काले धागे में बिच्छू घास की जड़ को अभिमंत्रित करवा कर शनिवार के दिन श्रवण नक्षत्र में या शनि जयंती के शुभ मुहूर्त में धारण करने से भी शनि संबंधी सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
शनिवार के दिन इन10 नामों से शनिदेव का पूजन करें- कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:। सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।। अर्थात: 1- कोणस्थ, 2- पिंगल, 3- बभ्रु, 4- कृष्ण, 5- रौद्रान्तक, 6- यम, 7, सौरि, 8- शनैश्चर, 9- मंद व 10- पिप्पलाद। इन दस नामों से शनिदेव का स्मरण करने से सभी शनि दोष दूर हो जाते हैं।
एक वर्ष में सूर्य की दो स्थितियां होती हैं। एक है उत्तरायन और दूसरी है दक्षिणायन। यह स्थितियां लगभग 6-6 माह के लिए रहती हैं। यदि किसी स्त्री का जन्म सूर्य की उत्तरायन (सूर्य मकर संक्रांति 14 या 15 जनवरी से 17 जुलाई के आसपास तक उत्तरायन रहता है।) स्थिति में हुआ है तो वह सौभाग्यशाली, अच्छे रूप-रंग वाली, गुणवान, पुत्रवान, धनवान होती है। ऐसी स्त्रियां घर के कार्य करने में माहिर होती हैं। जिन स्त्रियों का जन्म सूर्य की दक्षिणायन (सूर्य 17 जुलाई के आसपास से मकर संक्रांति 14 या 15 जनवरी तक दक्षिणायन रहता है।) स्थिति में हुआ है वे अधिकांश समय किसी न किसी बीमारी से ग्रसित रहती हैं। उनका स्वभाव कुछ क्रोधी होता है तथा उनके सुख में कमी रहती है।
यदि किसी स्त्री का जन्म वसंत ऋतु (वसंत ऋतु प्रतिवर्ष मार्च-अप्रैल के आसपास रहती है।) में हुआ हो तो वह हृदय से पवित्र, धनवान और पुत्र वाली होती हैं। ऐसी स्त्री विद्वान और धर्म-कर्म की जानकारी रखने वाली होती हैं। इनका रूप-रंग आकर्षक होता है। सामान्यत: ऐसी स्त्रियां संगीत की जानकार होती हैं।
जिन स्त्रियों का जन्म ग्रीष्म ऋतु (ग्रीष्म ऋतु का समय प्रतिवर्ष लगभग अप्रैल-मई-जून तक रहता है।) मतलब गर्मी के दिनों में हुआ है वे क्रोधी स्वभाव की होती हैं। इन स्त्रियों को छोटी-छोटी बातों में ही क्रोध आ जाता है। सामान्यत: ऐसी स्त्रियां अन्य स्त्रियों से अधिक कामुक होती हैं। इनका शारीरिक लंबाई भी सामान्य से अधिक रहती है। स्वभाव से चतुर और बुद्धिमान होती हैं।
यदि किसी स्त्री का जन्म वर्षा ऋतु (वर्षा ऋतु का समय प्रतिवर्ष लगभग जून-जूलाई-अगस्त-सितंबर तक रहता है।) मतलब बारिश के दिनों में हुआ है तो वह किसी रानी के समान सुख पाने होती हैं। इन्हें जीवन में सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त हो जाती हैं। गृह कार्य में दक्ष होती हैं और घर-परिवार का ध्यान रखने वाली होती हैं। सामान्यत: ऐसी स्त्रियां सभी श्रेष्ठ गुणों वाली होती हैं। इनकी प्रकृति शीत की होती है।
यदि किसी स्त्री का जन्म शरद ऋतु (शरद ऋतु प्रतिवर्ष लगभग सितंबर-अक्टूबर-नवंबर तक रहता है।) में हुआ हो तो वह भाग्यशाली होती है और जीवन में सभी सुखों को प्राप्त करने वाली होती हैं। ये स्त्रियां धनवान, सभी कार्यों में समर्थ, हमेशा प्रसन्न रहने वाली एवं जीवन साथी का ध्यान रखने वाली होती है।
हेमंत ऋतु (हेमंत ऋतु का समय प्रतिवर्ष लगभग नवंबर-दिसंबर-जनवरी तक रहता है।) में जन्म लेने वाली स्त्रियां सामान्यत: छोटी गर्दन वाली होती हैं। किसी न किसी बात से भयभीत रहने वाली होती हैं। ऐसी स्त्रियां मेहमानों के प्रति निष्ठुर होती हैं। कभी-कभी ये कुछ अप्रिय शब्द भी बोल देती हैं।
पत्नी को बिना श्रृंगार किए अपने पति के सामने नहीं जाना चाहिए। जब पति किसी कार्य से परदेश गया हो तो उस समय श्रृंगार नहीं करना चाहिए। पतिव्रता स्त्री को कभी अपने पति का नाम नहीं लेना चाहिए। पति के भला-बुरा कहने पर भी चुप ही रहना चाहिए
जिन महिलाओं का जनम शिशिर ऋतु (शिशिर ऋतु का समय प्रतिवर्ष लगभग जनवरी-फरवरी-मार्च तक रहता है।) में हुआ है वे दिखने बहुत सुंदर होती हैं। इनके नेत्र मनोहारी होते हैं। स्वभाव से सर्वगुण संपन्न होती हैं एवं सभी कार्यों को करने में दक्ष होती हैं। हालांकि कभी-कभी ये स्त्रियां आलसी भी हो जाती हैं। इसके अलावा ये असावधान भी रहती हैं।
पति के बुलाने पर तुरंत उसके पास जाना चाहिए और पति जो आदेश दे, उसका प्रसन्नतापूर्वक पालन करना चाहिए। पतिव्रत स्त्री को घर के दरवाजे पर अधिक देर तक नहीं खड़ा रहना चाहिए।
ये तो प्रेम की बात है ऊद्धव, बंदगी तेरे बस की नहीं है यहां सर दे के होते हैं सौदे, आशिकी इतनी सस्ती नहीं है
प्रेम वालों ने कब वक्त पूछा उनकी पूजा में, सुन ले ऐ उद्धव यहां दम दम में होती है पूजा सर झुकाने की फुर्सत नहीं है ये तो प्रेम की बात है ऊद्धव, बंदगी तेरे बस की नहीं है जो असल में हैं मस्ती में डूबे उन्हें क्या परवाह ज़िंदगी की जो उतरती है, चढ़ती है मस्ती वो हकीकत में मस्ती नहीं है ये तो प्रेम की बात है ऊद्धव, बंदगी तेरे बस की नहीं है जिसकी नज़रों में हैं श्याम प्यारे वो तो रहते हैं जग से न्यारे जिसकी नज़रों में मोहन समाये वो नज़र फिर तरसती नहीं है ये तो प्रेम की बात है ऊद्धव, बंदगी तेरे बस की नहीं है यहां सर दे के होते हैं सौदे, आशिकी इतनी सस्ती नहीं है तुम कहाँ छुपे भगवान करो मत देरी | दुख हरो द्वारकानाथ शरण मैं तेरी ||
यही सुना है दीनबन्धु तुम सबका दुख हर लेते | जो निराश हैं उनकी झोली आशा से भर देते || अगर सुदामा होता मैं तो दौड़ द्वारका आता | पाँव आँसुओं से धो कर मैं मन की आग बुझाता || तुम बनो नहीं अनजान, सुनो भगवान, करो मत देरी | दुख हरो द्वारकानाथ शरण मैं तेरी ||
जो भी शरण तुम्हारी आता, उसको धीर बंधाते | नहीं डूबने देते दाता, नैया पार लगाते || तुम न सुनोगे तो किसको मैं अपनी व्यथा सुनाऊँ | द्वार तुम्हारा छोड़ के भगवन और कहाँ मैं जाऊँ || प्रभु कब से रहा पुकार, मैं तेरे द्वार, करो मत देरी | दुख हरो द्वारकानाथ शरण मैं तेरी |
कलियुग में हनुमानजी सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता माने गए हैं। इनकी कृपा से परेशानियों का नाश होता है और घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है। यहां जानिए हनुमानजी की कृपा पाने के उपाय... ये सभी उपाय किसी श्रेष्ठ मुहूर्त में किए जा सकते हैं... 1. सुबह स्नान आदि कर्मों से निवृत्त होकर किसी हनुमान मंदिर जाएं। मंदिर पहुंचकर पंचोपचार से हनुमानजी का पूजन करें। पूजन में लाल चंदन, लाल फूल, अक्षत अर्पित कर धूप व दीप से पूजा करें। 2. हनुमानजी को चमेली के तेल के साथ सिंदूर का चोला चढ़ाएं और लाल वस्त्र अर्पित करें। 3. हनुमान चालीसा का पाठ करें या श्रीराम नाम का जप करें। 4. हनुमान मंत्र ऊँ रामदूताय नम: का जप 108 बार करें। मंत्र जप के लिए रुद्राक्ष की माला की उपयोग करें। 5. हनुमानजी को गुड़-चने अर्पित करें। गेंहू के आटे और गुड़ से बने पकवान का भोग लगाएं। 6. पंचमुखी हनुमानजी के दर्शन करें और नारियल अर्पित करें। इसके बाद उनके चरणों के सिंदूर से अपने मस्तक पर तिलक लगाएं।
किसी शुभ मुहूर्त में हनुमान मंदिर में जाएं और अपने साथ एक नारियल लेकर जाएं। मंदिर में हनुमानजी की प्रतिमा के सामने नारियल को अपने सिर पर सात बार वार लें। इसके साथ हनुमान चालीसा का जप करते रहें। सिर पर वारने के बाद नारियल हनुमानजी के सामने फोड़ दें। इस उपाय से आपकी सभी बाधाएं दूर हो सकती हैं। दीपक का उपाय रात में किसी हनुमान मंदिर जाएं और वहां प्रतिमा के सामने में चौमुखा दीपक लगाएं। चौमुखा दीपक यानी दीपक चार ओर से जलाना है। दीपक में बत्तियां इस प्रकार लगाएं कि दीपक चार ओर से जलाया जा सके। हनुमान चालीसा का पाठ करें। ये बातें भी ध्यान रखें हनुमानजी के पूजन में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। यहां दिए गए उपाय करते समय व्यक्ति शरीर और मन की पवित्रता बनाए रखनी चाहिए। साथ ही, किसी भी प्रकार के अधार्मिक कर्म से दूर रहें। माता-पिता और वृद्धजन का सम्मान करें। जब भी मंदिर जाए तो किसी जरूरतमंद व्यक्ति को इच्छानुसार धन का दान करें।
काले धागे में बिच्छू घास की जड़ को अभिमंत्रित करवा कर शनिवार के दिन श्रवण नक्षत्र में या शनि जयंती के शुभ मुहूर्त में धारण करने से भी शनि संबंधी सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
ReplyDeleteशनिवार के दिन इन10 नामों से शनिदेव का पूजन करें-
ReplyDeleteकोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।
सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।।
अर्थात: 1- कोणस्थ, 2- पिंगल, 3- बभ्रु, 4- कृष्ण, 5- रौद्रान्तक, 6- यम, 7, सौरि, 8- शनैश्चर, 9- मंद व 10- पिप्पलाद। इन दस नामों से शनिदेव का स्मरण करने से सभी शनि दोष दूर हो जाते हैं।
एक वर्ष में सूर्य की दो स्थितियां होती हैं। एक है उत्तरायन और दूसरी है दक्षिणायन। यह स्थितियां लगभग 6-6 माह के लिए रहती हैं।
ReplyDeleteयदि किसी स्त्री का जन्म सूर्य की उत्तरायन (सूर्य मकर संक्रांति 14 या 15 जनवरी से 17 जुलाई के आसपास तक उत्तरायन रहता है।) स्थिति में हुआ है तो वह सौभाग्यशाली, अच्छे रूप-रंग वाली, गुणवान, पुत्रवान, धनवान होती है। ऐसी स्त्रियां घर के कार्य करने में माहिर होती हैं।
जिन स्त्रियों का जन्म सूर्य की दक्षिणायन (सूर्य 17 जुलाई के आसपास से मकर संक्रांति 14 या 15 जनवरी तक दक्षिणायन रहता है।) स्थिति में हुआ है वे अधिकांश समय किसी न किसी बीमारी से ग्रसित रहती हैं। उनका स्वभाव कुछ क्रोधी होता है तथा उनके सुख में कमी रहती है।
यदि किसी स्त्री का जन्म वसंत ऋतु (वसंत ऋतु प्रतिवर्ष मार्च-अप्रैल के आसपास रहती है।) में हुआ हो तो वह हृदय से पवित्र, धनवान और पुत्र वाली होती हैं। ऐसी स्त्री विद्वान और धर्म-कर्म की जानकारी रखने वाली होती हैं। इनका रूप-रंग आकर्षक होता है। सामान्यत: ऐसी स्त्रियां संगीत की जानकार होती हैं।
ReplyDeleteजिन स्त्रियों का जन्म ग्रीष्म ऋतु (ग्रीष्म ऋतु का समय प्रतिवर्ष लगभग अप्रैल-मई-जून तक रहता है।) मतलब गर्मी के दिनों में हुआ है वे क्रोधी स्वभाव की होती हैं। इन स्त्रियों को छोटी-छोटी बातों में ही क्रोध आ जाता है। सामान्यत: ऐसी स्त्रियां अन्य स्त्रियों से अधिक कामुक होती हैं। इनका शारीरिक लंबाई भी सामान्य से अधिक रहती है। स्वभाव से चतुर और बुद्धिमान होती हैं।
ReplyDeleteयदि किसी स्त्री का जन्म वर्षा ऋतु (वर्षा ऋतु का समय प्रतिवर्ष लगभग जून-जूलाई-अगस्त-सितंबर तक रहता है।) मतलब बारिश के दिनों में हुआ है तो वह किसी रानी के समान सुख पाने होती हैं। इन्हें जीवन में सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त हो जाती हैं। गृह कार्य में दक्ष होती हैं और घर-परिवार का ध्यान रखने वाली होती हैं। सामान्यत: ऐसी स्त्रियां सभी श्रेष्ठ गुणों वाली होती हैं। इनकी प्रकृति शीत की होती है।
ReplyDeleteयदि किसी स्त्री का जन्म शरद ऋतु (शरद ऋतु प्रतिवर्ष लगभग सितंबर-अक्टूबर-नवंबर तक रहता है।) में हुआ हो तो वह भाग्यशाली होती है और जीवन में सभी सुखों को प्राप्त करने वाली होती हैं। ये स्त्रियां धनवान, सभी कार्यों में समर्थ, हमेशा प्रसन्न रहने वाली एवं जीवन साथी का ध्यान रखने वाली होती है।
ReplyDeleteहेमंत ऋतु (हेमंत ऋतु का समय प्रतिवर्ष लगभग नवंबर-दिसंबर-जनवरी तक रहता है।) में जन्म लेने वाली स्त्रियां सामान्यत: छोटी गर्दन वाली होती हैं। किसी न किसी बात से भयभीत रहने वाली होती हैं। ऐसी स्त्रियां मेहमानों के प्रति निष्ठुर होती हैं। कभी-कभी ये कुछ अप्रिय शब्द भी बोल देती हैं।
ReplyDeleteपत्नी को बिना श्रृंगार किए अपने पति के सामने नहीं जाना चाहिए। जब पति किसी कार्य से परदेश गया हो तो उस समय श्रृंगार नहीं करना चाहिए। पतिव्रता स्त्री को कभी अपने पति का नाम नहीं लेना चाहिए। पति के भला-बुरा कहने पर भी चुप ही रहना चाहिए
ReplyDeleteजिन महिलाओं का जनम शिशिर ऋतु (शिशिर ऋतु का समय प्रतिवर्ष लगभग जनवरी-फरवरी-मार्च तक रहता है।) में हुआ है वे दिखने बहुत सुंदर होती हैं। इनके नेत्र मनोहारी होते हैं। स्वभाव से सर्वगुण संपन्न होती हैं एवं सभी कार्यों को करने में दक्ष होती हैं। हालांकि कभी-कभी ये स्त्रियां आलसी भी हो जाती हैं। इसके अलावा ये असावधान भी रहती हैं।
ReplyDeleteपति के बुलाने पर तुरंत उसके पास जाना चाहिए और पति जो आदेश दे, उसका प्रसन्नतापूर्वक पालन करना चाहिए। पतिव्रत स्त्री को घर के दरवाजे पर अधिक देर तक नहीं खड़ा रहना चाहिए।
ReplyDeleteये तो प्रेम की बात है ऊद्धव, बंदगी तेरे बस की नहीं है
ReplyDeleteयहां सर दे के होते हैं सौदे, आशिकी इतनी सस्ती नहीं है
प्रेम वालों ने कब वक्त पूछा
उनकी पूजा में, सुन ले ऐ उद्धव
यहां दम दम में होती है पूजा
सर झुकाने की फुर्सत नहीं है
ये तो प्रेम की बात है ऊद्धव, बंदगी तेरे बस की नहीं है
जो असल में हैं मस्ती में डूबे
उन्हें क्या परवाह ज़िंदगी की
जो उतरती है, चढ़ती है मस्ती
वो हकीकत में मस्ती नहीं है
ये तो प्रेम की बात है ऊद्धव, बंदगी तेरे बस की नहीं है
जिसकी नज़रों में हैं श्याम प्यारे
वो तो रहते हैं जग से न्यारे
जिसकी नज़रों में मोहन समाये
वो नज़र फिर तरसती नहीं है
ये तो प्रेम की बात है ऊद्धव, बंदगी तेरे बस की नहीं है
यहां सर दे के होते हैं सौदे, आशिकी इतनी सस्ती नहीं है तुम कहाँ छुपे भगवान करो मत देरी |
दुख हरो द्वारकानाथ शरण मैं तेरी ||
यही सुना है दीनबन्धु तुम सबका दुख हर लेते |
जो निराश हैं उनकी झोली आशा से भर देते ||
अगर सुदामा होता मैं तो दौड़ द्वारका आता |
पाँव आँसुओं से धो कर मैं मन की आग बुझाता ||
तुम बनो नहीं अनजान, सुनो भगवान, करो मत देरी |
दुख हरो द्वारकानाथ शरण मैं तेरी ||
जो भी शरण तुम्हारी आता, उसको धीर बंधाते |
नहीं डूबने देते दाता, नैया पार लगाते ||
तुम न सुनोगे तो किसको मैं अपनी व्यथा सुनाऊँ |
द्वार तुम्हारा छोड़ के भगवन और कहाँ मैं जाऊँ ||
प्रभु कब से रहा पुकार, मैं तेरे द्वार, करो मत देरी |
दुख हरो द्वारकानाथ शरण मैं तेरी |
कलियुग में हनुमानजी सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता माने गए हैं। इनकी कृपा से परेशानियों का नाश होता है और घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है। यहां जानिए हनुमानजी की कृपा पाने के उपाय... ये सभी उपाय किसी श्रेष्ठ मुहूर्त में किए जा सकते हैं...
ReplyDelete1. सुबह स्नान आदि कर्मों से निवृत्त होकर किसी हनुमान मंदिर जाएं। मंदिर पहुंचकर पंचोपचार से हनुमानजी का पूजन करें। पूजन में लाल चंदन, लाल फूल, अक्षत अर्पित कर धूप व दीप से पूजा करें।
2. हनुमानजी को चमेली के तेल के साथ सिंदूर का चोला चढ़ाएं और लाल वस्त्र अर्पित करें।
3. हनुमान चालीसा का पाठ करें या श्रीराम नाम का जप करें।
4. हनुमान मंत्र ऊँ रामदूताय नम: का जप 108 बार करें। मंत्र जप के लिए रुद्राक्ष की माला की उपयोग करें।
5. हनुमानजी को गुड़-चने अर्पित करें। गेंहू के आटे और गुड़ से बने पकवान का भोग लगाएं।
6. पंचमुखी हनुमानजी के दर्शन करें और नारियल अर्पित करें। इसके बाद उनके चरणों के सिंदूर से अपने मस्तक पर तिलक लगाएं।
किसी शुभ मुहूर्त में हनुमान मंदिर में जाएं और अपने साथ एक नारियल लेकर जाएं। मंदिर में हनुमानजी की प्रतिमा के सामने नारियल को अपने सिर पर सात बार वार लें। इसके साथ हनुमान चालीसा का जप करते रहें। सिर पर वारने के बाद नारियल हनुमानजी के सामने फोड़ दें। इस उपाय से आपकी सभी बाधाएं दूर हो सकती हैं।
ReplyDeleteदीपक का उपाय
रात में किसी हनुमान मंदिर जाएं और वहां प्रतिमा के सामने में चौमुखा दीपक लगाएं। चौमुखा दीपक यानी दीपक चार ओर से जलाना है। दीपक में बत्तियां इस प्रकार लगाएं कि दीपक चार ओर से जलाया जा सके। हनुमान चालीसा का पाठ करें।
ये बातें भी ध्यान रखें
हनुमानजी के पूजन में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। यहां दिए गए उपाय करते समय व्यक्ति शरीर और मन की पवित्रता बनाए रखनी चाहिए। साथ ही, किसी भी प्रकार के अधार्मिक कर्म से दूर रहें। माता-पिता और वृद्धजन का सम्मान करें। जब भी मंदिर जाए तो किसी जरूरतमंद व्यक्ति को इच्छानुसार धन का दान करें।