवार, म...10 अक्तूबर शनिवार को शनि प्रदोष व्रत है। सोमवार, मंगलवार एवं शनिवार के प्रदोष व्रत अत्यधिक प्रभावकारी माने गए हैं। इस दिन किया गया कुछ खास भर सकता है आपके धन का भंडार और छुड़ा सकता है आपको पुराने से पुराने रोग की गिरफ्त से तो आईए जानें कैसे करें शनि देव को प्रसन्न और पा लें उनसे मनवंछित फलacharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-42516427464207004392015-09-11T18:49:02.788-07:002015-09-11T18:49:02.788-07:002. शनि को चढ़ाएं ये 7 चीजें और ऐसे करें पूजन
1. सरस...2. शनि को चढ़ाएं ये 7 चीजें और ऐसे करें पूजन<br />1. सरसों का तेल, 2. अक्षत (चावल), 3. काली उड़द, 4. काले तिल, 5. फूल, 6. काला वस्त्र, 7. तेल से बने पकवानों का भोग लगाएं।<br />ऐसे करें शनि का पूजन<br />शनिवार की सुबह स्नान आदि नित्य कर्मों से निवृत्त हो जाएं। इसके बाद काले पत्थर से बनी शनि देव की मूर्ति के सामने शनि मंत्र का जप करें।<br />शनि मंत्र- ऊँ शं शनैश्चराय नम:<br />इस मंत्र का जप कम से कम 108 बार करें। मंत्र जप के समय शनि देव को तेल अर्पित करते रहना चाहिए। इसके बाद तेल के दीपक से आरती करें और सुख-समृद्धि की कामना करें।acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-45455183684071914822015-09-09T17:42:14.540-07:002015-09-09T17:42:14.540-07:00शास्त्रों के अनुसार, घर से निकलते वक्त अथवा यात्रा...शास्त्रों के अनुसार, घर से निकलते वक्त अथवा यात्रा के लिए जाना हो तो कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जिससे की आपकी यात्रा बिना किसी विध्न-बाधा के सफल हो जाए। कई बार बनते-बनते काम बिगड़ जाते हैं अथवा सफलता के आसार होने पर भी असफलता का मुंह देखना पड़ता है। ज्योतिशास्त्री कहते हैं की सप्ताह के प्रत्येक दिन के हिसाब से कुछ खास खाकर घर से निकला जाए तो सफलता सदा आपके साथ रहेगी। आपको कभी भी नाकामयाबी नहीं देखनी पड़ेगी।<br /><br />1. सोमवार: आईने में अपना चेहरा देख कर घर से निकलें।<br /> <br />2. मंगलवार: गुड़ खाकर घर से निकलें।<br /> <br />3. बुधवार: खड़ा धनिया खाकर घर से निकलें।<br /> <br />4. गुरुवार: जीरा खाकर घर से निकलें।<br /> <br />5. शुक्रवार: दही खाकर घर से निकलें।<br /> <br />6. शनिवार: अदरक खाकर घर से निकलें।<br /> <br />7. रविवार: पान खाकर घर से निकलें।acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-6701726908695344602015-09-07T18:09:41.588-07:002015-09-07T18:09:41.588-07:00भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी अथवा...भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी अथवा जया एकादशी कहते हैं।इस व्रत में रात को जागरण करने का बहुत महत्व है। द्वादशी के दिन सुबह ब्राह्मण को भोजन करवाने के बाद स्वयं भोजन करना चाहिए। ध्यान रहे द्वादशी के दिन बैंगन न खाएं।<br /><br />एकादशी तिथि के प्रधान देव भगवान विष्णु हैं। इस दिन भगवान विष्णु के निमित्त व्रत करने का विधान है। पुराणों के अनुसार एकादशी का महत्व स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था। अजा एकादशी का व्रत करने वाला अश्वमेघ यज्ञ करने के समान पुण्य का अधिकारी होता है। मरणोंपरांत विष्णुलोक में स्थान प्राप्त होता है।<br /> <br />महाभारत के अनुशासन पर्व में भीष्म और युधिष्ठिर का संवाद है जिसमें पितामह भीष्म ने भगवान विष्णु के हजार नामों का वर्णन किया है। प्रतिदिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ सभी सनातन धर्मीयों को करना चाहिए। यदि प्रतिदिन ऐसा करना संभव न हो तो एकादशी, द्वादशी और बृहस्पतिवार को इस पाठ का जाप अवश्य करना चाहिए। इसके अतिरिक्त पद, पैसे और प्रतिष्ठा के लिए करें कुछ खास<br /> <br /> * पीले रंग का प्रशाद अर्पित करें।<br /> <br /> * कमल के फूल चढ़ाएं।<br /> <br /> * तिल के तेल का दीपक जलाएं।<br /> <br /> * भगवान विष्णु या उनके किसी भी विग्रह को तुलसी की माला अर्पित करें।acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-65875900553633473282015-09-03T19:48:14.334-07:002015-09-03T19:48:14.334-07:00व्रत के विषय में इस बार किसी प्रकार भी भ्रांति नही...व्रत के विषय में इस बार किसी प्रकार भी भ्रांति नहीं है। फिर भी कई लोग, अद्र्धरात्रि पर रोहिणी नक्षत्र का योग होने पर सप्तमी और अष्टमी पर व्रत रखते हैं। कुछ भक्तगण उदयव्यापिनी अष्टमी पर उपवास करते हैं। <br /> <br />शास्त्रकारों ने व्रत-पूजन, जपादि हेतु अद्र्धरात्रि में रहने वाली तिथि को ही मान्यता दी है। विशेषकर स्मार्त लोग अद्र्धरात्रि व्यापिनी अष्टमी को यह व्रत करते हैं। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, चंडीगढ़ आदि में स्मार्त धर्मावलम्बी अर्थात गृहस्थ लोग हजारों सालों से इसी परंपरा का अनुसरण करते हुए सप्तमी युक्ता अद्र्धरात्रिकालीन वाली अष्टमी को व्रत, पूजा आदि करते आ रहे हैं जबकि मथुरा, वृंंदावन सहित उत्तर प्रदेश आदि प्रदेशों में उदयकालीन अष्टमी के दिन ही कृष्ण जन्मोत्सव मनाते आ रहे हैं। <br /> <br />भगवान कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा की परंपरा को आधार मानकर मनाई जाने वाली जन्माष्टमी के दिन ही केन्द्रीय सरकार अवकाश की घोषणा करती है। वैष्णव संप्रदाय के अधिकांश लोग उदयकालिक नवमी युता जन्माष्टमी व्रत हेतु ग्रहण करते हैं।<br /> <br />सुबह स्नान के बाद व्रतानुष्ठान करके ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र जाप करें । पूरा दिन व्रत रखें। फलाहार कर सकते हैं। रात्रि के समय ठीक 12 बजे, लगभग अभिजित मुहूर्त में भगवान की आरती करें। प्रतीक स्वरूप खीरा फोड़ कर, शंख ध्वनि से जन्मोत्सव मनाएं। चंद्रमा को अर्ध्य देकर नमस्कार करें तत्पश्चात मक्खन, मिश्री, धनिया, केले, मिष्ठान आदि का प्रसाद ग्रहण करें और बांटें। अगले दिन नवमी पर नन्दोत्सव मनाएं। acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-35617285292084994192015-08-24T22:30:36.837-07:002015-08-24T22:30:36.837-07:00हनुमान जी को बुंदी के लड्डू बहुत प्रिय हैं। उससे न...हनुमान जी को बुंदी के लड्डू बहुत प्रिय हैं। उससे नवग्रह भी शांत होते हैं। बुंदी के गोल-गोल लड्डूओं में नवग्रह को नियंत्रण करने की क्षमता है। बुंदी का गोल आकार बुद्ध, रंग बृहस्पति और सूर्य, सुगंध चन्द्रमा, मेवे शुक्र, मिठास मंगल की एवं छोटे-छोटे दाने राहू-केतू और शनि को नियंत्रित करते हैं। <br /><br />* मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी को बुंदी के लड्डू चढ़ा कर मंदिर में ही वितरित कर दिए जाएं तो मनभावन जीवनसाथी के साथ विवाह की इच्छा पूर्ण होती है विशेषकर प्रेम विवाह में सफलता प्राप्त होती है।<br /><br />* तंत्र, मंत्र और नजरदोष से छुटकारा पाने के लिए मंगलवार को हनुमान जी को बुंदी के लड्डू चढ़ा कर अधिक से अधिक लोगों को अर्पित करें।<br /><br />* तुलसी के पत्ते के साथ जो भी भक्त हनुमान जी को लड्डुओं का भोग लगाता है उसकी सभी समस्याओं का निवारण हो जाता है। <br /><br />* शनि के अशुभ प्रभावों का नाश करने के लिए शनिवार को बंदरों और काले कुत्तों को बूंदी के लड्डू खिलाएं। इससे आपकी किस्मत चमकने लगेगी और सफलता के द्वार खुलेंगे।<br /><br />* नजरदोष के लिए शनिवार और मंगलवार को बूंदी के लड्डू प्रयोग में लाएं व नजर उतारने के बाद उसे कुत्ते को खिला दें।<br /><br />* भूत-प्रेत बाधा से ग्रस्त व्यक्ति से बूंदी का लड्डू उतारकर चैराहे या पीपल के नीचे रखें (रविवार छोड़कर)। तीन दिन लगातार इस उपाय को करें।acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-41469439297946554032015-02-22T17:41:59.929-08:002015-02-22T17:41:59.929-08:00यदि हम समय-समय पर स्वास्थ्य हेतु अपनी जन्मकुंडली क...यदि हम समय-समय पर स्वास्थ्य हेतु अपनी जन्मकुंडली का विवेचन कराते रहें व उसके उपाय करते रहें तो असाध्य रोगों के कष्टों को काफी हद तक कम किया जा सकता है । प्रत्येक रोग किसी न किसी ग्रह से संबंधित होता है तथा किन्हीं विशेष दिशाओं में सोने, भोजन करने यहां तक कि भोजन पकाने से भी हम रोगी हो सकते हैं । हम आपको रोजमर्रा की जिंदगी में अपनाने के लिए कुछ उपाय बता रहे हैं जो आपको अच्छे स्वास्थ्य में काफी लाभ दे सकते हैं । <br /><br />- सूर्य को नियमित चढ़ावे से सिर दर्द, हृदय संबंधित रोग व नेत्र संबंधित रोगों से मुक्ति मिलती है । रोजाना सूर्य भगवान को ताम्बे के लोटे से अघ्र्य दें । ध्यान रहे कि जल के छींटे पैरों में न पड़ें। लाल पुष्प, रोली, गुड़ इत्यादि लाल वस्तु जल में मिलाकर सूर्य को अघ्र्य दिया जा सकता है । अध्र्य देने के पश्चात आठ बार यह मंत्र बोलें ‘हीं हंस: धणि आदित्य: नम:।’<br /><br />- भोजन पकाते व खाते समय मुख हमेशा पूर्व दिशा में रहना चाहिए । इससे भोजन पौष्टिक बनता है व आसानी से पचता है । इससे पेट के रोग होने की संभावना कम रहती है ।<br /><br />- शौचालयों में सीट पर बैठते समय हमारा मुख हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए । दक्षिण व पश्चिम में मुख होने पर व्यक्ति का पेट खराब रहता है । बवासीर की समस्या व बार-बार शौचालय जाने की समस्या बनी रहती है ।<br /><br />- बीम के नीचे न तो बैठें न ही सोएं वरना हर समय शारीरिक थकान महसूस होगी व किसी भी कार्य को पूर्ण मनोयोग से नहीं कर पाएंगे ।<br /><br />- सोते समय सिर सदैव दक्षिण या पूर्व दिशा में रखें । इससे गहरी नींद आएगी व स्वास्थ्य उत्तम रहेगा ।<br /><br />- गले में सिद्ध महामृत्युंजय यंत्र धारण करने से असाध्य से असाध्य रोगों से छुटकारा मिल जाता है ।<br /><br />- लग्नेश का रत्न धारण करने से स्वास्थ्य हमेशा अच्छा रहता है । विशेष रूप से लग्न का रत्न गले में धारण करने से व्यक्ति को स्वास्थ्य में काफी लाभ मिलता है ।<br /><br />- लिवर संबंधित बीमारियां जैसे पीलिया, हैपेटाइटिस बी इत्यादि होने पर गाय को रोजाना चने की दाल खिलाएं । धार्मिक स्थलों पर चने की दाल, बेसन के लड्डू, केले, हल्दी की गांठ पीले पुष्पों इत्यादि का दान करें । इससे तुरंत लाभ मिलेगा ।<br /><br />- जिन लोगों को सदैव सर्दी जुकाम रहता हो वे लोग सूर्यास्त के बाद सड़क के कुत्तों को कच्चा व ठंडा दूध पिलाएं ।<br /><br />- महामृत्युंजय यंत्र का रोजाना अभिषेक करने से व्यक्ति मृत्युशैया तक से लौट आता है । अभिषेक के लिए रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें । नित्य कम से कम 108 बार ओम् नम: शिवाय ‘ओम् महामृत्युंजय नम:’ मंत्र का जाप करते हुए यंत्र का जल में कच्चे दूध को मिलाकर अभिषेक करें पर ध्यान रखें कि स्वास्थ्य के लिए किए जाने वाले अभिषेक में जल की मात्रा अधिक व कच्चे दूध की कम होती है ।<br /><br />- गले में रुद्राक्ष धारण करने से ब्लड प्रैशर कंट्रोल में रहता है ।<br /><br />- स्त्री जनित रोग एवं गर्भाशय संबंधित रोगों को दूर करने के लिए रोजाना त्रिकोण मंगल यंत्र की पूजा करें । <br /><br />- अच्छे स्वास्थ्य के लिए हमेशा ताम्बे के लोटे में पिरामिड का जल प्रात: होते ही पिएं । पिरामिड जल 12 से 24 घंटे के मध्य तैयार हो जाता है । यह अच्छे स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है । विदेशों में इसका बहुत प्रचलन है ।<br /><br />- चर्म रोग, एलर्जी, स्नायुनिर्बलता, भूलना, श्वांस रोग यह सब बुध ग्रह अशुभ होने पर होता है । बुध ग्रह को शुभ स्थिति में लाकर इन समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है ।<br /><br />- वायव्य कोण के कमरों में सोने से हर समय बेचैनी, मानसिक परेशानी व तनाव रहता है । छोटे बच्चे व मेहमान ही इस कमरे में रह सकते हैं वैवाहिक जोड़े नहीं । कई बार वायव्य कोण के दोष के कारण ब्लड प्रैशर की समस्या भी हो जाती है ।<br /><br />- खून निकलना, मस्तिष्क पर चोट लगाना, वाहन से दुर्घटना होना मंगल ग्रह की अशुभता के कारण होता है । नियमित रूप से त्रिकोण मंगल यंत्र की पूजा करें व मंगलवार को हनुमान जी के दर्शन करने से इस समस्या से छुटकारा मिलता है ।<br />acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-45417896804876808962015-02-16T06:35:42.713-08:002015-02-16T06:35:42.713-08:00भगवान शिव को चावल चढ़ाने से धन की प्राप्ति होती है...भगवान शिव को चावल चढ़ाने से धन की प्राप्ति होती है।<br />तिल चढ़ाने से पापों का नाश हो जाता है।<br />जौ अर्पित करने से सुख में वृद्धि होती है।<br />गेहूं चढ़ाने से संतान वृद्धि होती है।<br />यह सभी अन्न भगवान को अर्पण करने के बाद गरीबों में वितरीत कर देना चाहिए।<br />शिवपुराण के अनुसार जानिए भगवान शिव को कौन सा रस (द्रव्य) चढ़ाने से उसका क्या फल मिलता है-<br />ज्वर (बुखार) होने पर भगवान शिव को जलधारा चढ़ाने से शीघ्र लाभ मिलता है। सुख व संतान की वृद्धि के लिए भी जलधारा द्वारा शिव की पूजा उत्तम बताई गई है।<br />नपुंसक व्यक्ति अगर घी से भगवान शिव का अभिषेक करे, ब्राह्मणों को भोजन कराए तथा सोमवार का व्रत करे तो उसकी समस्या का निदान संभव है।<br />तेज दिमाग के लिए शक्कर मिश्रित दूध भगवान शिव को चढ़ाएं।<br />सुगंधित तेल से भगवान शिव का अभिषेक करने पर समृद्धि में वृद्धि होती है।<br />शिवलिंग पर ईख (गन्ना) का रस चढ़ाया जाए तो सभी आनंदों की प्राप्ति होती है।<br />शिव को गंगाजल चढ़ाने से भोग व मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है।<br />मधु (शहद) से भगवान शिव का अभिषेक करने से राजयक्ष्मा (टीबी) रोग में आराम मिलता है।<br />लाल व सफेद आंकड़े के फूल से भगवान शिव का पूजन करने पर भोग व मोक्ष की प्राप्ति होती है।<br />चमेली के फूल से पूजन करने पर वाहन सुख मिलता है। <br />अलसी के फूलों से शिव का पूजन करने से मनुष्य भगवान विष्णु को प्रिय होता है। <br />शमी पत्रों (पत्तों) से पूजन करने पर मोक्ष प्राप्त होता है। <br />बेला के फूल से पूजन करने पर सुंदर व सुशील पत्नी मिलती है। <br />जूही के फूल से शिव का पूजन करें तो घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती। <br />कनेर के फूलों से शिव पूजन करने से नए वस्त्र मिलते हैं। <br />हरसिंगार के फूलों से पूजन करने पर सुख-सम्पत्ति में वृद्धि होती है। <br />धतूरे के फूल से पूजन करने पर भगवान शंकर सुयोग्य पुत्र प्रदान करते हैं, जो कुल का नाम रोशन करता है। <br />लाल डंठलवाला धतूरा पूजन में शुभ माना गया है। <br />दूर्वा से पूजन करने पर आयु बढ़ती है।<br />acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-8385457498945032342015-01-26T18:22:04.109-08:002015-01-26T18:22:04.109-08:00चिदम्बरसंहिता में पहले अर्गला, फिर कीलक तथा अन्त म...चिदम्बरसंहिता में पहले अर्गला, फिर कीलक तथा अन्त में कवच पढ़ने का विधान है, किन्तु योगरत्नावली में पाठ का क्रम इससे भिन्न है। उसमें कवच को बीज, अर्गला को शक्ति तथा कीलक को कीलक संज्ञा दी गई है। <br /><br />ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः। ॐ नमः परमात्मने, श्रीपुराणपुरुषोत्तमस्य श्रीविष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्याद्य श्रीब्रह्मणो द्वितीयपरार्द्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरेऽष्टाविंशतितमे कलियुगे प्रथमचरणे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गतब्रह्मावर्तैकदेशे पुण्यप्रदेशे बौद्धावतारे वर्तमाने यथानामसंवत्सरे अमुकामने महामांगल्यप्रदे मासानाम् उत्तमे अमुकमासे अमुकपक्षे अमुकतिथौ अमुकवासरान्वितायाम् अमुकनक्षत्रे अमुकराशिस्थिते सूर्ये अमुकामुकराशिस्थितेषु चन्द्रभौमबुधगुरुशुक्रशनिषु सत्सु शुभे योगे शुभकरणे एवं गुणविशेषणविशिष्टायां शुभ पुण्यतिथौ सकलशास्त्र श्रुति स्मृति पुराणोक्त फलप्राप्तिकामः अमुकगोत्रोत्पन्नः अमुक नाम अहं ममात्मनः सपुत्रस्त्रीबान्धवस्य श्रीनवदुर्गानुग्रहतो ग्रहकृतराजकृतसर्व-विधपीडानिवृत्तिपूर्वकं नैरुज्यदीर्घायुः पुष्टिधनधान्यसमृद्ध्यर्थं श्री नवदुर्गाप्रसादेन सर्वापन्निवृत्तिसर्वाभीष्टफलावाप्तिधर्मार्थ- काममोक्षचतुर्विधपुरुषार्थसिद्धिद्वारा श्रीमहाकाली-महालक्ष्मीमहासरस्वतीदेवताप्रीत्यर्थं शापोद्धारपुरस्परं कवचार्गलाकीलकपाठ- वेदतन्त्रोक्त रात्रिसूक्त पाठ देव्यथर्वशीर्ष पाठन्यास विधि सहित नवार्णजप सप्तशतीन्यास- धन्यानसहितचरित्रसम्बन्धिविनियोगन्यासध्यानपूर्वकं च 'मार्कण्डेय उवाच॥ सावर्णिः सूर्यतनयो यो मनुः कथ्यतेऽष्टमः।' इत्याद्यारभ्य 'सावर्णिर्भविता मनुः' इत्यन्तं दुर्गासप्तशतीपाठं तदन्ते न्यासविधिसहितनवार्णमन्त्रजपं वेदतन्त्रोक्तदेवीसूक्तपाठं रहस्यत्रयपठनं शापोद्धारादिकं च किरष्ये/करिष्यामि।<br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/00962352874174044121noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-11140126824538880292015-01-26T18:17:12.353-08:002015-01-26T18:17:12.353-08:00चिदम्बरसंहिता में पहले अर्गला, फिर कीलक तथा अन्त म...चिदम्बरसंहिता में पहले अर्गला, फिर कीलक तथा अन्त में कवच पढ़ने का विधान है, किन्तु योगरत्नावली में पाठ का क्रम इससे भिन्न है। उसमें कवच को बीज, अर्गला को शक्ति तथा कीलक को कीलक संज्ञा दी गई है। <br /><br />ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः। ॐ नमः परमात्मने, श्रीपुराणपुरुषोत्तमस्य श्रीविष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्याद्य श्रीब्रह्मणो द्वितीयपरार्द्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरेऽष्टाविंशतितमे कलियुगे प्रथमचरणे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गतब्रह्मावर्तैकदेशे पुण्यप्रदेशे बौद्धावतारे वर्तमाने यथानामसंवत्सरे अमुकामने महामांगल्यप्रदे मासानाम् उत्तमे अमुकमासे अमुकपक्षे अमुकतिथौ अमुकवासरान्वितायाम् अमुकनक्षत्रे अमुकराशिस्थिते सूर्ये अमुकामुकराशिस्थितेषु चन्द्रभौमबुधगुरुशुक्रशनिषु सत्सु शुभे योगे शुभकरणे एवं गुणविशेषणविशिष्टायां शुभ पुण्यतिथौ सकलशास्त्र श्रुति स्मृति पुराणोक्त फलप्राप्तिकामः अमुकगोत्रोत्पन्नः अमुक नाम अहं ममात्मनः सपुत्रस्त्रीबान्धवस्य श्रीनवदुर्गानुग्रहतो ग्रहकृतराजकृतसर्व-विधपीडानिवृत्तिपूर्वकं नैरुज्यदीर्घायुः पुष्टिधनधान्यसमृद्ध्यर्थं श्री नवदुर्गाप्रसादेन सर्वापन्निवृत्तिसर्वाभीष्टफलावाप्तिधर्मार्थ- काममोक्षचतुर्विधपुरुषार्थसिद्धिद्वारा श्रीमहाकाली-महालक्ष्मीमहासरस्वतीदेवताप्रीत्यर्थं शापोद्धारपुरस्परं कवचार्गलाकीलकपाठ- वेदतन्त्रोक्त रात्रिसूक्त पाठ देव्यथर्वशीर्ष पाठन्यास विधि सहित नवार्णजप सप्तशतीन्यास- धन्यानसहितचरित्रसम्बन्धिविनियोगन्यासध्यानपूर्वकं च 'मार्कण्डेय उवाच॥ सावर्णिः सूर्यतनयो यो मनुः कथ्यतेऽष्टमः।' इत्याद्यारभ्य 'सावर्णिर्भविता मनुः' इत्यन्तं दुर्गासप्तशतीपाठं तदन्ते न्यासविधिसहितनवार्णमन्त्रजपं वेदतन्त्रोक्तदेवीसूक्तपाठं रहस्यत्रयपठनं शापोद्धारादिकं च किरष्ये/करिष्यामि।<br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/00962352874174044121noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-9644709357127174092015-01-23T19:30:33.245-08:002015-01-23T19:30:33.245-08:00या कुन्देन्दु तुषार हार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता
य...या कुन्देन्दु तुषार हार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता<br />या वीणा वरदण्ड मण्डित करा या श्वेतपद्मासना।<br />या ब्रह्माच्युत शंकर प्रभृति भिर्देवैः सदा वन्दिता<br />सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥<br />जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली माँ सरस्वती हमारी रक्षा करें ॥ _Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/00962352874174044121noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-45491425860847153852015-01-23T19:15:58.246-08:002015-01-23T19:15:58.246-08:00या कुन्देन्दु तुषार हार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता
य...या कुन्देन्दु तुषार हार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता<br />या वीणा वरदण्ड मण्डित करा या श्वेतपद्मासना।<br />या ब्रह्माच्युत शंकर प्रभृति भिर्देवैः सदा वन्दिता<br />सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥<br />जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली माँ सरस्वती हमारी रक्षा करें ॥ _Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/00962352874174044121noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-86145501354711533672014-10-06T04:24:24.909-07:002014-10-06T04:24:24.909-07:00कोजागर व्रत से जुड़ी कथा इस प्रकार है-
किसी समय ...कोजागर व्रत से जुड़ी कथा इस प्रकार है- <br /><br />किसी समय मगध देश में वलित नामक एक संस्कारी, लेकिन दरिद्र ब्राह्मण रहता था। ब्राह्मण जितना सज्जन था उसकी पत्नी उतनी ही दुष्ट थी। वह ब्राह्मण की दरिद्रता को लेकर रोज उसे ताने देती थी। यहां तक की पूरे गांव में भी वह अपने पति की निंदा ही किया करती थी। पति के विपरीत आचरण करना ही उसने अपने धर्म बना लिया था। <br /><br />यहां तक कि धन की चाह में वह रोज अपने पति को चोरी करने के लिए उकसाया करती थी। एक बार श्राद्ध के समय ब्राह्मण की पत्नी ने पूजन में रखे सभी पिण्डों को उठाकर कुएं में फेंक दिया। पत्नी की इस हरकत से दु:खी होकर ब्राह्मण जंगल में चला गया, जहां उसे नाग कन्याएं मिलीं। उस दिन आश्विन मास की पूर्णिमा थी। <br /><br />नागकन्याओं ने ब्राह्मण को रात्रि जागरण कर लक्ष्मी को प्रसन्न करने वाला कोजागर व्रत करने को कहा। ब्राह्मण ने विधि-विधान पूर्वक कोजागर व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से ब्राह्मण के पास अतुल धन-सम्पत्ति हो गई। भगवती लक्ष्मी की कृपा से उसकी पत्नी की बुद्धि भी निर्मल हो गई और वे दंपत्ति सुखपूर्वक रहने लगे।acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-33146290533216733752014-09-09T05:52:21.649-07:002014-09-09T05:52:21.649-07:003- वासुकि कालसर्प दोष
- वासुकि कालसर्प दोष होने प...3- वासुकि कालसर्प दोष<br /><br />- वासुकि कालसर्प दोष होने पर रात्रि को सोते समय सिरहाने पर थोड़ा बाजरा रखें और सुबह उठकर उसे पक्षियों को खिला दें।<br /><br />- श्राद्ध के दौरान किसी भी दिन लाल धागे में तीन, आठ या नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करें।<br /><br /><br />4- शंखपाल कालसर्प दोष<br /><br />- शंखपाल कालसर्प दोष के निवारण के लिए श्राद्ध पक्ष के दौरान किसी भी दिन 400 ग्राम साबूत बादाम बहते पानी में प्रवाहित करें।<br /><br />- शिवलिंग का दूध से अभिषेक करें।acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-81162103394526347772014-09-09T05:51:11.377-07:002014-09-09T05:51:11.377-07:00ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में ...ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष हो, वे अगर इन 16 दिनों में इस दोष के निवारण के लिए उपाय व पूजन करें तो शुभ फलों की प्राप्ति होती है तथा कालसर्प दोष के दुष्प्रभाव में कमी आती है।<br /> <br />ज्योतिष के अनुसार कालसर्प दोष मुख्य रूप से 12 प्रकार का होता है, इसका निर्धारण जन्म कुंडली देखकर ही किया जा सकता है। प्रत्येक कालसर्प दोष के निवारण के लिए अलग-अलग उपाय हैं। यदि आप जानते हैं कि आपकी कुंडली में कौन का कालसर्प दोष है तो उसके अनुसार आप श्राद्ध पक्ष के 16 दिनों में कभी भी ये उपाय कर सकते हैं। कालसर्प दोष के प्रकार व उनके निवारण के लिए उपाय इस प्रकार हैं-<br /><br />1- अनन्त कालसर्प दोष<br /> <br />- अनन्त कालसर्प दोष होने पर श्राद्ध पक्ष में एकमुखी, आठमुखी या नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करें।<br /><br />- यदि इस दोष के कारण स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है तो श्राद्ध के दौरान रांगे (एक धातु) से बना सिक्का पानी में प्रवाहित करें।<br /><br /><br />2- कुलिक कालसर्प दोष<br /><br />- कुलिक नामक कालसर्प दोष होने पर श्राद्ध पक्ष दो रंग वाला कंबल अथवा गर्म वस्त्र दान करें।<br /><br />- चांदी की ठोस गोली बनवाकर उसकी पूजा करें और उसे अपने पास रखें।<br />acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.com