tag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post6385684583699370166..comments2023-06-30T02:55:42.951-07:00Comments on acharya astro: acharya astro: Santoshi Bhajan - Karti Hoon Tumhara Vrat Mein (HD...acharya astrohttp://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comBlogger64125tag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-79037148480142063572014-06-02T19:15:38.756-07:002014-06-02T19:15:38.756-07:00दो लीटर पानी में थोड़ा आंवले का चूर्ण और नीम की पत...दो लीटर पानी में थोड़ा आंवले का चूर्ण और नीम की पत्तियां डालकर पानी को उबाल कर आधा कर लें। इस पानी से सप्ताह में कम से कम एक बार बाल धोएं। बाल गिरना बंद हो जाएंगे।<br /><br /> - यदि आप नशीले पदार्थों का सेवन या धूम्रपान करते हैं तो बंद कर दें। बाल गिरना जल्द ही कम हो जाएंगे। अधिक से अधिक पानी पिएं। चाय- कॉफी का सेवन कम कर दें।acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-80753832223641748612014-06-02T19:00:03.992-07:002014-06-02T19:00:03.992-07:00बृहस्पति मंगल मंत्र-
जीवश्चाङ्गिर-गोत्रतोत्तरमुख...बृहस्पति मंगल मंत्र-<br /> <br />जीवश्चाङ्गिर-गोत्रतोत्तरमुखो दीर्घोत्तरा संस्थित:<br />पीतोश्वत्थ-समिद्ध-सिन्धुजनिश्चापो थ मीनाधिप:।<br />सूर्येन्दु-क्षितिज-प्रियो बुध-सितौ शत्रूसमाश्चापरे<br />सप्ताङ्कद्विभव: शुभ: सुरुगुरु: कुर्यात् सदा मङ्गलम्।। <br /><br />- पूजा व मंत्र जप के बाद गुरु आरती करें और क्षमाप्रार्थना के साथ प्रसाद ग्रहण करें। <br /><br />- गुरु दोष शांति के लिए पीली वस्तुओं जैसे गुड़,चने की दाल, केले, पीले फूल, चन्दन या पीले वस्त्र, हल्दी, पीले रंग की मिठाई और गाय का घी का दान करें। सोने का दान भी बहुत शुभ है।यथासंभव ब्राह्मण को भोजन कराएं। माना जाता है कि गुरु की ऐसी पूजा धन, संपत्ति, विवाह और सौभाग्य की कामना शीघ्र पूरी करती है।acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-32862142221691149452014-06-02T18:59:27.281-07:002014-06-02T18:59:27.281-07:00गुरुवार का दिन गुरु दोष शांति व गुरु की प्रसन्नता ...गुरुवार का दिन गुरु दोष शांति व गुरु की प्रसन्नता के लिए विशेष दिन माना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि गुरु बृहस्पति, देवगुरु हैं। ज्योतिष मान्यताओं में भी गुरु सुखद दाम्पत्य जीवन व सौभाग्य को नियत करते हैं। खासकर स्त्री के विवाह और पुरुष की आजीविका की परेशानी गुरु की प्रसन्नता से दूर हो जाती है। <br /> <br />यहां बताए जा रहे देवगुरु बृहस्पति पूजा के वे उपाय व सरल मंत्र, जो आपके जीवन में आ रही ऐसी ही तमाम परेशानियों से छुटकारा दिला सकते हैं और जल्द मनचाही नौकरी व जीवनसाथी की मुराद पूरी कर देंगे। जानिए, ये उपाय- <br /><br />- गुरुवार के दिन व्रत रखें, जिसमें पीले वस्त्र पहने व बिना नमक का पीला भोजन का संकल्प लें। <br /><br />- गुरु बृहस्पति की प्रतिमा या तस्वीर पीले वस्त्र पर विराजित कर पंचोपचार पूजा केसरिया चंदन, पीले अक्षत, पीले फूल व भोग में पीले पकवान या फल अर्पित करें। नीचे लिखे सरल गुरु मंत्र का ध्यान सुख-सौभाग्य की कामना से करें- <br /><br />ॐ बृं बृहस्पते नम: <br /> <br />इसके बाद 1 विशेष मंत्र से देवगुरु का ध्यान आजीविका या विवाह में आ रही बाधा दूर करने की कामना से करें। acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-32920129875439657042014-06-02T18:57:58.726-07:002014-06-02T18:57:58.726-07:00श्रीमद्भावतगीता में लिखा गया है कि-
मन: स्वबुद्...श्रीमद्भावतगीता में लिखा गया है कि- <br /> <br />मन: स्वबुद्ध्यामलय नियम्य<br /> <br />जिसका अर्थ है कि अपनी पवित्र बुद्धि से ही मन को साधें। इसमें बुद्धि की पावनता द्वारा कर्म, वचन और व्यवहार में बुराई से बचने का संकेत है। यह तभी संभव है जब यहां बताए जा रहे कुछ बुरे काम और भावों से इंसान बचकर रहे। जानते हैं शास्त्रों में बताई ये बुरी बातें-<br /> <br />अहं, कर्महीनता, नफरत यानी घृणा, बुरे संस्कार और आचरण, मान-सम्मान की लालसा, राग, मोह, आसक्ति, ईर्ष्या, द्वेष, स्त्री प्रसंग, स्वार्थ भाव के कारण मन व ह्दय से उदार न होना, दुराग्रह, झूठा दंभ।<br /><br />स्वभाव, व्यवहार से जुड़ी ये सारी बातें इंसान के बुद्धि और विवेक पर सीधे ही बुरा असर डालती है, जिससे जीवन में आए बुरे बदलाव दु:ख और पीड़ा का कारण बन सकते हैं। इसलिए संयम और समझ के साथ इन बुरी बातों से बचने की यथासंभव कोशिश करें। acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-67752483750005004072014-06-01T18:22:41.979-07:002014-06-01T18:22:41.979-07:00अरहर के पत्तों या दाल से शिव की पूजा करने से तन, म...अरहर के पत्तों या दाल से शिव की पूजा करने से तन, मन व धन से जुड़े हर तरह के दु:ख दूर हो जाते हैं।<br /> <br />- शिव को मूंग चढ़ाने से किसी विशेष काम या मकसद से जुड़े विशेष मनोरथ फौरन पूरे होते हैं।<br /> <br />- जौ चढ़ाकर शिव की पूजा अंतहीन व पीढ़ीयों को सुख देने वाली सिद्ध होती है।मन की अशांति और तनाव दूर करने के लिए शिव को शेफालिका के फूल चढ़ाएं।<br /> <br />- शिव की तुलसी के पत्तों से पूजा हर पीड़ा से मुक्ति और हर सुख प्राप्त होते है।<br /> <br />- विवाह बाधा दूर करने के लिए भगवान शंकर पर बेला के फूल चढ़ाएं। इससे श्रेष्ठ वर और सर्वगुण संपन्न पत्नी मिलती है।<br /> <br />- ख्याति, पद और सम्मान पाने के लिए शिव पूजन में अगस्त्य के फूल अर्पित करें।<br /> <br />- पुत्र कामना पूरी करने के लिए लाल फूल वाला धतूरा शिव को चढ़ाना चमत्कारी फल देता है। इसके अभाव में सफेद धतूरा भी चढ़ा सकते हैं।<br /> <br />- सेहत व लंबी उम्र की चाहत रखने वाला व्यक्ति शिव पूजा में दूर्वा चढ़ाए।acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-23739549776340392002014-06-01T18:21:07.635-07:002014-06-01T18:21:07.635-07:00भगवान शंकर सांसारिक सुखों से जुड़े सारे मनोरथ पूरे...भगवान शंकर सांसारिक सुखों से जुड़े सारे मनोरथ पूरे करने वाले देवता हैं। उनकी प्रसन्नता के लिए धर्मग्रंथों में कई व्रत-उपवास बताए गए हैं। किंतु इनमें सोमवार का विशेष महत्व है। कई भक्त अलग-अलग वजहों से व्रत के धार्मिक विधानों का पालन नहीं कर पाते। चूंकि महादेव भी थोड़ी ही भक्ति से प्रसन्न होने वाले देवता है, इसलिए शिव कृपा के लिए शिवपुराण में बताए अलग-अलग फूल चढ़ाकर भी मनोकामना पूर्ति के आसान उपाय मंगलकारी माने गए हैं।<br /> <br />इसी तरह शिवपुराण के मुताबिक शिव पूजा में अन्य पूजा सामग्रियों के अलावा कई तरह के अनाज का चढ़ावा सुख-सौभाग्य व धन सहित कई मनचाहे फल देने वाला मंगलकारी व बेहद आसान उपाय है। इन उपायों से पहले भगवान शिव की सामान्य पूजा यानी चंदन, बिल्वपत्र, फूल, छोटा सफेद वस्त्र चढ़ाकर करें और इनके साथ यहां बताए अनाज व फूल शिवलिंग पूजा में चढ़ाएं। इन चीजों से कामना विशेष पूरी करते हैं। जानिए कौन सा अनाज व फूल चढ़ाने का उपाय कौन सी चाहत पूरी करते हैं। इनको चढ़ाते वक्त ये मंत्र स्मरण करना शुभ होगा- <br /> <br />मृत्युंजयाय रुद्राय नीलाकंताया शम्भवे।<br />अमृतेशाय सर्वाय महादेवाय ते नमः।।<br /> <br />- देव पूजा में अक्षत यानी चावल का चढ़ावा बहुत ही शुभ माना जाता है। शिव पूजा में भी महादेव या शिवलिंग के ऊपर चावल, जो टूटे न हो चढ़ाने से लक्ष्मी की कृपा यानी धन लाभ होता है।<br /> <br />- शिव की गेहूं चढ़ाकर की गई पूजा से संतान सुख मिलता है। संतान होनहार व सद्गगुणी कुल का गौरव बढ़ाने वाली निकलती है। <br /> <br />- शिव की तिल से पूजा करने पर मन, शरीर और विचारों से हुए दोष का अंत हो जाता है। सारे तनाव व दबाव की वजहे अचानक दूर हो जाती हैं। acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-38425350965405334742014-05-31T20:40:16.774-07:002014-05-31T20:40:16.774-07:00वैवाहिक जीवन में स्थिरता के लिए तारा का विचार क्यो...वैवाहिक जीवन में स्थिरता के लिए तारा का विचार क्यों करें ? पढ़िये "झा शास्त्री" --पति -पतनी की सबसे बड़ी विशेषता अपने जीवन में एक दूसरे के प्रति समर्पित रहना होता है ,क्योंकि रूप का मोह समाप्त होते ही परिवार और समाज से जुड़ जाते हैं, तब हमें एक आदर्श अभिभावक बनना पड़ता है और -ये तब संभव होता है ---जब हमारी कुंडली में तारा का सही मिलान हुआ हो । जिस प्रकार से अनंत तारा होते हुए भी रोशनी नहीं मिलती है किन्तु ये अपनी -अपनी जगह स्थिर रहती हैं --जो सूर्य एवं चंद्रमा को स्थिरता प्रदान करते हैं ।<br /><br /> -------कन्या के नक्षत्र से वर के नक्षत्र तक और वर के नक्षत्र से कन्या के नक्षत्र तक "अभिजित "को छोड़कर गणना करके अलग -अलग 9 के भाग देने से जो संख्या शेष रहे वह तारा होती है ।-तारा संख्या -3/5/7/-अशुभ होती है -एवं -1/2/4/6/8/9/{0}शेष रहे तो शुभ होती है ।।<br /><br /> ------निदान -{1}---3--शेष हो तो -विपत नाम की तारा कहलाती है ---इनकी शांति -गुड का दान करने से हो जाती है ।<br /><br />{2}--5 शेष हो तो प्रत्यरी नाम की तारा होती है ----इनकी शांति नमक का दान करने से होती है ।<br /><br />{3}--7-शेष हो तो वध नाम की तारा होती है --इनकी शांति -सफेद तिल ,तेल या तिलकूटी-मिठाई एवं स्वर्ण दान से अशुभता समाप्त हो जाती हैacharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-13784413391965640052014-05-31T20:39:27.783-07:002014-05-31T20:39:27.783-07:00कुण्डली मिलान" वैवाहिक जीवन के लिए उपयुक्त है...कुण्डली मिलान" वैवाहिक जीवन के लिए उपयुक्त है ?पढ़िये "झा शास्त्री "<br /><br />---वैवाहिक जीवन सुखमय हो -इसके लिए कुण्डली का मिलान अर्थात अष्टकुंडली मिलान" अवश्य ही माता -पिता कराते हैं । ये -वर्ण ,वश्य ,तारा ,योनिविचार ,ग्रहमैत्री,गुणकूट,भकूट और नाड़ी को अष्टकूट कहते हैं । इन अष्टकूटों के प्रत्येक के स्वभाव और प्रभाव को जानने की आप भी कोशिश करें -कि ये सच भी हैं या हम भ्रम के शिकार तो नहीं होते हैं । <br /><br />{1}--प्रथम विचार -वर्ण-का मिलान होने से -जातीय कर्म,गुणधर्म ,स्वभाव -उत्तमप्रीति,होती है--मिलान नहीं होने पर मध्यम स्नेह एवं प्रेम का अभाव रहता है -वैवाहिक सुख में । क्या मिलान कुण्डली का होना चाहिए या नहीं आप खुद विचार करें । <br /><br />{2}-दूसरा विचार -वश्य-का मिलान होने से ---स्वभाव से एक दूसरे के वशीभूत होते हैं । क्या वैवाहिक जीवन में ये नहीं होना चाहिए ।<br /><br />{3}तीसरा विचार -तारा- का सही मिलान होने से -भाग्य सबल होता है -अन्यथा निर्बलता रहती है ।क्या वैवाहिक जीवन भाग्यवान हो आप नहीं चाहते हैं । <br /><br />{4}चतुर्थ विचार -योनि-विचार सही होने से --शारीरिक सम्बन्ध अर्थात तृप्ति रहती है मन में -अन्यथा जीवन में अतृप्ति ही रहेगी ।क्या वैवाहिक जीवन में ये जरुरी नहीं है । <br /><br />{5}पांचवां विचार -ग्रहमैत्री- का सही मिलान होने से --आपसी सम्बन्ध सही रहता है अन्यथा उदासीनता रहेगी ।क्या वैवाहिक जीवन में ये जरुरी नहीं होता है । <br /><br />{6}छठां विचार -गुणकूट- का सही मिलान होने से --सामाजिकता किसमें कितनी रहेगी अन्यथा -असामाजिक रहते है दोनों ।क्या सामाजिकता नहीं चाहिए । <br /><br />{7}सातवां विचार -भकूट -का सही मिलान होने से --जीवन शैली परस्पर स्नेह सच्चा रहता है अन्यथा बनाबटी रहती है ।क्या ये वैवाहिक जीवन में नहीं होना चाहिए । <br /><br />{8}आठवां विचार -नाड़ी- का सही मिलान होने से --स्वास्थ दिनचर्या ,सम्बन्ध बनने पर एक दूसरे को हानि लाभ कितना रहेगा -इसका अनुमान लगाया जाता है ।क्या आयु के बिना वैवाहिक जीवन यत्तम हो सकता है । <br /><br />------नोट- क्या हमें अपनी संगनी चयन करने में ज्योतिष मदद नहीं करती है ?---क्या हमें दाम्पत्य सुख के लिए अष्टकूटों {जन्म कुण्डली का मिलान }के मिलान नहीं करने चाहिए ?दोस्तों संगनी आपके अनुकूल अवश्य ही होनी चाहिए किन्तु रूप ,रंग,धन के साथ -साथ और भी चीजों की जरुरत होती है । अतः वैवाहिक जीवन सुखमय हो अवश्य ही कुण्डली का विचार करने चाहिए । <br /><br />acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-37973150781960984512014-05-31T20:38:52.514-07:002014-05-31T20:38:52.514-07:00यदि आपकी कुंडली में कोई ग्रह उच्च राशी में है तो, ...यदि आपकी कुंडली में कोई ग्रह उच्च राशी में है तो, आपको क्या देगा ? यह जानिये ?<br />१. यदि सूर्य उच्च राशी मेष (१) में होगा तो , यह आपको ज्ञानियों में पूज्य बनाएगा, सहधर्मियों में नायक , भाग्यवान , धनवान , सुख भोगने वाला बना देता है।<br />२. यदि चन्द्रमा उच्च राशी वृषभ (२) होगा तो , वह जातक को समाज में सम्मान दिलाता है, साथ ही वह जातक को हंसमुख , चंचल , विलासी स्वभावबनाता<br />है।<br />३. मंगल के उच्च राशी मकर (१०) का होने पर जातक बलिष्ठ , और शूरवीर होता है, यह कर्तव्य शीतलता नहीं दिखाता है। जातक राज्य की सेवा में विशेष सफलता पाता है।<br />४. यदि बुध उच्च राशी कन्या (६) का होतो, जातक को यह कुशल सम्पादक , प्रसिद्ध लेखक या कवि बनाता है। यह यश -वृद्धि से संतुष्ट रहता है , तथा समाज में सम्मान पाता है।<br />५. यदि गुरु उच्च राशी कर्क (४) का हो तो , जातक चतुर , विवेक शील , सोच- समझकर कार्य करने वाला , ऐश्वर्य वान होता है।<br />६. यदि शुक्र उच्च राशी मीन (१२) का हो जातक संगीतज्ञ , अभिनेता , उन्नत भाग्य वाला होता है।<br />७. यदि शनि उच्च राशि तुला (७) का हो तो जातक को विशेष धन की प्राप्ति होती है , अचानक धन मिलता है , सट्टे , शेयर , या लॉटरी से धन लाभ।<br />८. यदि राहू उच्च का होतो, स्पष्ट वादी , गूढ़ विद्या की प्राप्ति होती। है<br />९. यदि केतू उच्च राशी का हो तो, राज्य में पदोन्नति पाता है. किन्तु जातक नीच, लम्पट, धोखेबाज़ दोस्तों से हानी पाने वाला , किसी टीम का नायक होता। हैacharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-63185254632909986462014-05-31T20:38:00.051-07:002014-05-31T20:38:00.051-07:00न्यायाधीश शनि...
मान्यता है कि सूर्य है राजा, बुध...न्यायाधीश शनि...<br /><br />मान्यता है कि सूर्य है राजा, बुध है मंत्री, मंगल है सेनापति, शनि है न्यायाधीश, राहू-केतु है प्रशासक, गुरु है अच्छे मार्ग का प्रदर्शक, चंद्र है आपका मन और शुक्र है वीर्य बल। यह भ्रांति मन से निकाल दें की कोई ग्रह व्यक्ति रूप में विद्यमान है। सारे ग्रह ठोस पदार्थ है, और यह भी सच है कि इनके प्रभाव से आप बच नहीं सकते हैं। बचाने वाले कोई और है।<br /><br />शनि के कार्य :<br /><br />जब समाज में कोई व्यक्ति अपराध करता है, पाप करता है या धर्म विरुद्ध आचरण करता है तो शनि के आदेश के तहत राहु और केतु उसे दंड देने के लिए सक्रिय हो जाते हैं। शनि की कोर्ट में दंड पहले दिया जाता है, बाद में मुकदमा इस बात के लिए चलता है कि आगे यदि इस व्यक्ति के चाल-चलन ठीक रहे तो दंड की अवधि बीतने के बाद इसे फिर से खुशहाल कर दिया जाए या नहीं।<br /><br />यदि चाल-चलन ठीक नहीं रहते हैं तो राहु और केतु को उक्त व्यक्ति के पीछे लगा दिया जाता है। राहु सिर में मार करता है तो केतु आपके पैरों को तोड़ने का प्रयास करता है। यदि इन दोनों से आप बचते रहे तो, कोर्ट, जेल या फिर अस्पताल में से किसी एक के या सभी के आपको चक्कर जरूर काटना पड़ेगा।<br /><br />शनि अर्थात न्यायाधीश के फरमान को उलटने का कार्य कोई भी ग्रह नहीं करता है। जब एक बार एफआईआर दर्ज हो गई तो फिर कुछ नहीं हो सकता। कहते हैं कि मंगल के उपाय करने से शनि शांत हो जाएगा तो यह मन को समझाने वाली बात मानी गई है। राजा भी शनि के कार्य में दखल नहीं देता।<br /><br />शनि या फिर राजा के पास सच्चे मन से ‘रहम अर्जी’ लगाई जाए तो कुछ हो सकता है। लेकिन किसी भी शनि मंदिर जाने से कुछ नहीं होगा। शनि के इस देश में केवल तीन ही मंदिर है वहीं अर्जी लगती है बाकी का कोई महत्व नहीं।<br /><br />शनि को यह पसंद नहीं-<br /><br />शनि को पसंद नहीं है जुआ-सट्टा खेलना, शराब पीना, ब्याजखोरी करना, परस्त्री गमन करना, अप्राकृतिक रूप से संभोग करना, झूठी गवाही देना, निर्दोष लोगों को सताना, किसी के पीठ पीछे उसके खिलाफ कोई कार्य करना, चाचा-चाची, माता-पिता और गुरु का अपमान करना, ईश्वर के खिलाफ होना, दांतों को गंदा रखना, तहखाने की कैद हवा को मुक्त करना, भैंस या भैसों को मारना, सांप, कुत्ते और कौवों को सताना।<br /><br />शनि के मूल मंदिर जाने से पूर्व उक्त बातों पर प्रतिबंध लगाएं।acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-3132729055493036832014-05-31T20:37:29.717-07:002014-05-31T20:37:29.717-07:00कुंडली के विशेष योग :-
१. चन्द्र+मंगल युती :- इस य...कुंडली के विशेष योग :-<br />१. चन्द्र+मंगल युती :- इस युति से चन्द्र-मंगल योग का निर्माण होता ,है जिसके फल स्वरुप जातक अपने जीवन में धनवान हो जाता है , यह जातक धन-संचय करने में बहुत प्रवीण होता है। जीवन में विविध स्त्रीयों से उसका संपर्क रहता है। इसका व्यवहार चालाकी भरा होता है। यदि कुंडली में चन्द्र-मंगल अकारक होगें तो फल बदल जाएगा। यह योग २, ९, १०, और ११ वे भाव में यह योग विशेष शुभ फल देता है।<br />(उदाहरण : श्री अशोक कुमार फिल्म अभिनेता , मेष लग्न (१) में राहू+शनि , २रे भाव में चन्द्र+मंगल , ५ वे भाव में शुक्र , ६ ठे भाव में सूर्य+बुध , ७वे भाव में गुरू +केतू )acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-66733203327097377402014-05-31T20:36:53.891-07:002014-05-31T20:36:53.891-07:00जानिये कौन घर से भागकर शादी (लव मैरीज़ ) करते है ?
...जानिये कौन घर से भागकर शादी (लव मैरीज़ ) करते है ?<br />१. यदि छठे , सातवे , आठवे भाव में तीनों भावों में पाप ग्रह हो।<br />२. चतुर्थ भाव अथवा चतुर्थ भाव के स्वामी पर पृथकतावादी ग्रहों यथा सूर्य, शनि , राहू का प्रभाव होतो , ये जातक घर से भागकर शादी करते है।<br />(उदाहरण : कुम्भ लग्न (११) दसरे भाव में केतू , पंचम भाव (५) में चन्द्रमा +गुरू , ६ ठे भाव (६) में मंगल , सातवे भाव (७) में शनि , आठवे भाव (८) में राहू , ग्यारवें भाव (११) में बुध , बारहवें भाव में (१२) सूर्य+शुक्र ) . इस स्नातक लड़की ने घर से भागकर शादी की। इस कुंडली में उपरोक्त दोनों योग है )acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-79065488593882168672014-05-31T20:36:42.512-07:002014-05-31T20:36:42.512-07:00क्या कहते हैं स्वराशी ग्रह ?
जब कुंडली में स्वराशी...क्या कहते हैं स्वराशी ग्रह ?<br />जब कुंडली में स्वराशी ग्रह होते है, तो वह जातक के जीवन में क्या फल देते है ?<br />१. सूर्य -यदि सूर्य स्वराशी सिंह (५) में, हो तो, जातक सुन्दर , धनवान, ऐश्वर्य शाली , परन्तु कामातुर तथा व्यभिचारी होता है।<br />२. चन्द्रमा -कर्क राशी (४) होतो, जातक को तेज तथा धन देता है . जातक सुन्दर और भाग्यशाली होता है। यह जातक अचानक धनवान बन जाता है।<br />३. मंगल -मेष (१) अथवा वृश्चिक (८) का होतो , जातक बलिष्ठ , साहसी , ख्याति प्राप्त होता है। यह जमीदार भी हो सकता है .<br />४. बुध -मिथुन (३) का होतो, जातक बुद्धिमान , विद्वान , कुशल लेखक व सम्पादक होता है। शास्त्रों में रूची।<br />५. गुरु- धनु (९) या मीन (१२) , जातक काव्य रसिक , चिकित्सा शास्त्री तथा सुखी जीवन जीने वाला होता है।<br />६. शुक्र-वृषभ (२) या तुला (७) का होतो, जातक स्वच्छंद स्वभाव का , धनी, गुणी , व समृद्ध होता है।<br />७. शनि - मकर (१०) , कुम्भ (११) का हो तो क्रोधी तथा पराक्रमी होता है। कष्ट में भी मुस्कराने वाला।<br />८. राहू -कन्या राशी (६) का होतो , जातक सुन्दर, भाग्य शाली , यशस्वी होता है।<br />९. केतू -मीन राशी (१२) का होतो, जातक कार्य निपुण , कर्मठ तथा सट्टे या लाटरी से अचानक धन-लाभ पाने वाला।<br />acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-41585945547162292542014-05-31T20:36:16.523-07:002014-05-31T20:36:16.523-07:00चिकित्सा ज्योतिष
मानव प्रकृति विवरण
शुक्रशोणितसं... चिकित्सा ज्योतिष<br /><br />मानव प्रकृति विवरण<br /><br />शुक्रशोणितसंयोगे यो भवेद्दोष उत्कटः।<br />प्रकृतिर्जायते तेन तस्या मे लक्षणं श्रृणु॥<br /><br />गर्भाधान के संयोग होते समय, जिस दोष की उत्कटता (अधिकता) होग़ी; उसी दोष के अनुसार भ्रूण में प्रकृति बनेगी। उसी के अनुसार जातक प्रकृति के लक्षण होंगे।<br /><br />वात प्रकृति :- >>><br />अल्पकेशः कृश रुक्षो वाचालश्चलमानसः।<br />आकाशचारी स्वप्नेषु वातप्रकृतिको नरः॥<br /><br />जिस व्यक्ति के केश छोटे छोटे, शरीर कृश व रुक्ष हो, जिसकी मानसिक प्रवृतियां चंचल एवं वाचाल हों, जो व्यक्ति स्वप्नों में वायुयानों में अथवा बिना किसी साधन के स्वयं हवा में उड़ता हो, ऐसे व्यक्ति वात प्रकृति के होते हैं।<br /><br />पित्त प्रकृति :- >>><br />अकालेपलितैर्व्याप्तो धीमान्स्वेदी च रोषणः।<br />स्वप्नेषु ज्योतिषां द्रष्टा पित्तप्रकृतिको नरः॥<br /><br />जिस व्यक्ति के केश युवावस्था में श्वेत हो गये हों, जो बुद्धिमान एवं क्रोधी, जिसे पसीना थोड़ा परिश्रम करने पर ही आ जाता है (पित्त प्रकृति मनुष्य को बहुत पसीना आता है), अवप्न में जो व्तक्ति आकाश में सूर्य, तारा मण्डल, विद्युत आदि (अर्थात अधिक अग्नि सम्बन्धि पदार्थ) देखता है वह व्यक्ति पित्त प्रकृति का होता है।<br /><br />कफ प्रकृति :- >>><br /><br />गम्भीर बुद्धिः स्थूलांग स्निग्ध केशो महाबल:।<br />स्वप्ने जलाशयालोकी श्लेष्मप्रकृति को नरः।<br /><br />जिस व्यक्ति के केश स्निग्ध, गम्भीर बुद्धि, शरीर भरा हुआ और अधिक बल युक्त हो, स्वप्न में तालाब, नदी, झील, आदि को देखता हो वह व्यक्ति कफ प्रकृति का होता है।<br /><br />मिश्र प्रकृति :- >>><br />ज्ञातवा मिश्रचिन्हैश्च द्वित्रिदोषोल्वणा नराः।<br /><br />जिस व्यक्ति में दो अथवा तीनों दोषों के कुछ कुछ लक्षण मिलते हों उसे मिश्र प्रकृति वाला व्यक्ति समझना चाहिए।<br />..............................................<br /><br />वात, पित्त, कफ़ दोष व मूत्र परीक्षा :-<br /><br />वातेन पाण्डुरं मूत्रं पीतं नीलं च पित्ततः।<br />रक्तमेव भवेद्रक्तात धवलं फेनिलं कफ़ात्॥<br /><br />> वायु के प्रकोप की अवस्था में मूत्र का रंग हलका पीलापन लिए हुए,<br />> पित्तप्रकोप मे अधिक पीला और नील वर्ण होता है,<br />> कफ़ की प्रकुपितावस्था में मूत्र सफ़ेद एवं फ़ेनयुक्त होता है।<br />> रक्तदोष होने पर लाल रंगत में होता है।acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-75520042009529477102014-05-31T20:35:30.736-07:002014-05-31T20:35:30.736-07:00कुंडली के विशेष योग :-
क्या कहते हैं ? नीच राशी के...कुंडली के विशेष योग :-<br />क्या कहते हैं ? नीच राशी के ग्रह :-<br />१. यदि सूर्य नीच राशी तुला (७) में हो तो, जातक पापी, साथियों की सहायता करने वाला , और नीच कर्म में तत्पर होता है।<br />२. चन्द्रमा नीच राशी वृश्चिक (८) तो जातक रोगी , धन का अपव्यय करने वाला तथा विद्वानों का संगी।<br />३. मंगल नीच राशी कर्क (४) में होतो, जातक की बुद्धि कुंठित होती है , इअसके सोचे हुए कार्य अधूरे रहते हैं। यह किसी का एहसान भूलने में देर नहीं करता है।<br />४. बुध नीच राशी मीन (१२)का होतो, जातक समाज द्रोही , बंधुओं के द्वारा अपमानित तथा चित्रकला आदि में प्रसिद्ध।<br />५. गुरु नीच राशी मकर (१०) का हो तो अपनी दशा में जातक को कलंकित करता है, तथा भाग्य के साथ खिलवाड़ करता रहता है।<br />६. शुक्र नीच राशी कन्या (६) का हो तो , जातक को मेहनत के बाद भी धन नहीं मिलता है. इसके कारण जातक को पश्चाताप होता रहता है।<br />७. शनि नीच राशी मेष (१) का हो तो, अपव्ययी , मद्यप , तथा पर स्त्री गामी होता है।<br />८. राहू नीच राशी का होने पर जातक मुकदमें जीतने वाला , लेकिन धन प्राप्त नहीं होता है।<br />९. केतू नीच राशी का होने पर जातक मलिन मन का , दुर्बुद्धि और कष्ट सहन करने वाला होता है।<br />(राहू , केतू की नीच राशी में विवाद रहता है, इसलिए नहीं बताये गये है )acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-20097348484584170322014-05-27T18:26:44.066-07:002014-05-27T18:26:44.066-07:0018- शनि जयंती के दिन इन 10 नामों से शनिदेव का पूजन...18- शनि जयंती के दिन इन 10 नामों से शनिदेव का पूजन करें-<br /><br />कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।<br />सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।। <br /><br />अर्थात: 1- कोणस्थ, 2- पिंगल, 3- बभ्रु, 4- कृष्ण, 5- रौद्रान्तक, 6- यम, 7, सौरि, 8- शनैश्चर, 9- मंद व 10- पिप्पलाद। इन दस नामों से शनिदेव का स्मरण करने से सभी शनि दोष दूर हो जाते हैं।acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-54039272103069186932014-05-27T18:20:38.777-07:002014-05-27T18:20:38.777-07:009- शनि जयंती के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद सवा...9- शनि जयंती के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद सवा किलो काला कोयला, एक लोहे की कील एक काले कपड़े में बांधकर अपने सिर पर से घुमाकर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें और किसी शनि मंदिर में जाकर शनिदेव से प्रार्थना करें।<br /> <br />10- शनि जयंती के दिन एक कांसे की कटोरी में तिल का तेल भर कर उसमें अपना मुख देख कर और काले कपड़े में काले उड़द, सवा किलो अनाज, दो लड्डू, फल, काला कोयला और लोहे की कील रख कर डाकोत (शनि का दान लेने वाला) को दान कर दें। ये उपाय अन्य किसी शनिवार को भी कर सकते हैं।acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-69968017558771497102014-05-27T18:18:06.856-07:002014-05-27T18:18:06.856-07:007- शनि जयंती के दिन अपने दाहिने हाथ के नाप का उन्न...7- शनि जयंती के दिन अपने दाहिने हाथ के नाप का उन्नीस हाथ लंबा काला धागा लेकर उसको बटकर माला की भांति गले में पहनें। इस प्रयोग से भी शनिदेव का प्रकोप कम होता है।<br /> <br />8- चोकर युक्त आटे की 2 रोटी लेकर एक पर तेल और दूसरी पर शुद्ध घी लगाएं। तेल वाली रोटी पर थोड़ा मिष्ठान रखकर काली गाय को खिला दें। इसके बाद दूसरी रोटी भी खिला दें और शनिदेव का स्मरण करें।acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-46787935284169356142014-05-27T18:12:44.966-07:002014-05-27T18:12:44.966-07:005- शनि जयंती और प्रत्येक शनिवार के दिन बंदरों और क...5- शनि जयंती और प्रत्येक शनिवार के दिन बंदरों और काले कुत्तों को बूंदी के लड्डू खिलाने से भी शनि का कुप्रभाव कम हो जाता है अथवा काले घोड़े की नाल या नाव में लगी कील से बना छल्ला धारण करें।<br /> <br />6- शनि जयंती के एक दिन पहले यानी मंगलवार की रात काले चने पानी में भिगो दें। शनि जयंती के दिन ये चने, कच्चा कोयला, हल्की लोहे की पत्ती एक काले कपड़े में बांधकर मछलियों के तालाब में डाल दें। यह टोटका पूरा एक साल करें। इस दौरान भूल से भी मछली का सेवन न करें।acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-23339312639530719082014-05-27T18:10:42.484-07:002014-05-27T18:10:42.484-07:0028 मई, बुधवार) शनि जयंती है।28 मई, बुधवार) शनि जयंती है।acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-15471042331613165812014-05-27T18:09:57.071-07:002014-05-27T18:09:57.071-07:003- शमी वृक्ष की जड़ को विधि-विधान पूर्वक घर लेकर आ...3- शमी वृक्ष की जड़ को विधि-विधान पूर्वक घर लेकर आएं। शनिवार के दिन श्रवण नक्षत्र में या शनि जयंती के दिन किसी योग्य विद्वान से अभिमंत्रित करवा कर काले धागे में बांधकर गले या बाजू में धारण करें। शनिदेव प्रसन्न होंगे तथा शनि के कारण जितनी भी समस्याएं हैं, उनका निदान होगा। <br /> <br />4- शनिवार या शनि जयंती के दिन शनि यंत्र की स्थापना व पूजन करें। इसके बाद प्रतिदिन इस यंत्र की विधि-विधान पूर्वक पूजा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। प्रतिदिन यंत्र के सामने सरसों के तेल का दीप जलाएं। नीला या काला पुष्प चढ़ाएं ऐसा करने से लाभ होगा। acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-7122805707823305742014-05-27T18:08:20.220-07:002014-05-27T18:08:20.220-07:008 मई, बुधवार) शनि जयंती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार...8 मई, बुधवार) शनि जयंती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार शनिदेव को ग्रहों में न्यायाधीश का पद प्राप्त है। मनुष्य के अच्छे-बुरे कर्मों का फल शनिदेव ही देते हैं। जिस व्यक्ति पर शनिदेव की टेड़ी नजर पड़ जाए, वह थोड़े ही समय में राजा से रंक बन जाता है और जिस पर शनिदेव प्रसन्न हो जाएं वह मालामाल हो जाता है। जिस किसी पर भी शनिदेव की साढ़ेसाती या ढय्या रहती है, उसे उस समय बहुत ही मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। <br /><br />धर्म ग्रंथों के अनुसार शनि जयंती के दिन शनि देव को प्रसन्न करने के लिए किए गए विशेष उपायों का फल शीघ्र ही प्राप्त होता है। शनि जयंती के अवसर पर हम आपको बता रहे हैं शनिदेव को प्रसन्न करने कुछ खास तांत्रिक उपाय। ये उपाय करने से शनिदेव आप पर न सिर्फ प्रसन्न होंगे बल्कि आपकी किस्मत भी चमका देंगे। ये उपाय इस प्रकार हैं-<br /><br />1- काली गाय की सेवा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। शनि जयंती के दिन काली गाय के सिर पर रोली लगाकर सींगों में कलावा बांधकर धूप-आरती करें फिर परिक्रमा करके गाय को बूंदी के चार लड्डू खिला दें। ये उपाय आप कभी भी आपकी इच्छानुसार कर सकते हैं।<br /><br />2- शनि जयंती के दिन सूर्यास्त के बाद हनुमानजी का पूजन करें। पूजन में सिंदूर, काली तिल्ली का तेल, इस तेल का दीपक एवं नीले रंग के फूल का प्रयोग करें। ये उपाय आप हर शनिवार भी कर सकते हैं।acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-85013649076566788022014-05-27T08:45:12.200-07:002014-05-27T08:45:12.200-07:00आप अपनी राशिनुसार उपाय करें जिससे सभी प्रकार की सम...आप अपनी राशिनुसार उपाय करें जिससे सभी प्रकार की समस्याएं जैसे रोग, आर्थिक समस्या, भय, नौकरी, व्यवसाय, मकान, वाहन, विवाह, संतान, प्रमोशन आदि संबंधित सभी समस्याओं का समाधान हो जाता है। आपको अपने कर्मों के आति उत्तम फल प्राप्त होने लगेंगे। इन रामबाण उपायों से निश्चित ही आपकी किस्मत बदल जाएगी। <br /><br />मेष- पक्षियों को दाना डालें।<br /><br />वृषभ- हनुमान जी को शुद्ध घी का दीपक अर्पित करें। जिसमें कच्चे सूत के कलावे की दोमुंही बत्ती हो।<br /><br />मिथुन- धन लाभ हेतु मछलियों को आटे की गोलियां दें।<br /><br />कर्क- चांदी की गाय बनवाकर किसी विद्वान ब्राह्मण से प्राण प्रतिष्ठिा करवा कर ब्राह्मण को ही दक्षिणा सहित दान दें।<br /><br />सिंह- सर्व कष्ट से मुक्ति हेतु गणेश जी की अराधना करें।<br /><br />कन्या- हनुमान जी को भोग अर्पित कर दर्शन करें।<br /><br />तुला- ताम्बे के पात्र में जल ले कर रोली मिला ले व सूर्य देव को अर्घ्य दें।<br /><br />वृश्चिक- घर में उत्तर या पूर्व दिशा में एक्वेरियम रखें।<br /><br />धनु- विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।<br /><br />मकर- शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति को दान दें।<br /><br />कुम्भ- काली मिर्च के 5 दाने अपने सिर से 7 बार उतारकर 4 दाने चारों दिशाओं में फेंक दें तथा पांचवे दाने को आकाश की ओर उछाल दें।<br /><br />मीन- किसी भी स्थान पर लाल पुष्प का पौधा लगाएं।acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-49579958305375140272014-05-27T08:44:14.367-07:002014-05-27T08:44:14.367-07:00मेष : मेष लग्न के कुंडली में सप्तम भाव का स्वामी श...मेष : मेष लग्न के कुंडली में सप्तम भाव का स्वामी शुक्र व राशि तुला होती है शुक्र विवाह का कारक है अत: सुंदर व सुशिक्षित वर प्राप्त होगा। शुक्र कला प्रेमी व सौंदर्य के प्रतीक हैं अत: वर घर की साज सज्जा पर विशेष ध्यान देगा।<br /><br />वृष : इस राशि का सप्तमेश मंगल व राशि वृश्चिक है, ऐसी कन्या का पति कम पढ़ा-लिखा, गुस्सैल व रूखे स्वभाव वाला होगा। ऐसे जातक का जीवन संघर्षमय होगा व अक्सर किसी न किसी परेशानी का सामना करते रहना होगा।<br /><br />मिथुन : इस लग्न की कन्या के सप्तम भाव में गुरु की राशि धनु होती है। ऐसी कन्या का पति सुंदर, गौरवशाली होगा। इनको अवज्ञा पसंद नहीं है, ऐसा होने पर ये बहुत क्रोधित हो जाते हैं। इस लग्न की कन्या बहू पुत्रवान होती है।<br /><br />कर्क : इस लग्न का स्वामी चंद्रमा व सप्तमेश शनि होते हैं। ऐसी कन्याओं के पति अध्ययन की बजाय शौकीन ज्यादा होते हैं, कन्या की आयु से उम्र में बड़ा होने की संभावना होती है, स्वभाव से क्रोधी व परा-शक्तियों में विश्वास करने वाला होता है। अपने आत्म-सम्मान की रक्षा हेतु वह किसी भी प्रकार का त्याग कर सकता है, परंतु अपने गर्व पर चोट सहन नहीं कर सकता।<br /><br />सिंह : इस लग्न की कन्या के सप्तम भाव में भी शनि की राशि कुंभ होती है, इस लग्न की कन्या का पति जीवन में अपने लक्ष्य की प्राप्ति हेतु कठिन से कठिन मेहनत करने वाला, बड़ों की सेवा करने वाला, परहित व दूसरों की भलाई करने वाला, गुणवान व श्रेष्ठ संतान का पिता होता है, ऐसा व्यक्ति अपना निर्माण स्वयं करता है।<br /><br />कन्या : इस लग्न वाली कन्या के सप्तम भाव में गुरु की मीन राशि होती है। ऐसी कन्या का पति आस्थावान, सुंदर, वाकपटु, धार्मिक वृत्ति वाला व भाग्यशाली होता है।<br /><br />तुला : तुला लग्न की कन्या का सप्तमेश मंगल व राशि मेष होती है। वर क्रोधी स्वभाव, जिद्दी, बात-बात पर कलह करने वाला व अशांत वातावरण बनाए रखने वाला होता है। ऐसा व्यक्ति हमेशा स्वयं के बारे में ही सोचता है किसी अन्य के बारे में नहीं,जो स्तर इस व्यक्ति का होता है उससे अधिक प्रदर्शन की आदत होती है यद्यपि इनका वैवाहिक जीवन सुखमय व सफल रहता है।<br /><br />वृश्चिक : इस लग्न की कन्या का सप्तमेश शुक्र व राशि वृष होती है। ऐसा व्यक्ति शांत स्वभाव, कर्मयोगी, किसी विशेष विधा में प्रवीण व भावुक किस्म का व्यक्ति होता है। इस कन्या के गुस्से व गर्म मिजाज को इसका पति सहजता से आत्मसात कर लेता है व दांपत्य-जीवन में मधुरता बनाए रखने का प्रयास करता रहता है।<br /><br />धनु : धनु लग्न की कन्या के सप्तम भाव में बुध की मिथुन राशि होती है, ऐसी कन्या का पति व्यावसायिक वृत्ति वाला, शालीन, उच्च विचार व भाग्यशाली होता है। सुंदरता का पुजारी व हमेशा साफ सफाई पसंद करने वाला होता है।<br /><br />मकर : इस लग्न की कन्या के सप्तम भाव में चंद्रमा की कर्क रशि होती है ऐसी कन्या का पति स्वभाव से जिद्दी व दोहरे स्वभाव वाला,मधुर वाणी व भावुक प्रवृति वाला होता है। अनुशासन,भय की बजाय भावनाओं से इन पर नियंत्रण किया जा सकता है। ऐसे व्यक्तियों में विषम परिस्थितियों को सहन करने की आदत कम होती है।<br /><br />कुम्भ : इस लग्न वाली कन्या का पति अपनी बात पर अडिग रहने वाला, स्वभाव से क्रोधी, दूसरों की सलाह नहीं मानने वाला होता है। सुंदरता से इन्हें कोई मतलब नहीं, प्रत्येक व्यक्ति से मेल-मुलाकात करना इनका स्वभाव होता है। ऐसा व्यक्ति किसी भी प्रकार से हर हालात को अपने अनुरूप करने में प्रवीण होता है। झूठ से इनको चिढ़ होती है।<br /><br />मीन : मीन लग्न वाली कन्या के सप्तमेश बुध व राशि कन्या होती है। वर सुंदर व मृदुभाषी होने के साथ-साथ कम बोलने वाला, हंसमुख स्वभाव व बात बात पर शरमाने वाला होता है। मन में अनेक इच्छाएं रखते हुए भी अपने व्यक्तित्व पर उन इच्छाओं को हावी नहीं होने देता है।acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-593386658693909970.post-43231416255862308882014-05-27T08:43:24.107-07:002014-05-27T08:43:24.107-07:00सर्वाबाधा प्रशमनम् त्रैलोकस्याखिलेश्वरी एवमेव त्वय...सर्वाबाधा प्रशमनम् त्रैलोकस्याखिलेश्वरी एवमेव त्वया कार्यमस्म वैरिविनाशनम्<br /><br />देवी बगलामुखी दस महाविद्याओं में से एक हैं। ज्योतिष शस्त्र के अनुसार माता बगलामुखी का संबंध ग्रह वृहस्पति अर्थात गुरु से है। देवी बगलामुखी का वर्ण पीला है जो गुरु वृहस्पति को संबोधित करता है। ऐसी मान्यता है देवी बगलामुखी की उपासना शत्रु बाधा से मुक्ति के लिए की जाती है। कालपुरुष सिद्धांत के अनुसार जातक की कुण्डली में देव गुरु वृहस्पति का पक्का स्थान बारहवां है और वेधा स्थान छठा है तथा वो आठवें स्थान में अनिष्टकारी फल देते हैं।<br /><br />अतः ये तीनों स्थान कुण्डली के त्रिक भाव कहे गए हैं। कुण्डली का बारहवां स्थान व्यक्ति के खर्चों और गुप्त शत्रुओं को संबोधित करता है। कुण्डली का छठा स्थान शत्रु और रोगों को संबोधित करता है तथा कुण्डली का आठवां स्थान मृत्यु को संबोधित करता है। देवी बगलामुखी की साधना से व्यक्ति को शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है, धन हानी से छुटकारा मिलता है और रोगों का शमन होता है तथा साधक के प्राणों की रक्षा होती है।<br /><br />मंत्र:<br />ॐ ह्लीँ बगलामुखी सर्वदुष्टानाम् वाचम् मुखम् पदम् स्तंभय जिह्ववाम् कीलय बुद्धि विनाशय ह्लीँ फट स्वाहा।<br /><br />रुद्रमाल तंत्र अनुसार माता बगलामुखी शिव की अर्धांगिनी हैं तथा पीत वरण (पीले रूप) में इन्हें बगलामुखी और भगवान शंकर को बाग्लेश्वर कहा जाता है। इनका बीज मंत्र है "ह्लीँ" इसी बीज से देवी दुश्मनों का पतन करती है। देवी बगलामुखी की साधना को दुशमनों का सफाया करने के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। बगलामुखी माता अपने भक्तों के शत्रुओं की बोलती बंद कर देती हैं जिससे वो भक्तों के विरूद्ध कुछ बोल नहीं पाते और दुश्मनों के सोचने विचरने की शक्ति का भी हनन कर देती हैं। जिससे विरोधी भक्तों के बारे मे कोई षडयंत्र भी नहीं रच पाते। मां बगलामुखी का यंत्र मुकदमों में सफलता तथा सभी प्रकार की उन्नति के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। ऐसा शास्त्रों में वर्णन हैं की इस यंत्र में इतनी क्षमता है कि यह भयंकर तूफान से भी टक्कर लेने में समर्थ है। देवी बगलामुखी की साधना से भक्तों की दुष्टों से रक्षा होती है तथा मुकदमे और कोर्ट केस में जीत मिलती है।<br /><br />देवी बगलामुखी से संबंधित अचूक उपाय<br />1. देवी बगलामुखी के चित्र के आगे पीले कनेर के फूल चढाएं।<br /><br />2. गुरुवार के दिन 8 ब्राहमणों को इच्छानुसार चना दाल दान करें।<br /><br />3. सरसों के तेल में हल्दी मिलाकर देवी बगलामुखी के चित्र के आगे दीपक जलाएं।<br /><br />4. सैंधें नमक से देवी बगलामुखी का "ह्लीं शत्रु नाशय" मंत्र से हवन करें।<br /><br />5. लाल धागे में 8 नींबू पिरोकर देवी बगलामुखी के चित्र पर माला चढ़ाएं।<br /><br />6. देवी बगलामुखी के चित्र के आगे पीली सरसों के दाने कर्पूर में मिलाकर जलाएं।<br /><br />7. गुरुवार के दिन सफ़ेद शिवलिंग पर "ह्लीं बाग्लेश्वराय" मंत्र बोलते हुए पीले आम के फूल चढ़ाएं।<br /><br />8. शनिवार के दिन काले रंग के शिवलिंग पर हल्दी मिले पानी से अभिषेक करें।<br /><br />9. सफ़ेद शिवलिंग पर "ॐ ह्लीँ नमः" मंत्र का उच्चारण करते हुए शहद से अभिषेक करें।acharya astrohttps://www.blogger.com/profile/16266203751186367786noreply@blogger.com