Thursday, April 11, 2019

नवरात्र की अष्ठमी तिथि शुक्रवार 12 अप्रैल से दिन में 1:24 से प्रारम्भ होकर 13 अप्रैल को दिन में 11:42 तक है। अतः अष्ठमी का हवन और कन्या पूजन 13 अप्रैल को दिन में 11:42 तक और नवमी का हवन कन्या पूजन 13 अप्रैल दिन से, 14 अप्रैल को प्रातः 09:36 तक करना श्रेष्ठ है

8 comments:

  1. *भगवान श्री राम महासागर को सुखाने के लिए धनुष में जो तीर लगाते हैं, उसे किस दिशा में और क्यों छोड़ा जाता है?*
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    *राम भगवान जब अपनी वानर सेना के साथ लंका का विनाश करने के लिए जा रहे थे। तभी रामेश्वरम पहुँच कर जब लंका के रास्ते में समुद्र आ गया तो पूरी सेना का उत्साह भांग हो गया।*

    *तब लक्ष्मण जी ने राम जी से स्वयं के द्वारा समुद्र सुखाने का निवेदन किया, लेकिन राम जी ने इसके विषय में पहले सबसे मंत्रणा की, तब विभीषण जी ने कहा, "प्रभु, सागर का नाम अपने पूर्वज सगर पर ही पड़ा है और वो आपके कुल गुरु है ऐसे में उचित तो ये ही होगा की आप उनसे रास्ता मांगे और वो दे भी देंगे जो की उचित तरीका होगा.*

    *राम जी ने ऐसा ही किया और समुद्र तट पर बैठकर अपने कुल गुरु की उपासना की लेकिन घमंड के मद में सागर ने राम जी पूजा पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, और तीन दिन बीत गए तब राम जी ने कहा "भय बिन होये न प्रीत... ""*
    *तब राम जी ने अपना धनुष उठाया और समुद्र को सोख ले ऐसा अश्त्र चढ़ा कर समुद्र को सुखाने ही वाले थे, ये देख समुद्र के सभी जीव मचलने लगे और तुरंत ही समुद्र देव प्रकट हुए और माफ़ी माँगी। साथ ही मयदानव के पुत्र नल के द्वारा नल-सेतु बनाने का उपाय बताया जो की सब को समझ में आ गया।*

    *लेकिन राम जी ने कहा कि जो बाण धनुष पर चढ़ जाए उसे वापस नहीं लिया जा सकता, तो एक और समस्या खड़ी हो गई, तब समुद्र ने राम जी को वो क्षेत्र बताया जहाँ पापी निवास करते थे और राम जी ने अपना वो अस्त्र वंही छोड़ दिया। जिसके तुरंत बाद ही वहाँ की पुरी हरियाली सुख गई और वंहा मरुस्थल बन गया लेकिन साथ ही वंहा अमूल्य रत्नो के भी भण्डार बन गए*

    *वाल्मीकि रामायण की माने तो वो ही क्षेत्र सहारा, अरेबिक और थार मरुस्थल है जहाँ पहले कभी हरियाणी भी थी ये वैज्ञानिक दावा करते रहते है। सोचिये समुद्र को सुखाने वाला धनुष जमीन पर पड़ा तो वहाँ रेगिस्तान हो गया अगर समुद्र में पड़ता तो 7 समुद्र खाली हो गए होते।*
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  2. 🌙🕉चन्द्र के अशुभ होने के पूर्व संकेत🕉

    • जातक की कोई चाँदी की अंगुठी या अन्य आभूषण खो जाता है या जातक मोती पहने हो, तो खो जाता है ।
    • जातक के पास एकदम सफेद तथा सुन्दर वस्त्र हो वह अचानक फट जाता है या खो जाता है या उस पर कोई गहरा धब्बा लगने से उसकी शोभा चली जाती है ।
    • व्यक्ति के घर में पानी की टंकी लीक होने लगती है या नल आदि जल स्रोत के खराब होने पर वहाँ से पानी व्यर्थ बहने लगता है । पानी का घड़ा अचानक टूट जाता है ।
    • घर में कहीं न कहीं व्यर्थ जल एकत्रित हो जाता है तथा दुर्गन्ध देने लगता है ।

    उक्त संकेतों से निम्नलिखित विषयों में अशुभ फल दे सकते हैं:

    • माता को शारीरिक कष्ट हो सकता है या अन्य किसी प्रकार से परेशानी का सामना करना पड़ सकता है ।
    • नवजात कन्या संतान को किसी प्रकार से पीड़ा हो सकती है ।
    • मानसिक रुप से जातक बहुत परेशानी का अनुभव करता है ।
    • किसी महिला से वाद-विवाद हो सकता है ।
    • जल से जुड़े रोग एवं कफ रोगों से पीड़ा हो सकती है । जैसे – जलोदर, जुकाम, खाँसी, नजला, हेजा आदि ।
    • प्रेम-प्रसंग में भावनात्मक आघात लगता है ।
    • समाज में अपयश का सामना करना पड़ता है । मन में बहुत अशान्ति होती है ।
    • घर का पालतु पशु मर सकता है ।
    • घर में सफेद रंग वाली खाने-पीने की वस्तुओं की कमी हो जाती है या उनका नुकसान होता है । जैसे – दूध का उफन जाना ।
    • मानसिक रुप से असामान्य स्थिति हो जाती है ।✍आचार्य धनीराम🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻

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  3. 🌕🕉मंगल के अशुभ होने के पूर्व संकेत🕉

    • भूमि का कोई भाग या सम्पत्ति का कोई भाग टूट-फूट जाता है ।
    • घर के किसी कोने में या स्थान में आग लग जाती है । यह छोटे स्तर पर ही होती है ।
    • किसी लाल रंग की वस्तु या अन्य किसी प्रकार से मंगल के कारकत्त्व वाली वस्तु खो जाती है या नष्ट हो जाती है ।
    • घर के किसी भाग का या ईंट का टूट जाना ।
    • हवन की अग्नि का अचानक बन्द हो जाना ।
    • अग्नि जलाने के अनेक प्रयास करने पर भी अग्नि का प्रज्वलित न होना या अचानक जलती हुई अग्नि का बन्द हो जाना ।
    • वात-जन्य विकार अकारण ही शरीर में प्रकट होने लगना ।
    • किसी प्रकार से छोटी-मोटी दुर्घटना हो सकती है ।🙏

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  4. 🌍🕉बुध के अशुभ होने के पूर्व संकेत🕉

    • व्यक्ति की विवेक शक्ति नष्ट हो जाती है अर्थात् वह अच्छे-बुरे का निर्णय करने में असमर्थ रहता है ।
    • सूँघने की शक्ति कम हो जाती है ।
    • काम-भावना कम हो जाती है । त्वचा के संक्रमण रोग उत्पन्न होते हैं । पुस्तकें, परीक्षा ले कारण धन का अपव्यय होता है । शिक्षा में शिथिलता आती है

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  5. 🏵🕉गुरु के अशुभ होने के पूर्व संकेत🕉

    • अच्छे कार्य के बाद भी अपयश मिलता है ।
    • किसी भी प्रकार का आभूषण खो जाता है ।
    • व्यक्ति के द्वारा पूज्य व्यक्ति या धार्मिक क्रियाओं का अनजाने में ही अपमान हो जाता है या कोई धर्म ग्रन्थ नष्ट होता है ।
    • सिर के बाल कम होने लगते हैं अर्थात् व्यक्ति गंजा होने लगता है ।
    • दिया हुआ वचन पूरा नहीं होता है तथा असत्य बोलना पड़ता

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  6. ज्योतिष विद्या में अनेक विधा है उसी में एक विधा लाल किताब को माना गया है लाल किताब यवन आचार्यों की देन है उन्होंने हिन्दू धर्म को ओर ज्योतिष को समझकर लाल किताब की पुस्तक लिखी है

    पहले यहाँ ये जरूर समझ ले की लाल किताब है क्या वह फलित में क्या बताना चाहती है उसके उपाय का रीजन क्या है लाल किताब का फलित का नियम क्या है
    लाल किताब आपके पिछले कर्मो के हिसाब को बताता है लाल किताब के अनुसार कोई भी जीव मृत्यु लोक में जन्म लेता है वह किसी न किसी के ऋण को चुकाने के लिए आता है वह ऋण किसी श्राफ के रूप में हो या आपके मोह का ऋण हो या फिर आपके पिछले जन्म का कोई कर्ज हो ये सब लाल किताब बताने में समर्थ है इसके आलवा कभी कभी यह भी होता है कि आपने कोई पाप या ऋण न हो वह भी भुक्तना पड़ता है वह ऋण लाल किताब में पूर्वजों का होता है इस संदर्भ में लाल किताब में लिखा है कि कोई अपराध करें और कोई भुक्तते
    इसी प्रकार रामचरित मानस में अयोध्या कांड में एक दोहा लिखा है कि औरु करै अपराधु कोउ और पाव फल भोगु।
    अति बिचित्र भगवंत गति को जग जानै जोगु॥77॥
    इसका भावार्थ यह कि अपराध तो कोई और ही करे और उसके फल का भोग कोई और ही पावे । भगवान की लीला बड़ी ही विचित्र है, उसे जानने योग्य जगत मे कौन है।
    ऐसे दोष को लाल किताब में पितृ ऋण या पितृ दोष के रूप में मानते है
    आओ कुछ कथाओं के माध्यम से समझते हैं
    एक बार नारद मुनि जी एक बार भगवान विष्णु की माया से प्रेरित होकर एक स्त्री (विश्वसुंदरी) पर मोहित हो गए थे और वह भगवान विष्णु के पास गए ओर विष्णु भगवान से बोले कि आप अपनी सुंदरता दे दो तो भगवान ने उनका रूप बंदर जैसा बना दिया जब स्वयंवर में नारद गए वह उनकी हँसी उड़ाई गई जब सब माजरा समझ में आया तो भगवान को श्राफ दे दिया कि जैसे हम स्त्री के विरह में दुखी है वैसे ही आप दुखी होंगे और मेरा बंदर जैसा रूप बनाया है वही बन्दर आपकी सहायता करेंगे जब त्रेता युग मे भगवान राम का जन्म हुआ उसी श्राफ का पालन भगवान विष्णु के रूप में रामायण काल मे भगवान राम जी ने किया

    इसी संदर्भ में धर्मराज की कहानी है कि जब माण्डवय मुनि 07 वर्ष के थे तो वह तितलियों के काटे चुवा देते थे इस अपराध का दंड जब वह बृद्ध हो गए और एक आश्रम पर तप कर रहे थे उसी समय किसी राजा के यहाँ चोरी हो गई वह चोर सामान उनके आश्रम में छिपा दिया तभी राजा के सिपाही उस मुनि को चोर समझकर ले गए ध्यान में वैठे मुनि को शूली पर चढ़ा दिया मुनि की मृत्यु हो गई वह धर्मराज के पास गए तो धर्मराज से पूछा कि मेरे किस अपराध की सजा दी आपने इस प्रश्न उत्तर धर्मराज जी ने दिया और कहा कि तुमने 7 वर्ष की उम्र में जो अपराध किया है उसी का दंड है तो मुनि बोले कि 7 वर्ष की उम्र का अबोध बालक होता है इसका कोई दंड नही होता है इसलिए में आपको श्राफ देता हूँ तुम मृत्यु लोक में जन्म लो और दुख भोगो वही धर्मराज युधिष्ठिर हुए और दुःख भोगा
    इसी तरह गंगा नदी की कथा है भीष्मपितामह की विदुर जी की कथा है भगवान शिव की पत्नी सती के रूप में माता पार्वती जी की कथा है माता पार्वती ने हिमालय के यहाँ जन्म लेकर पुनः शिवजी को पति रूप में पाया है ऐसे कई उदाहरण हमारे धर्मग्रंथों में मिलते है

    यदि हम गरुण पुराण में देखे तो उसमें भी लिखा है कौन से अपराध करने से अगले जन्म में क्या दुख भोगना पड़ता है जैसे गरुण पुराण में एक उदाहरण के रूप में बताते हैं कि आपने यदि सोने की चोरी की है तो आपको अगले जन्म में बबासीर का रोग होगा
    ओर गरूण पुराण के धर्म कांड में यह भी वर्णन है किस अपराध के दंड से कैसे मुक्त हो उसका उपाय क्या करें यह सभी बातें गरूण पुराण विस्तार से बताया गया है
    ये सभी बातें लाल किताब से मालूम होती हैं कि मेरे किस अपराध का दंड मिल रहा है उसके हिसाब से ये उपाय करें तो लाभ है लाल किताब से एक उदाहरण लेते हैं यदि तुमने पीपल के बृक्ष कटे हुए हैं तो आप संतान को लेकर दुखी होंगे
    संतान संबंधित परेशानी के लिए लाल किताब में उपाय बताया है कि धर्म स्थान पर पीपल के बृक्ष लगाने से जातक को संतान का सुख मिलता है
    इस तरह लाल किताब में उपाय के रूप में ओर फल के रूप में बताते है

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  7. *एक पापी ग्रह जिसके शुभ होने पर आप बन सकते हैं धनवान*
    ✍🏻ज्योतिष शास्त्र में राहु ग्रह को एक पापी ग्रह की संज्ञा दी गई है। आमतौर पर कुंडली में राहु ग्रह का नाम सुनते ही लोगों के मन में भय उत्पन्न हो जाता है। परंतु कोई भी ग्रह शुभ या अशुभ नहीं होता है बल्कि उसका फल शुभ-अशुभ होता है। यदि कुंडली कोई ग्रह मजबूत स्थिति में होता है तो वह शुभ फल देता है। 
    *ज्योतिष में राहु:-* वहीं जब कमजोर स्थिति में होता है तो उसके फल नकारात्मक मिलते हैं। यहां हम राहु ग्रह की बात कर रहे हैं। राहु को अशुभ फल देने वाला ग्रह माना जाता है। लेकिन यह पूर्ण रूप से सत्य बात नहीं है। राहु कुंडली में शुभ होने पर शुभ फल भी देता है। इसके शुभ फल से व्यक्ति धनवान और राजयोग का सुख भी प्राप्त करता है। 
    *राहु ग्रह:-* कुंडली में राहु की शुभ स्थिति व्यक्ति की किस्मत को चमका देती है। राहु के शुभ प्रभाव से व्यक्ति कुशाग्र बुद्धि का होता है। बली राहु वाले व्यक्ति समाज में अपनी सम्मानित छवि को स्थापित करने में सफल होते हैं। ये अपने धर्म का पालन बहुत ही अच्छी तरह से करते हैं। हालांकि कुंडली में राहु की शुभ-अशुभ स्थिति इसके निश्चित स्थान अथवा शत्रु या मित्र ग्रहों के संग युति अथवा उनकी दृष्टि पर निर्धारित होती है।
    *राहु कुंडली मे:-* अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि, शुक्र और बुध लग्न भाव के स्वामी हैं तो राहु शुभ फल दे सकता है। राहु शुक्र, शनि और बुध का मित्र माना जाता है। वहीं अगर कुंडली में सूर्य, चंद्र, मंगल या चंद्रमा लग्न भाव के स्वामी हैं तो राहु से अशुभ फल मिल सकते हैं। क्योंकि राहु इन ग्रहों का शत्रु है।
    *राहु और केतु:-* वहीं जन्म कुंडली में राहु ग्रह का तीसरे, छठे और ग्यारहवें भाव में होना शुभ फलकारी होता है। कुंडली में राहु शुभ होने पर व्यक्ति एक मजबूत व्यक्तित्व का होता है। वह धर्म-कर्म के कार्यों में विशेष रुचि रखता है। ऐसे व्यक्ति धार्मिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में बेहद सफल माने जाते हैं। इनके पास धन की कोई कमी नहीं होती है और ये समाज में अपनी पहचान एक धनवान व्यक्ति के रूप में स्थापित करते हैं।
    *"कुंडली, वास्तुशास्त्र, वैदिक अनुष्ठान व श्रीमद्भागवत कथा के लिए संपर्क करे 9872414003

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