Sunday, September 11, 2011

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3 comments:

  1. आज के दौर में कई मौकों पर ऐसे युवा भी सामने आते हैं, जो ज्यादा पढ़े-लिखे होने पर भी निराशा या नाकामी से जूझते रहते हैं। नतीजतन, इससे उबरने या बचने के लिए जल्द ही गलत रास्ते भी चुन लेते हैं। असल में, इसके पीछे यह भी वजह नजर आती है कि आज के दौर में शिक्षा का मकसद उन विषयों पर ही टिक गया है, जिनसे ज्यादा से ज्यादा पैसा बटोर सुख-सुविधाओं के साथ ज़िंदगी गुजार सकें।

    शास्त्रों के बातों पर गौर करें तो सफल जिंदगी के लिए केवल धन की नहीं, बल्कि उस विद्या की अहमियत है, जो पैसा कमाने का हुनर सिखाने के साथ ही व्यक्ति को संस्कार व जीवन मूल्यों से भी जोड़कर रखती है। ये अहम बातें ही किसी व्यक्ति को ज़िंदगी के तमाम उतार-चढ़ावों में भटकाव से बचाकर मजबूत भी बनाती है। अर्थ या धन व गुण बढ़ाने वाली इस विद्या को पाने वाला ही असल मायनों में 'विद्यार्थी' पुकारा गया है।

    इस नजरिए से आज के कई युवा शिक्षित तो हो रहे हैं, लेकिन इस कवायद में सफल ज़िंदगी की बुनियाद संस्कारों व नैतिक मूल्यों को कायम रखने वाली 'विद्या' से दूरियां भी बन रहीं हैं। इस विद्या का सीधा संबंध धर्मशास्त्रों में उजागर उस ज्ञान से भी है, जो जीने का तौर-तरीका सिखाता है।

    संस्कृति व संस्कारों की जड़ों को मजबूत रखने व नई पीढ़ी के यशस्वी व सफल ज़िंदगी के मकसद को पूरा करने के लिए ही हम यहां धर्मग्रंथों के उसी ज्ञान व उपयोगी बातों को रोचक व आसान सवाल-जवाबों की सीरीज के रूप में प्रस्तुत कर रहें हैं, जो बच्चों, नौजवानों के साथ बड़ी उम्र के लोगों की भी हिन्दू या अन्य धर्मों से जुड़ी जानकारी बढ़ाएगी -

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  2. हिंदू धर्म मान्यताओं में भगवान विष्णु जगतपालक माने जाते हैं। धर्म की रक्षा के लिए हिंदू धर्मग्रंथ श्रीमद्भागवतपुराण के मुताबिक सतयुग से लेकर कलियुग तक भगवान विष्णु के 24 अवतार माने गए हैं। इनमें से दस प्रमुख अवतार 'दशावतार' के रूप में प्रसिद्ध हैं। ये दस अवतार हैं -

    1. मत्स्य अवतार - मछली के रूप में
    2. कूर्म अवतार - कछुए के रूप में
    3. वराह अवतार - सूअर के रूप में
    4. नरसिंह अवतार - आधे शेर और आधे इंसान के रूप में
    5. वामन अवतार - बौने ब्राह्मण के रूप में
    6. परशुराम अवतार - ब्राह्मण योद्धा के रूप में
    7. श्रीराम अवतार - मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में
    8. श्रीकृष्ण अवतार - 16 कलाओं के पूर्ण अवतार के रूप में
    9. बुद्ध अवतार - क्षमा, शील और शांति के रूप में
    10. कल्कि अवतार ( यह अवतार कलियुग के अंत में होना माना गया है) - सृष्टि के संहारक के रूप में

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  3. धर्म के नजरिए से माता-पिता की भावनाएं संतान के लिए गहरी और नि:स्वार्थ होती है। हालांकि आज के दौर में कई अवसरों पर माता-पिता और संतान के बीच अपेक्षा या महत्वाकांक्षा के चलते रिश्तों में तनाव व मनमुटाव भी देखा जाता है। लेकिन सच यही है कि माता-पिता और संतान के बीच रिश्तों का अटूट बंधन होता है।

    यही वजह है कि हर माता-पिता भी पुत्र हो या पुत्री दोनों के सुख, सुविधा और तरक्की की चाहत रखते हैं। इसके लिए वह जीवन भर हरसंभव कोशिश करते हैं, लेकिन अगर इस संबंध में धार्मिक उपायों की बात करें तो शास्त्रों में कुछ ऐसे सरल मंत्र बताए गए हैं, जिनका नियमित रूप से कुछ देर के लिए ध्यान संतान को तन, मन और धन सभी परेशानियों से बचाता है। खासतौर पर वर्तमान में चल रहे विष्णु भक्ति के काल वैशाख माह (25 मई तक) में।

    यह मंत्र भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान है, जिनका चरित्र माता-पिता और संतान के रिश्तों के लिए भी आदर्श है। साथ ही वह हर संकट से रक्षा करने वाले देवता के रूप में पूजनीय है। जानिए यह सरल मंत्र -

    - बालकृष्ण की गंध, अक्षत, फूल अर्पित कर पूजा करें और खासतौर पर मक्खन का भोग लगाएं। पूजा के बाद इस मंत्र का जप करें -

    श्री कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
    प्रणत: क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नम:।।

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