Friday, July 25, 2014

Madad Karo Santoshi Mata

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  1. तरीके से रखा जाता है हरितालिका तीज व्रत
    हर​तालिका तीज व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना जाता है. यह व्रत बेहद ही कठिन व्रत होता है. इसे दो प्रकार से किया जाता है. एक निर्जला और दूसरा फलहारी. निर्जला व्रत में पानी नहीं पीते है, इसके साथ ही अन्न या फल कुछ भी ग्रहण नहीं करते हैं, वहीं फलाहारी व्रत रखने वाले लोग व्रत के दौरान जल पी सकते हैं और फल का सेवन करते हैं, जो कन्याएं निर्जला व्रत नहीं कर सकती हैं तो उनको फलाहारी व्रत करना चाहिए.

    हरितालिका तीज व्रत का महत्व
    हरितालिका तीज व्रत को फलदायी माना जाता है. उत्तर भारत में इस व्रत की बहुत अधिक महत्व है. अगर कोई कुंवारी कन्याएं अपने विवाह की कामना के साथ इस व्रत को करती है तो भगवान शिव के आशीर्वाद से उसका विवाह जल्द हो जाता है. साथ ही यह भी कहा जाता है कि अगर कोई कुंवारी कन्या मनचाहे पति की इच्छा से हरतालिका तीज व्रत रखती है तो भगवान शिव के वरदान से उसकी इच्छा पूर्ण होती है. मान्यता है जो महिलाएं इस व्रत को सच्चे मन से करती हैं उसे अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद प्राप्त होता है. यह त्योहार मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान में मनाया जाता है. वहीं, कुछ दक्षिणी राज्यों में इस व्रत को गौरी हब्बा के नाम से भी जाना जाता है.

    हरतालिका पूजा के लिए सुबह का समय बहुत शुभ माना जाता है. हालांकि यदि किसी कारणवश यदि प्रातः काल के मुहूर्त में पूजा नही हो पाती है तो फिर प्रदोषकाल में पूजा की जा सकती है. हरतालिका तीज पर पूरा दिन निर्जला व्रत रखने के बाद शाम के समय चौकी पर मिट्टी के शिव-पार्वती व गणेश जी की पूजा की जाती हैं. पूजा के समय सुहाग का सामान, फल पकवान, मेवा व मिठाई आदि चढाई जाती है. पूजन के बाद रात भर जागरण किया जाता है, इसके बाद दूसरे दिन सुबह गौरी जी से सुहाग लेने के बाद व्रत तोड़ा जाता है.

    हरितालिका तीज व्रत की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
    हरितालिका तीज व्रत का विशेष महत्व है. माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए यह कठिन व्रत रखा था, इसके बाद से महिलाओं द्वारा इस दिन व्रत और पूजन करने की परंपरा है. हरतालिका तीज व्रत 21 अगस्त यानि कल है. हरतालिका तीज की पूजा मूहूर्त में होनी शुभ होती है. ऐसे में 21 अगस्त को सुबह हरतालिका पूजा मूहूर्त सुबह 5 बजकर 54 मिनट से सुबह 08 बजकर 30 मिनट तक रहेगा. वहीं दूसरा प्रदोषकाल में हरतालिका तीज की पूजा का शुभ मूहूर्त शाम 06 बजकर 54 मिनट से शुरू होकर रात 09 बजकर 06 मिनट तक रहेगा.

    क्यों रखा जाता है हरितालिका व्रत
    हरितालिका तीज व्रत कल है. मान्यता है कि देवी पार्वती की सहेली उन्हें उनके पिता के घर से हर कर घनघोर जंगलों में ले आई थी, इसलिए इस दिन को हरतालिका कहते हैं. यहां हरत का मतलब हरण और आलिका का मतलब सहेली या सखी है. इसीलिए इस व्रत का नाम हरतालिका व्रत कहा जाता है. उस दिन भगवान शंकर ने पार्वती जी को यह कहा कि जो कोई भी स्त्री इस दिन परम श्रद्धा से व्रत करेगी उसे तुम्हारी तरह ही अचल सुहाग का वरदान प्राप्त होगा.


    किस नक्षत्र में पूजा करने का है विशेष महत्व
    आज द्वितीया तिथि है. द्वितीया तिथि आज गुरुवार को सुबह 6 बजकर 18 मिनट से शुरू हो गया है. वहीं, रात 4 बजकर 14 मिनट तक रहेगा. जिसमें महिलाएं पूरे दिन समयानुसार नहाय खाय क

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  3. *पितृ पक्ष में ऐसे करें अपने पित्तरों को प्रसन्न और पाएं पितृ दोष से मुक्ति*
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    ✍🏻पितृ पक्ष १ सितंबर २०२० से प्रारंभ हो रहे हैं कि यह समय पित्तरों को प्रसन्न करने और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उत्तम माना जाता है। इसके साथ ही यह समय पितृ दोष से मुक्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। यदि आप भी पितृ दोष से पीड़ित हैं और इससे मुक्ति चाहते हैं तो आपको पितृ पक्ष में कुछ उपाय अवश्य करने चाहिए तो चलिए जानते हैं पितृ पक्ष में पितृ दोष से मुक्ति के उपाय...
    ✍🏻पितृ पक्ष में पित्तरों का श्राद्ध और उनका तर्पण किया जाता है। जिससे वह हमेशा हम सभी पर अपनी कृपा बनाएं रखें। लेकिन क्या आप जानते हैं यह समय पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए भी विशेष माना जाता है। यदि आप भी पितृ दोष से पीड़ित हैं और इस दोष से छुटकारा पाना चाहते हैं तो आज हम आपको कुछ ऐसे सरल उपाय बताएंगे। जिसे यदि आप पितृ पक्ष में करते हैं तो आप इस दोष से हमेशा के लिए मुक्त हो जाएंगे।
    *पितृ दोष के उपाय:-*
    *१:-* पितृ पक्ष में रोज पित्तरों के निमित जल, जौं और काले तिल और पुष्प के साथ पित्तरों का तर्पण करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष दूर होता है।
    *२:-* श्राद्ध पक्ष में अपने पित्तरों की मृत्यु तिथि पर किसी ब्राह्मण को अपने पूर्वजों की पसंद का भोजन अवश्य कराएं। ऐसा करने से भी पित्तरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.!
    *३:-* पितृ पक्ष में अपने पित्तरों के नाम से श्रीमद भागवत कथा, भागवत गीता, गरूड़ पुराण, नारायण बली, त्रिपिंडी श्राद्ध, महामृत्युंजय मंत्र का जाप ओर पितर दोष की शांति कराने से भी पित्तरों को शांति प्राप्त होती है.!
    *४:-* श्राद्ध पक्ष में गया जी जाकर अपने पित्तरों का श्राद्ध अवश्य करें। ऐसा करने से भी आपके पितृ शांत होते हैं और आपको पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
    *५:-* यदि आपको अपने पित्तरों की मृत्यु तिथि नहीं पता है तो आप सर्व पितृ अमावस्या पर उनका श्राद्ध कर सकते हैं। ऐसा करने से भी आपको पितृ दोष से मु्क्ति मिलती है।
    *६:-* आपको सर्व पितृ अमावस्या और हर अमावस्या पर किसी पवित्र नदी में स्नान अवश्य करना चाहिए और योग्य ब्राह्मण से अपने पित्तरों का श्राद्ध कराना चाहिए और 13 ब्राह्मणों को भोजन कराकर उन्हें अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा देनी चाहिए।
    *७:-* पितृ पक्ष में आपको कौवों को भोजन अवश्य कराना चाहिए। क्योंकि माना जाता है कि इस समय में हमारे पितृ कौवों का रूप धारण करके धरती पर उपस्थित रहते हैं।
    *८:-* आपको पितृ पक्ष में गाय की सेवा अवश्य करनी चाहिए। आपको गाय को भोजन करना चाहिए और किसी गऊशाला में भी दान अवश्य देना चाहिए। ओर पितर पक्ष में पंचबलि चींटी, कुत्ता, गाय, देवादि ओर कौआ यह अबश्य देनी चाहिए।
    *"ज्योतिष शास्त्र, वास्तुशास्त्र, वैदिक अनुष्ठान व समस्त धार्मिक कार्यो के लिए संपर्क करें:-*कॉल 9872414003

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