Sunday, April 28, 2013

acharya astro: acharya astro:

acharya astro: acharya शास्त्रों के मुताबिक हिन्दू पंचांग का वैशाख माह भगवान विष्णु को समर्पित हैं। वहीं, पुराणों में शिव और विष्णु में भेद या तुलना निरर्थक ही नहीं पाप भी बताया गया है। क्योंकि वह एक ही परब्रह्म के स्वरूप माने गए हैं। भगवान विष्णु व शिव जगत के संताप और कलह को हरने वाले भी माने गए हैं। इसी भाव से दोनों देवताओं को हरि और हर भी पुकारा जाता है। 

वैशाख माह भगवान विष्णु उपासना के साथ ही गर्मी का मौसम भी होता है। यही वजह है कि वैशाख माह के हर दिन, खासतौर पर शिव भक्ति के दिनों में विशेष मंत्रों से भगवान विष्णु के स्मरण के साथ प्रकृति रूप शिव की पूजा में जल धारा बहुत ही शुभ फल देने वाली मानी गई है।

शिव वैराग्य के अद्भुत आदर्श हैं। वाघम्बरधारी, सरल और सहज स्वरूप शिव अपने भक्त द्वारा अपनाए पूजा के आसान उपायों और सामग्रियों से भी प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए यहां बताय जा रहा शिवलिंग पूजा का ऐसा आसान उपाय जो जल्द ही खुशहाल बनाने वाला माना गया है -

वैशाख माह के गर्मी के मौसम में शिवलिंग पर विशेष व आसान मंत्रों के साथ जल अर्पण कर मनोरथ पूर्ति की कामना करना बहुत ही शुभ होता है -

- सुबह नित्यकर्म और स्नान कर पवित्र हो जाएं।
- शिव उपासना के लिए सफेद वस्त्र पहनें।
- पंचोपचार पूजा चंदन या गंध, फूल, नैवेद्य और धूप, दीप से आरती का विधान है। इसके बाद शिव को जल व बिल्वपत्र भी अर्पित करते हुए विष्णु स्मरण के साथ नीचे लिखे शिव मंत्र बोलें -

ॐ विष्णुवल्लभाय नम:
ॐ महेश्वराय नम:
ॐ शंकराय नम:

- भगवान को नैवेद्य में फल या दूध से बनी मिठाई चढ़ाएं। 
- पूजा के बाद धूप, दीप, कर्पूर की शिव की आरती करें।astro:: acharya astro:

447 comments:

  1. Experience & qualified Pandit Ji available, you can know your future on phone. http://www.jyotishseva.com

    ReplyDelete
  2. वर्तमान समय में जिसके पास नौकरी नहीं है वह नौकरी चाहता है और जिसके पास नौकरी है वह प्रमोशन चाहता है। तंत्र विज्ञान में चंद्रमा की पूजा से नैवेद्य यंत्र की सिद्धि का सरल प्रयोग बताया गया है जिससे व्यापार और नौकरी में अपार धन और तरक्की मिलती है साथ ही बेरोजगारों को रोजगार मिलने की संभावना भी बनती है। यह उपाय इस प्रकार है-

    उपाय

    किसी भी पूर्णिमा के दिन रात के समय छत या ऐसे खुले स्थान पर जाएं, जहां चंद्रमा की अच्छी रोशनी आती हो। वहां चंद्रमा के दर्शन होने पर अगरबत्ती-दीपक लगाकर पूजा करें और सफेद सामग्री या दूध से बने व्यंजन जैसे- मिठाई, खीर, रबड़ी आदि का भोग लगाएं तथा नौकरी के लिए प्रार्थना करें। दीपक को भोग के पास ही रख दें। यह साधना नैवेद्य यंत्र सिद्धि कहलाती है।

    इस प्रयोग में विशेष रूप से यह बात ध्यान रखें कि अंधकार या ऐसे स्थान पर प्रयोग न करें जहां चांदनी न दिखाई दे। ऐसा होने पर इस प्रयोग में सफलता नहीं मिलती। चंद्रमा की ऐसी साधना व्यापारी वर्ग, नौकरीपेशा और बेरोजगार लोगों को शीघ्र धन लाभ और पदोन्नति पाने के लिए बहुत असरदार मानी गई है।

    ReplyDelete
  3. जानिए यदि किसी व्यक्ति की कुंडली मकर लग्न की हो और उसके पंचम या षष्ठम भाव में शुक्र हो तो व्यक्ति के जीवन पर क्या-क्या प्रभाव पड़ते हैं...
    मकर लग्न की कुंडली के पंचम भाव में शुक्र हो तो...
    कुंडली का पंचम भाव शिक्षा एवं संतान का कारक स्थान होता है। मकर लग्न की कुंडली में इस स्थान वृष राशि का स्वामी स्वयं शुक्र ही है। इस स्थान पर शुक्र होने से व्यक्ति को चतुरता प्राप्त होती है। ये लोग अपनी चतुराई के बल पर धन संबंधी मामलों में विशेष सफलता प्राप्त कर लेते हैं। पिता की ओर से इन्हें कुछ मतभेद का सामना करना पड़ता है और इसी वजह से ये लोग कभी-कभी मानसिक तनाव भी महसूस करते हैं।
    मकर लग्न की कुंडली के षष्ठम भाव में शुक्र हो तो...
    जिन लोगों की कुंडली मकर लग्न की है और उसके षष्ठम भाव में शुक्र होने पर व्यक्ति को घर-परिवार की ओर से सुख नहीं मिल पाता है। भाई-बहन समय आने पर मदद नहीं कर पाते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भी ये लोग कुछ परेशानियों रहती हैं। कुंडली का षष्ठम भाव रोग एवं शुत्र का कारक स्थान होता है। मकर लग्न की कुंडली में इस स्थान मिथुन राशि का स्वामी बुध है। यहां शुक्र होने पर व्यक्ति को समाज से उचित मान-सम्मान भी नहीं मिल पाता है।

    ReplyDelete
  4. जानिए यदि किसी व्यक्ति की कुंडली मकर लग्न की हो और उसके पंचम या षष्ठम भाव में शुक्र हो तो व्यक्ति के जीवन पर क्या-क्या प्रभाव पड़ते हैं...
    मकर लग्न की कुंडली के पंचम भाव में शुक्र हो तो...
    कुंडली का पंचम भाव शिक्षा एवं संतान का कारक स्थान होता है। मकर लग्न की कुंडली में इस स्थान वृष राशि का स्वामी स्वयं शुक्र ही है। इस स्थान पर शुक्र होने से व्यक्ति को चतुरता प्राप्त होती है। ये लोग अपनी चतुराई के बल पर धन संबंधी मामलों में विशेष सफलता प्राप्त कर लेते हैं। पिता की ओर से इन्हें कुछ मतभेद का सामना करना पड़ता है और इसी वजह से ये लोग कभी-कभी मानसिक तनाव भी महसूस करते हैं।
    मकर लग्न की कुंडली के षष्ठम भाव में शुक्र हो तो...
    जिन लोगों की कुंडली मकर लग्न की है और उसके षष्ठम भाव में शुक्र होने पर व्यक्ति को घर-परिवार की ओर से सुख नहीं मिल पाता है। भाई-बहन समय आने पर मदद नहीं कर पाते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भी ये लोग कुछ परेशानियों रहती हैं। कुंडली का षष्ठम भाव रोग एवं शुत्र का कारक स्थान होता है। मकर लग्न की कुंडली में इस स्थान मिथुन राशि का स्वामी बुध है। यहां शुक्र होने पर व्यक्ति को समाज से उचित मान-सम्मान भी नहीं मिल पाता है।

    ReplyDelete
  5. तेल का पराठा बनाकर उस पर कोई मीठा पदार्थ रखकर गाय के बछड़े को खिलाएं। ये छोटा और बहुत ही कारगर उपाय है।

    ReplyDelete
  6. तेल का पराठा बनाकर उस पर कोई मीठा पदार्थ रखकर गाय के बछड़े को खिलाएं। ये छोटा और बहुत ही कारगर उपाय है।

    ReplyDelete
  7. कांसें की कटोरी में तेल भरकर उसमें अपनी परछाई देखें और यह तेल किसी को दान कर दें। शनिदेव को प्रसन्न करने का यह बहुत ही अचूक व पुराना उपाय है।

    ReplyDelete
  8. किसी भी शनिवार या शनिश्चरी अमावस्या के दिन सूर्यास्त के समय जो भोजन बने उसे पत्तल में लेकर उस पर काले तिल डालकर पीपल की पूजा करें तथा नैवेद्य लगाएं और यह भोजन काली गाय या काले कुत्ते को खिला दें।

    ReplyDelete
  9. विवाह योग्य लड़के और लड़कियां जिस पलंग पर सोते हों उसके नीचे लोहे की वस्तुएं या व्यर्थ का सामान नहीं रखना चाहिए। इनसे वास्तुदोष उत्पन्न होता है। ऐसी चीजों के कारण अविवाहित लोगों का मन गलत दिशा में भटकता है। इस वजह से उन्हें विवाह के बाद कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

    ReplyDelete
  10. यदि घर में कोई टूटी हुई तस्वीर हो तो उसे भी घर से हटा देना चाहिए। वास्तु के अनुसार यह भी वास्तु दोष उत्पन्न करती है।
    घर में यदि कोई इलेक्ट्रानिक आइटम्स खराब हैं या टूटे हुए हैं तो उन्हें घर से हटा देना चाहिए। ऐसे सामान घर में रखने से वास्तु दोष उत्पन्न होता है।

    ReplyDelete
  11. जिस घर में तुलसी का पौधा होता है, वहां सभी देवी-देवताओं की कृपा बरसती है। घर-परिवार के सदस्यों की नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा होती है।

    ReplyDelete
  12. जिंदगी को सही ढंग से जीने के लिए सही रोजगार ही नहीं बल्कि पर्याप्त धन की भी आवश्यकता होती है। ऐसे में जीवन को संपूर्णता के साथ जीने के लिए हर इंसान को एक अच्छा कमाई का जरिया व धन की जरुरत होती है। अगर आप अपनी नौकरी या व्यवसाय से संतुष्ट नहीं है। अच्छी नौकरी की तलाश तो हैं पर मिल नहीं रही या आर्थिक कमजोरी के कारण दुखी हैं तो हम आपको बताने जा रहे हैं। रामचरितमानस नामक ग्रंथ की दो ऐसी चौपाईयां जिन्हें बोलने से नौकरी व धन प्राप्त होता है।

    विशेष- अगर जल्द ही इस चौपाई से मिलने वाले सुपरिणाम को जानना हो तो मनोकामना पूरी होने तक राम दरबार की पूजा करें और फिर धूप दीप व प्रसाद के साथ भगवान का आर्शीवाद लें और 108 बार चौपाई का जप करें ।
    नौकरी पाने के लिए -

    बिस्व भरण पोषन कर जोई। ताकर नाम भरत जस होई।।

    धन-दौलत, सम्पत्ति पाने के लिए -

    जे सकाम नर सुनहि जे गावहि।सुख संपत्ति नाना विधि पावहि।।

    ReplyDelete
  13. हमारा आज का किया काम ही कल का इतिहास बन जाएगा। हर काम ये सोचकर करें कि ये कल समाज के लिए प्रेरणा भी हो सकता है।

    ReplyDelete
  14. जीवनसाथी चुनें तो जरुर ध्यान रखें इन खास बातों का
    आपने अक्सर हमारे बढ़े-बुजूर्गो को कहते सुना होगा कि शादी के लिए जो लड़की चुनी जाए उसका मुंह नहीं पैर देखना चाहिए। ये बात सिर्फ एक धारणा मात्र ही नहीं है बल्कि इस बात का वर्णन हमारे धर्मग्रंथ भविष्यपुराण जिसे हमारे अठारह पुराणों में से एक महत्वपूर्ण पुराण माना गया है।
    उसमें भी कही गई है कि आप चाहते हैं कि आपका जीवन खुशहाल हो तो इसके लिए पत्नी सुलक्षणा होनी चाहिए। इसके अनुसार सुमंत मुनि राजा शतानी को कथा सुना रहे हैं वो कह रहे हैं कि वेदाध्ययन कर गृहस्थाश्रम में प्रवेश करना चाहिए। तब राजा शतानीक ने पूछा- हे मुनीश्वर स्त्रियों के लक्षणों का वर्णन करें। यह भी बताएं कि किन लक्षणों से युक्त कन्या से विवाह करना चाहिए।
    तब मुनि ने उन्हें बताया कि पूर्वकाल में ब्रह्माजी ने स्त्रियों के जो उत्तम लक्षण कह रहे हैं उनमें सबसे पहले सुलक्षण स्त्री के पैर देखे जाने चाहिए। विवाह के निर्णय से पूर्व ये जरूर देखना चाहिए कि जीवनसंगिनी सुलक्षणा हो। जिस स्त्री के पैर कोमल और कांतिवाले होते हैं। बीच में से ऊंचे नहीं होते ऐसी स्त्रियां सुख देने वाली होती हैं।जिस स्त्री के चरण रूखे फटे हुए और मांस रहित होते हैं उसे दुर्भाग्या माना गया है।
    यदि पैर की अंगुलियां परस्पर मिली हुई सीधी और गोल हों तो ऐसी स्त्री के घर में आने से ऐश्वर्य बना रहता है। पैरों की छोटी अंगुलियां आयु बढ़ाती है। छोटी और दूर-दूर होने वाली अंगुलिया धन का नाश करने वाली होती हैं। पैरों के रुखे व टेड़े-मेड़े नाखूनों को भी शुभ नहीं माना गया है।

    ReplyDelete
  15. मोटे होंठ- जिस व्यक्ति के होंठ सामान्य से अधिक मोटे दिखाई देते हैं वह क्रोधी, भावनाप्रधान और जिद्दी स्वभाव वाला होता है।

    ReplyDelete
  16. ज्योतिष में शारीरिक लक्षणों और बनावट का काफी गहरा महत्व है। इन्हीं लक्षणों के आधार ही किसी भी व्यक्ति के संबंध में सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है और स्वभाव बताया जा सकता है। किसी भी व्यक्ति से मिलते समय सबसे पहले हमारी नजर उसके चेहरे पर पड़ती है। उस समय होंठों पर ध्यान दें।
    सभी लोगों के होंठ अलग-अलग प्रकार के होते हैं। ज्योतिष के अनुसार यहां जानिए होंठ की बनावट के आधार पर व्यक्ति का स्वभाव कैसा हो सकता है

    ReplyDelete
  17. भृगु संहिता के अनुसार कुंडली का सप्तम भाव विवाह का कारक स्थान माना जाता है। अलग-अलग लग्न के अनुसार इस भाव की राशि और स्वामी भी बदल जाता है। अत: यहां जैसी राशि रहती है उस व्यक्ति का जीवन साथी वैसा ही रहता है। यहां जानिए किसी लड़की की कुंडली के सप्तम भाव में जो राशि स्थित है उस राशि के अनुसार उसका जीवन साथी कैसा होगा-

    ReplyDelete
  18. बड़े होंठ- बड़े होंठ वाले लोग खुब खाने वाले, जल्दी ही आवेश में आने वाले होते हैं।
    यदि किसी व्यक्ति के होंठ पर तिल है तो ऐसे होंठ वाले अधिकांश इंसान बहुत कामुक होते हैं। ऐसे लोग दूसरों को बहुत जल्दी प्रभावित करने में सक्षम होते हैं।

    ReplyDelete
  19. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  20. संकुचित होंठ- छोट-पतले होंठ संकुचित होंठ कहलाते हैं। यदि किसी व्यक्ति के ऐसे होंठ हैं और वे बेरंग भी हैं तो ऐसा व्यक्ति दिखावा करने वाला होता है।

    ReplyDelete
  21. काफी लोगों के साथ ऐसा होता है कि वे मेहनत अधिक करते हैं लेकिन धन लाभ बहुत कम होता है। ऐसे में पैसों की तंगी बन जाती है।
    यदि आप भी पैसों की पैसों की कमी से परेशान हैं तो यहां काली मिर्च का एक चमत्कारी रामबाण उपाय बताया जा रहा है। इस उपाय को समय-समय पर करने से आपको धन लाभ अवश्य होगा.

    ReplyDelete
  22. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई ग्रह दोष होते हैं तो वह धन संबंधी मामलों में भी सफलता प्राप्त नहीं कर पाता है। ग्रह दोषों के कारण ही उसे सुख नहीं मिलता। यदि उचित ज्योतिषीय उपचार किया जाए तो व्यक्ति पैसों की परेशानियों से निजात पा सकता है।
    ज्योतिष के उपायों में तरह-तरह की चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। जीवनमंत्र पर कई चीजों के उपाय बताए गए हैं। यहां आज जानिए काली मिर्च के किस उपाय से धन की कमी दूर हो सकती है।

    ReplyDelete
  23. यदि आप मालामाल होना चाहते हैं तो काली मिर्च के 5 दानों का यह उपाय करें। उपाय के अनुसार काली मिर्च के 5 दाने लें और उन्हें अपने सिर पर से 7 बार वार लें। इसके बाद किसी चौराहे पर खड़े होकर या किसी सुनसान स्थान पर चारों दिशाओं में 4 दाने फेंक दें। इसके बाद 5वें दाने को ऊपर आसमान की ओर फेंक दें।

    ReplyDelete
  24. यह एक टोटका है और इसके लिए ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति यह उपाय करता है उसके लिए अचानक धन प्राप्ति के योग बनते हैं।
    ऐसे उपाय केवल श्रद्धा और विश्वास पर काम करते हैं। यदि मन में शंका या संशय होगा तो यह उपाय निष्फल हो जाता है। इसके साथ ही ऐसे उपायों को किसी के सामने जाहिर भी नहीं करना चाहिए।

    ReplyDelete
  25. इस उपाय से कई लाभ हैं। जैसे यदि किसी बुरी नजर के कारण आपकी आर्थिक स्थिति प्रभावित हो रही है तो वह दोष भी दूर हो जाएगा। इस उपाय से बुरी नजर भी उतर जाती है। इसके साथ ही यदि किसी नकारात्मक शक्ति के कारण परेशानियां आ रही हैं तो उन शक्तियों का प्रभाव भी खत्म हो जाएगा।

    ReplyDelete
  26. 1 रोटी के चमत्कारी फायदे जानेंगे तो आप भी रोज करेंगे ये 1 काम

    खाने में चाहे कितने भी पकवान हों लेकिन रोटी के बिना खाना अधूरा ही रहता है। रोटी हमारे पेट को तो तृप्त करती ही है लेकिन शास्त्रों के अनुसार रोटी के कई अन्य फायदें भी बताए गए हैं। रोटी से जुड़े कुछ ऐसे काम हैं जिन्हें करने से हमारी किस्मत चमक सकती हैं और रुके हुए कार्य पूर्ण हो सकते हैं।

    गाय हिंदू धर्म में पवित्र और पूजनीय मानी गई है। शास्त्रों के अनुसार गौसेवा के पुण्य का प्रभाव कई जन्मों तक बना रहता है। इसीलिए गाय की सेवा करने की बात कही जाती है। पुराने समय से ही गौसेवा को धर्म के साथ ही जोड़ा गया है। गौसेवा भी धर्म का ही अंग है। गाय को हमारी माता बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि गाय में हमारे सभी देवी-देवता निवास करते हैं। इसी वजह से मात्र गाय की सेवा से ही भगवान प्रसन्न हो जाते हैं। अत: प्रतिदिन हमें गाय को कम से कम 1 रोटी अवश्य खिलानी चाहिए।

    भगवान श्रीकृष्ण के साथ ही गौमाता की भी पूजा की जाती है। भागवत में श्रीकृष्ण ने भी इंद्र पूजा बंद करवाकर गौमाता की पूजा प्रारंभ करवाई है। इसी बात से स्पष्ट होता है कि गाय की सेवा क

    ReplyDelete
  27. सोमवार, 13 मई 2013 को अक्षय तृतीया है और इस दिन किए गए पूजन कर्म और उपाय अक्षय पुण्य प्रदान करते हैं। यदि इस काली हल्दी के कुछ तांत्रिक उपाय कर लिए जाए तो कभी पैसों की कमी नहीं रहती है।

    ReplyDelete
  28. यदि किसी व्यक्ति धन संबंधी इच्छाओं को पूरा करना है तो उसे अक्षय तृतीया के दिन यह उपाय करना चाहिए। उपाय के अनुसार बाजार से महालक्ष्मी के पूजन सामग्री के साथ ही 11 गोमती चक्र, 11 कौडिय़ां और काली हल्दी घर ले आएं।
    अक्षय तृतीया के दिन किसी श्रेष्ठ मुहूर्त में महालक्ष्मी का पूजन करें। पूजन के लिए किसी स्वच्छ और पवित्र स्थान का चयन करें। महालक्ष्मी की प्रतिमा या फोटो पूजन स्थल पर बाजोट के ऊपर रखें। पूजन सामग्री के साथ महालक्ष्मी का विधिवत पूजन करें। पूजा में गोमती चक्र, कौडिय़ां और काली हल्दी भी रखें।

    ReplyDelete
  29. पूजन पूर्ण होने के बाद काली हल्दी, गोमती चक्र और कौडिय़ों को एक पीले कपड़े में बांध लें। इसके बाद यह सामग्री तिजोरी में या घर में हम जहां धन रखते हैं वहां रख दें। पूजन कर्म में महालक्ष्मी के मंत्रों का जप करना चाहिए। महालक्ष्मी मंत्र जैसे ऊँ श्रीं श्रीयै नम: का जप किया जा सकता है।
    ऐसा करने पर धन संबंधी मामलों में आ रही रुकावटें दूर हो जाएंगी। आपके घर-परिवार में धन की पूर्ति होने लगेगी।

    ReplyDelete
  30. अक्षय तृतीया के दिन शुभ मुहूर्त में महालक्ष्मी का पूजन करना चाहिए। पूजन में सामान्य हल्दी की 11 गांठें रखें। इसके बाद महालक्ष्मी का विधि-विधान से पूजन करें। पूजन के साथ ही ऊँ वक्रतुण्डाय नम: मंत्र का 11 माला जप करें। पूजन पूर्ण होने के बाद हल्दी 11 गांठें तिजोरी में रख दें। यह उपाय आपके जीवन में हमेशा पैसा और सुख बनाए रखेगा।

    ReplyDelete
  31. दीपावली या अक्षय तृतीया के दिन महालक्ष्मी पूजन में चांदी के सिक्के के साथ ही काली हल्दी रखें। विधिवत पूजन करें और पूजन पूर्ण हो जाने पर चांदी का सिक्का और काली हल्दी धन के स्थान पर रख दें। यह उपाय भी कारगर है।
    ध्यान रखें सभी उपाय आपकी आस्था और श्रद्धा पर ही निर्भर करते हैं। किसी भी प्रकार की शंका या संदेह होने पर उपाय न करें। मन में शंका होने पर उपाय करेंगे तो इसका पूर्ण फल प्राप्त नहीं हो सकता है।

    ReplyDelete
  32. यदि व्यक्ति पर शनि की साढ़ेसाती या ढय्या हो या कोई शनि दोष हो तब भी खर्चों की अधिकता रहती है। यहां जानिए रोटी का एक ऐसा उपाय जिसे शनिवार करने से आपकी धन से जुड़ी समस्याएं कम हो जाएंगी।
    शनि देव का न्याय का देवता माना जाता है। हमारे द्वारा किए गए अच्छे-बुरे कर्मों का फल शनिदेव ही प्रदान करते हैं। यदि आपसे जाने-अनजाने कोई पाप हो गया है तो इसका बुरा फल निश्चित समय बार आपको अवश्य झेलना पड़ेगा। ऐसे में शनि को प्रसन्न करने से पापों की सजा में कमी होने की संभावनाएं बन जाती हैं। शनि को प्रसन्न करने के लिए ज्योतिष में कई उपाय बताए गए हैं।

    ReplyDelete
  33. शनि को प्रसन्न करने के लिए बताए गए खास उपायों में से एक उपाय है किसी कुत्ते को तेल चुपड़ी हुई रोटी खिलाना। अधिकतर लोग प्रतिदिन कुत्ते को रोटी तो खिलाते ही हैं ऐसे में यदि रोटी पर तेल लगाकर कुत्ते को खिलाई जाए तो शनि के दोषों से मुक्ति मिलती है।

    ReplyDelete

  34. ऐसा माना जाता है कि कुत्ता शनिदेव का वाहन है और जो लोग कुत्ते को खाना खिलाते हैं उनसे शनि अति प्रसन्न होते हैं। शनि महाराज की प्रसन्नता के बाद व्यक्ति को परेशानियों के कष्ट से मुक्ति मिल जाती है। साढ़ेसाती हो या ढय्या या कुंडली का अन्य कोई दोष इस उपाय से निश्चित ही लाभ होता है।

    ReplyDelete
  35. कुत्ते को तेल चुपड़ी रोटी खिलाने से शनि के साथ ही राहु-केतु से संबंधित दोषों का भी निवारण हो जाता है। राहु-केतु के योग कालसर्प योग से पीडि़त व्यक्तियों को यह उपाय लाभ पहुंचाता है। इसके साथ व्यक्ति को धार्मिक कार्यों में भागीदारी बढ़ानी चाहिए। बुरे कार्यों से स्वयं का बचाव करें।

    ReplyDelete
  36. शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति जीवों की सेवा करता है, उन्हें खाना खिलाता है उससे सभी देवी-देवता अति प्रसन्न होते हैं। ऐसा करने पर व्यक्ति के पिछले जन्मों के पापों का क्षय होता है और पुण्य कर्मों में वृद्धि होती है। इसी पुण्य के प्रभाव से हमारी समस्याएं दूर होती हैं।

    ReplyDelete
  37. यदि कोई व्यक्ति शनिवार के दिन हनुमानजी का ध्यान और पूजन करता है तो उसे शनि के दोषों से किसी भी प्रकार का भय नहीं होता है। शनिवार के दिन हनुमानजी को बना हुआ मीठा पान भी चढ़ाया जा सकता हैं। हनुमानजी के लिए मीठा पान भी महत्वपूर्ण नैवैद्य माना जाता है। इससे कुंडली के ग्रह दोषों से शांति मिलती है।

    ReplyDelete
  38. आप किसी स्त्री का स्वभाव बहुत ही जल्द जानना चाहते हैं तो इस विधि से आपकी इच्छा पूरी हो सकती है। किसी स्त्री का स्वभाव जानने के लिए आपको उसके जन्म से संबंधित सिर्फ 1 बात मामूल करनी होगी।
    एक वर्ष में सूर्य की दो स्थितियां होती हैं। एक है उत्तरायन और दूसरी है दक्षिणायन। यह स्थितियां लगभग 6-6 माह के लिए रहती हैं।
    यदि किसी स्त्री का जन्म सूर्य की उत्तरायन (सूर्य मकर संक्रांति 14 या 15 जनवरी से 17 जुलाई के आसपास तक उत्तरायन रहता है।) स्थिति में हुआ है तो वह सौभाग्यशाली, अच्छे रूप-रंग वाली, गुणवान, पुत्रवान, धनवान होती है। ऐसी स्त्रियां घर के कार्य करने में माहिर होती हैं।
    जिन स्त्रियों का जन्म सूर्य की दक्षिणायन (सूर्य 17 जुलाई के आसपास से मकर संक्रांति 14 या 15 जनवरी तक दक्षिणायन रहता है।) स्थिति में हुआ है वे अधिकांश समय किसी न किसी बीमारी से ग्रसित रहती हैं। उनका स्वभाव कुछ क्रोधी होता है तथा उनके सुख में कमी रहती है।

    ReplyDelete
  39. यदि किसी व्यक्ति का व्यापार ठीक से नहीं चल रहा हो उसे शनिवार के दिन नींबू का एक उपाय करना चाहिए। उपाय के अनुसार एक नींबू को दुकान की चारों दीवारों पर स्पर्श कराएं। इसके बाद नींबू को चार टुकड़ों में अच्छे से काट लें और चारों में दिशाओं में नींबू का एक-एक टुकड़ा फेंक दें। इससे दुकान की नेगेटिव एनर्जी नष्ट हो जाएगी।

    ReplyDelete
  40. यदि किसी स्त्री का जन्म वसंत ऋतु (वसंत ऋतु प्रतिवर्ष मार्च-अप्रैल के आसपास रहती है।) में हुआ हो तो वह हृदय से पवित्र, धनवान और पुत्र वाली होती हैं। ऐसी स्त्री विद्वान और धर्म-कर्म की जानकारी रखने वाली होती हैं। इनका रूप-रंग आकर्षक होता है। सामान्यत: ऐसी स्त्रियां संगीत की जानकार होती हैं।

    ReplyDelete
  41. जिन स्त्रियों का जन्म ग्रीष्म ऋतु (ग्रीष्म ऋतु का समय प्रतिवर्ष लगभग अप्रैल-मई-जून तक रहता है।) मतलब गर्मी के दिनों में हुआ है वे क्रोधी स्वभाव की होती हैं। इन स्त्रियों को छोटी-छोटी बातों में ही क्रोध आ जाता है। सामान्यत: ऐसी स्त्रियां अन्य स्त्रियों से अधिक कामुक होती हैं। इनका शारीरिक लंबाई भी सामान्य से अधिक रहती है। स्वभाव से चतुर और बुद्धिमान होती हैं।

    ReplyDelete
  42. यदि किसी स्त्री का जन्म वर्षा ऋतु (वर्षा ऋतु का समय प्रतिवर्ष लगभग जून-जूलाई-अगस्त-सितंबर तक रहता है।) मतलब बारिश के दिनों में हुआ है तो वह किसी रानी के समान सुख पाने होती हैं। इन्हें जीवन में सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त हो जाती हैं। गृह कार्य में दक्ष होती हैं और घर-परिवार का ध्यान रखने वाली होती हैं। सामान्यत: ऐसी स्त्रियां सभी श्रेष्ठ गुणों वाली होती हैं। इनकी प्रकृति शीत की होती है।

    ReplyDelete
  43. यदि किसी स्त्री का जन्म वर्षा ऋतु (वर्षा ऋतु का समय प्रतिवर्ष लगभग जून-जूलाई-अगस्त-सितंबर तक रहता है।) मतलब बारिश के दिनों में हुआ है तो वह किसी रानी के समान सुख पाने होती हैं। इन्हें जीवन में सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त हो जाती हैं। गृह कार्य में दक्ष होती हैं और घर-परिवार का ध्यान रखने वाली होती हैं। सामान्यत: ऐसी स्त्रियां सभी श्रेष्ठ गुणों वाली होती हैं। इनकी प्रकृति शीत की होती है।

    ReplyDelete
  44. हेमंत ऋतु (हेमंत ऋतु का समय प्रतिवर्ष लगभग नवंबर-दिसंबर-जनवरी तक रहता है।) में जन्म लेने वाली स्त्रियां सामान्यत: छोटी गर्दन वाली होती हैं। किसी न किसी बात से भयभीत रहने वाली होती हैं। ऐसी स्त्रियां मेहमानों के प्रति निष्ठुर होती हैं। कभी-कभी ये कुछ अप्रिय शब्द भी बोल देती हैं।

    ReplyDelete
  45. जिन महिलाओं का जनम शिशिर ऋतु (शिशिर ऋतु का समय प्रतिवर्ष लगभग जनवरी-फरवरी-मार्च तक रहता है।) में हुआ है वे दिखने बहुत सुंदर होती हैं। इनके नेत्र मनोहारी होते हैं। स्वभाव से सर्वगुण संपन्न होती हैं एवं सभी कार्यों को करने में दक्ष होती हैं। हालांकि कभी-कभी ये स्त्रियां आलसी भी हो जाती हैं। इसके अलावा ये असावधान भी रहती हैं।

    ReplyDelete
  46. आज (13 मई, सोमवार) को अक्षय तृतीया का पर्व है। धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन किए गए दान, उपाय या टोटके का फल शीघ्र ही मिलता है। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। तंत्र शास्त्र के अनुसार अगर इस दिन कुछ विशेष उपाय किए जाएं तो मां लक्ष्मी की कृपा से कोई भी मालामाल बन सकता है।

    ReplyDelete
  47. ज्योतिष के अनुसार कुंडली में ग्रहों की स्थिति का सीधा प्रभाव नौकरी से संबंधित बातों पर पड़ता है। यदि कुंडली में कोई ग्रह अशुभ स्थिति में है तो नौकरी में परेशानियां आने की संभावनाएं रहती हैं। यदि किसी व्यक्ति को लाख कोशिशों के बाद भी अच्छी नौकरी नहीं मिल रही है या कड़ी मेहनत के बाद भी उचित प्रमोशन और इंक्रिमेंट नहीं मिल रहा है तो यहां बताए जा रहे उपाय करें।

    ReplyDelete
  48. यदि आपको कई प्रयास करने बाद भी सही नौकरी नहीं मिल रही है तो निम्न उपाय करें। मंगलवार को हनुमान जी का ऐसा चित्र खरीदें जिसमें उनका रंग सफेद हो, वस्त्र छोड़कर। उसे खरीदकर घर लाए तथा अपने सिरहाने के सामने वाली दीवार पर लगा दें। रोज उसका दर्शन करें। जल्दी ही आपकी नौकरी लग जाएगी।

    ReplyDelete
  49. कलियुग में हनुमानजी की पूजा भक्त को सभी इच्छाएं पूर्ण कराने वाली बताई गई है। जो भी व्यक्ति हनुमानजी की आराधना करता है उसकी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं और कार्य सिद्ध हो जाते हैं। यदि आपको नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जाना है तो घर से निकलने से पहले हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। इसके साथ ही हनुमानजी से नौकरी दिलाने की प्रार्थना करनी चाहिए। इस उपाय से जल्दी ही आपको सही और आपके लिए उपयुक्त नौकरी मिल जाएगी।

    ReplyDelete
  50. नौकरी या प्रमोशन की इच्छा रखने वाले लोगों को प्रतिदिन पक्षियों को मिश्रित अनाज खिलाना चाहिए। आप सात प्रकार के अनाजों को एकसाथ मिलाकर पक्षियों को खिलाएं। इसमें गेहूं, ज्वार, मक्का, बाजरा, चावल, दालें शामिल की जा सकती हैं। प्रतिदिन सुबह-सुबह यह उपाय करें, जल्दी ही नौकरी से जुड़ी इच्छाएं पूरी हो जाएंगी।

    ReplyDelete
  51. जो लोग मनचाहे शहर या स्थान पर ट्रांसफर कराना चाहते हैं तो उन्हें प्रतिदिन सुबह-सुबह यह उपाय करना चाहिए। उपाय के अनुसार व्यक्ति सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें और सभी नियमित कार्यों से निवृत्त होकर पवित्र हो जाएं। इसके बाद एक तांबे के लौटे में साफ जल भरें। जल में लाल मिर्ची के दानें डालें और यह जल सूर्य देव को अर्पित करें। जल चढ़ाते समय जिस स्थान पर ट्रांसफर कराना है उस स्थान का ध्यान करें। जल्दी ही आपकी इच्छा पूर्ण हो जाएगी।

    ReplyDelete
  52. भाग्य वीरों का साथ देता है। जो मुश्किलों के आगे हारकर किस्मत के भरोसे बैठ जाता है, अंत में उसके पास पछताने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता।

    ReplyDelete
  53. शास्त्रों के मुताबिक बृहस्पति की उपासना ज्ञान, सौभाग्य व सुख देने वाली मानी गई है। दरअसल, गुरु ज्ञान व विद्या के रास्ते तन, मन व भौतिक दु:खों से दूर जीवन जीने की राह बताते हैं। इस पर चल कोई भी इंसान मनचाहे सुखों को पा सकता है।

    हिन्दू धर्म शास्त्रों में कामना विशेष को पूरा करने के लिए खास दिनों पर की जाने वाली गुरु पूजा की परंपरा में गुरुवार को भी देवगुरु बृहस्पति की पूजा की अहमियत बताई गई है। ऐसी पूजा के शुभ, सौभाग्य व मनचाहे फल के लिए गुरुवार को देव पूजा के कुछ खास नियमों का पालन जरूरी बताया गया है।

    जानिए सौभाग्य, पारिवारिक सुख-शांति, कार्य कुशलता, मान-सम्मान, विवाह, दाम्पत्य सुख व दरिद्रता को दूर करने की कामना से गुरुवार को देव पूजा में किन खास बातों का ख्याल रखें -

    ReplyDelete
  54. गुरुवार से गुरुवार व्रत की शुरुआत करें। किसी भी माह के शुक्ल पक्ष में गुरुवार का व्रत शुरू करें, खासतौर पर अनुराधा नक्षत्र के योग में शुरूआत बड़ा मंगल करती है।
    1, 3, 5, 7, 9, 11 या 1 से 3 वर्ष या ताउम्र व्रत रखा जा सकता है।
    व्रत नियमों में सूर्योदय से पहले जाग स्नान कर पीले वस्त्र पहनें।
    इस दिन केले के वृक्ष या इष्ट देव के समीप बैठ पूजा करें।
    गुरु बृहस्पति को पीली पूजा सामग्री जैसे पीले फूल, पीला चंदन, चने की दाल, गुड़, सोना, वस्त्र चढ़ाएं। पीली वस्तुओं का दान करें। कथा सुनें।
    भगवान को केले चढ़ाएं, लेकिन खाएं नहीं।
    यथाशक्ति ब्राह्मणों को भोजन व दान दें।
    इस दिन हजामत यानी बाल न कटाएं व दाढ़ी न बनवाएं।
    दरिद्रता व संकट टालने ही नहीं, बल्कि संपन्नता को बनाए रखने के लिए भी यह व्रत करना चाहिए।

    ReplyDelete

  55. यह विशेष और चमत्कारी मंत्र उपाय है - लक्ष्मी स्तवन। इस लक्ष्मी स्तवन का पाठ हर शाम, शुक्रवार या अन्य किसी भी विशेष लक्ष्मी पूजा की शुभ घड़ी में करने पर वैभव, ऐश्वर्य के साथ सारे मनोरथ पूरे करता है। संस्कृत भाषा या व्याकरण की जानकारी न होने पर आप इसके हिन्दी अर्थ का भी पाठ कर लक्ष्मी की प्रसन्नता से दरिद्रता दूर कर सकते हैं।

    लक्ष्मी मंत्र स्तवन -

    या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी ।
    या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी ॥
    या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी ।
    सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥

    इस चमत्कारी लक्ष्मी स्तवन का सरल शब्दों में मतलब है - लाल कमल पर रहने वाली, अद्भुत आभा और कांतिवाली, असह्य तेजवाली, रक्त की भाति लाल रंग वस्त्र धारण करने वाली, मन को आनंदित करने वाली, समुद्रमंथन से प्रकट हुईं विष्णु भगवान की पत्नी , भगवान विष्णु को अति प्रिय, कमल से जन्मी है और अतिशय पूज्य मां लक्ष्मी आप मेरी रक्षा करें और मनोरथ पूरे कर जीवन वैभव और ऐश्वर्य से भर दे।

    ReplyDelete
  56. राशि अनुसार जानिए एक राशि में चार ग्रह होंगे तो कैसा रहेगा आपका दिन? बुधवार 15 मई को वृष राशि में बुध, गुरु और शुक्र के साथ में सूर्य भी आ जाएगा तो चतुग्र्रही योग बनेगा। जानिए इस योग का क्या असर होगा आप पर? कैसा बीतेगा आपका दिन

    ReplyDelete
  57. जो दयालु नहीं है उसके पास धन व्यर्थ है, जो विनम्र नहीं है उसके पास विद्या व्यर्थ है, जिसके साहस नहीं उसके पास शस्त्रों का ज्ञान व्यर्थ है।

    ReplyDelete

  58. 1- रोज सुबह श्रीआदित्य ह्रदयस्त्रोत का पाठ करें। सूर्य यंत्र का निर्माण करके तीन माला रोज नीचे लिखे सूर्य मंत्र का जप करें।
    मंत्र- ऊँ घृणि: सूर्याय नम:
    इस उपाय से सूर्यदेव अपने भक्त की हर मुराद पूरी कर देते हैं।

    ReplyDelete
  59. 2- घर के मुख्य द्वार पर सफेद आंकड़े का पौधा लगाने से उस घर के सदस्यों पर कोई तांत्रिक अथवा ऊपरी बाधा असर नहीं करती। साथ ही उस घर में धन का अभाव नहीं रहता।

    ReplyDelete
  60. 3- किसी किन्नर को खुश करके उससे एक सिक्का मांग लें इस सिक्के को अपने धन स्थान यानी तिजोरी या गल्ले में रखें। कुछ ही दिनों में इस चमत्कारी सिक्के का प्रभाव दिखने लगेगा।

    ReplyDelete
  61. 4- घर के बाहर कुंकुम से स्वस्तिक का चिह्न रोज बनाएं। यह बहुत ही सौभाग्यशाली चिह्न है। इससे घर में खुशहाली रहती है और धन का कभी अभाव नहीं रहता।

    ReplyDelete
  62. 5- तंत्र शास्त्र के अनुसार यदि गोमती चक्र को लाल सिंदूर के डिब्बी में भरकर घर में रखें तो घर में सुख-शांति बनी रहती है और व्यापार में उन्नति होती है या नौकरीपेशा को तरक्की मिलने की संभावना बढ़ जाती है।

    ReplyDelete
  63. यदि कोई व्यक्ति सपने में किसी युवती को कर्णफूल पहने देखे तो उसे कोई शुभ समाचार मिलता है या सफेद कपड़े पहने किसी औरत को घूंघट निकालते देखे तो उसका दंापत्य जीवन सुखमय व्यतीत होता है

    ReplyDelete
  64. यदि कोई व्यक्ति सपने में किसी बुरका पहने औरत को देखे तो उसका मित्र उससे विश्वासघात करता है। कोई व्यक्ति यदि सपने किसी स्त्री का चुंबन ले या उसके साथ संसर्ग करें तो उसे अचानक बहुत से धन की प्राप्ति होती है।

    ReplyDelete
  65. अगर कोई व्यक्ति सपने में स्त्री को चौपड़ खेलते हुए देखता है तो उसे राज्य व सम्मान की प्राप्ति होती है और उसकी धन-संपत्ति बढ़ती है।

    ReplyDelete
  66. जिस पुरुष को सपने में गौरे रंग की सुंदर स्त्री आलिंगन करती है तो वह शीघ्र ही धनवान हो जाता है। जो पुरुष सपने में अपनी प्रेमिका का त्याग करता है उसे विरासत में अतुल्य धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है।

    ReplyDelete
  67. यदि किसी व्यक्ति को सपने में परियों का दर्शन हो तो उसे अतुल्य धन की प्राप्ति होती है, यहां तक कि यदि वह भिखारी भी हो तो भी मालामाल हो जाता है।

    ReplyDelete
  68. यदि कोई व्यक्ति सपने में अपनी प्रेमिका के साथ यात्रा करता है तो उसका दांपत्य जीवन अत्यंत सुखद व्यतीत होता है।

    ReplyDelete


  69. - जब कोई व्यक्ति सपने में किसी सजी-धजी दुल्हन को देखता है तो उसे सुख की प्राप्ति होती है लेकिन दुल्हन रोती हुई दिखे तो उसका अपने सास-ससुर से झगड़ा होता है।

    ReplyDelete
  70. जब कोई युवक सपने में किसी सजी हुई युवती को सहेलियों के साथ अपनी ओर फूलों का हार लाते हुए देखता है तो उसे व्यवसाय में सफलता मिलती है।

    ReplyDelete
  71. यदि को अविवाहित पुरुष सपने में अपनी प्रेमिका को हीरा अथवा हीरे से जड़ा आभूषण भेंट करता है तो उसका दांपत्य जीवन नरक के समान हो जाता है।

    ReplyDelete
  72. जब कोई पुरुष अपनी पत्नी या प्रेमिका को किसी अन्य पुरुष के साथ भागता हुआ देखता है तो उसकी पत्नी या प्रेमिका उससे संबंध तोड़कर किसी धनी व्यक्ति से संबंध जोड़ लेती हैं।

    ReplyDelete
  73. यदि कोई पुरुष सपने में किसी सुनहरे बालों वाली लड़की को देखता है तो उसका विवाह किसी धनी परिवार की युवती के साथ हो जाता है या कोई व्यक्ति देखे कि उसकी प्रेमिका के बाल लाल हैं तो आने वाले समय में वह युवती जिससे वह प्रेम करता है, उस पर दुराचरण का आरोप लगाती है।

    ReplyDelete
  74. सपने में यदि कोई यह देखे कि वह अपनी पत्नी से विदा ले रहा है तो वह शीघ्र ही रोग की चपेट में आ जाता है। यदि उसकी कोई प्रेमिका हो तो उससे उसका मनमुटाव हो जाता है।

    ReplyDelete
  75. जब कोई सपने में किसी महिला को नाचते हुए देखता है तो या किसी नाटक में नारी का संवाद सुनता है तो उसका अपने प्रेमी या प्रेमिका से संबंध टूट जाता है।

    ReplyDelete
  76. यदि कोई व्यक्ति सपने में किसी नग्न महिला का चित्र बनाता है तो दुर्भाग्य शीघ्र ही उसे अपनी जकड़ में ले लेता है। जिस व्यक्ति को सपने में सुअर पर बैठी हुई स्त्री अपनी ओर खींचती है उसके लिए वह रात अंतिम होती है।

    ReplyDelete
  77. जो व्यक्ति सपने में सफेद वस्त्र पहने हुए सफेद माला से अंलकृत हुई स्त्री से आलिंगनबद्ध होता है, उसे धन की प्राप्ति होती है। और जो व्यक्ति सपने में अपनी प्रेमिका से गले मिलता है उसे शुभ समाचार मिलता है।

    ReplyDelete
  78. यदि कोई अविवाहित युवती सपने में कुर्सी पर बिल्ली को सोते हुए देखती है तो उसका विवाह किसी धनी युवक से हो जाता है। अगर विवाहित स्त्री ये सपना देखे तो उसके जीवन में परेशानियां आ जाती हैं।

    ReplyDelete
  79. अगर कोई अविवाहित युवती अपने आप को किसी स्कूल की कक्षा के छात्र के रूप में देखती है तो उसका विवाह उसके वास्तविक प्रेमी से हो जाता है।

    ReplyDelete
  80. जो अविवाहित स्त्री सपने में प्रसव पीड़ा का अनुभव करती है तो उसका विवाह जल्दी ही हो जाता है।

    ReplyDelete
  81. यदि कोई कुंवारी कन्या सपने में किसी शिल्पकार को अपना काम करते हुए देखती है तो उसे उसका मनचाहा वर तो मिल जाता है लेकिन उसके मिलने में देरी होती है।

    ReplyDelete
  82. जब कोई युवती सपने में किसी पलंग पर अपने आपको बिस्तर बिछाती देखती है तो शीघ्र ही किसी प्रेमी की प्राप्ति होती है अथवा उसका विवाह हो जाता है।

    ReplyDelete
  83. आज के दौर में बिना शादी स्त्री और पुरुष का साथ रहना एक आम बात हो गई है। इस प्रथा को पाश्चात्य संस्कृति की देन माना जा रहा है। पश्चिमी देशों में यह कल्चर काफी समय से चल रहा है और भारत में भी लिव इन रिलेशनशीप के कई मामले प्रकाश में आए हैं। क्या आप जानते हैं बिना शादी यदि कोई स्त्री-पुरुष साथ रहते हैं या पति-पत्नी की तरह संबंध बनाते है तो इस रिश्ते को क्या कहते हैं?आज के समय काफी युगल ऐसे हैं तो बिना शादी किए एक साथ पति-पत्नी की तरह रह रहे हैं। वैसे तो इस पश्चिमी कल्चर माना जा रहा है लेकिन हिंदू धर्म शास्त्र में ऐसे रिश्तों के विषय में विस्तृत विवरण दिया गया है।
    इस प्रकार के रिश्तों को आज भारत में अनैतिक माना जाता है लेकिन हजारों साल पहले भारत में भी स्त्री-पुरुष ऐसे संबंध बनाते थे। जिसे समाज द्वारा स्वीकार भी किया जाता था।

    ReplyDelete
  84. महाभारत के अनुसार आठ प्रकार के विवाह बताए गए हैं। ये इस प्रकार हैं:
    1. ब्राह्म
    2. देव
    3. आर्ष
    4. प्राजापत्य
    5. गांधर्व
    6. आसुर
    7. राक्षस
    8. राक्षस
    ये आठ प्रकार के विवाह हैं और इनमें से प्रारंभिक चार विवाह ही धर्मानुकूल बताए गए हैं। विवाह की शेष विधियां पापमय हैं।

    ReplyDelete
  85. मकर लग्न की कुंडली के नवम या दशम भाव में राहु स्थित हो तो व्यक्ति के जीवन पर क्या-क्या प्रभाव पड़ते हैं, जानिए...
    मकर लग्न की कुंडली के नवम भाव में राहु हो तो...
    जिन लोगों की कुंडल मकर लग्न की है और उसके नवम भाव में राहु स्थित है तो उन लोगों को भाग्य का साथ आसानी से नहीं मिलता है। कार्यों में सफलता के लिए कड़ी मेहनत और लगातार प्रयास करने होते हैं। इसके बाद भी कुछ ही कार्यों में सफलता मिलती है। मकर लग्न की कुंडली में इस स्थान कन्या राशि का स्वामी बुध है और यह भाव पिता एवं शासकीय कार्यों से संबंधित होता है। राहु की इस स्थिति के कारण व्यक्ति जीवन में कुछ बातों का अभाव महसूस करता है और इसी कारण तनाव भी बना रहता है।
    मकर लग्न की कुंडली के दशम भाव में राहु हो तो...
    कुंडली का दसवां भाव पिता एवं शासकीय कार्यों का कारक स्थान होता है। मकर लग्न की कुंडली में इस स्थान तुला राशि का स्वामी शुक्र है। यहां राहु होने पर व्यक्ति को पिता से पूर्ण सहयोग नहीं मिलता है। इसी वजह से धन संबंधी मामलों में इन्हें सफलता नहीं मिल पाती है। कई बार असफलताएं प्राप्त होती है और उसके बाद कभी-कभी सफलता मिलती है। ये लोग गुप्त योजनाओं से कार्यों में आगे बढ़ते हैं।

    ReplyDelete
  86. मारे समाज में शकुन-अपशकुन की मान्यता प्राचीन समय से चली आ रही है। इस मान्यता को जानवरों के साथ भी जोड़ा गया है। कुत्ता भी इनमें से एक है। कुत्ते को शकुन शास्त्र में शकुन रत्न कहा गया है, क्योंकि कुत्ता इंसानों के काफी करीब है। ऐसे में इसके क्रिया-कलापों को देखकर शकुन-अपशकुन के बारे में आसानी से जाना जा सकता है।

    ReplyDelete
  87. श्रीसीता नवमी की हार्दिक मंगलकामनाएं | माता सीताजी का मातृत्व रूपी अमृत सदैव हमें प्राप्त होता रहे | जय सियाराम

    ReplyDelete
  88. 1- शकुन शास्त्र के अनुसार कुत्ता यदि अचानक धरती पर अपना सिर रगड़े और यह क्रिया बार-बार करे तो उस स्थान पर गड़ा धन होने की संभावना होती है।

    ReplyDelete
  89. 2- यदि यात्रा करते समय किसी व्यक्ति को कुत्ता अपने मुख में रोटी, पूड़ी या अन्य कोई खाद्य पदार्थ लाता दिखे तो उस व्यक्ति को सदा ही धन का लाभ होता है।

    ReplyDelete
  90. 3- जिसके घर में कोई कुत्ता बहुत देर तक आकाश, गोबर, मांस, विष्ठा देखता है तो उस मनुष्य को सुंदर स्त्री की प्राप्ति और धन का लाभ होता है

    ReplyDelete
  91. 4- यदि किसी रोगी के सामने कुत्ता अपनी पूंछ या हृदय स्थल बार-बार चाटे तो शकुन शास्त्र के अनुसार बहुत ही जल्दी उस रोगी की मृत्यु होने की संभावना रहती है

    ReplyDelete
  92. 5- यात्रा के लिए जाते हुए यदि कोई कुत्ता बाईं ओर संग-संग चले तो सुंदर स्त्री और धन की प्राप्ति होती है। यदि दाहिनी ओर चले तो चोरी या और किसी प्रकार से धन हानि की सूचना देता है।

    ReplyDelete
  93. 6- यदि किसी जुआरी को जुआ खेलते जाते समय दाईं ओर कुत्ता मैथुन करता मिले तो उसे जुए में अत्यधिक लाभ होता है।

    ReplyDelete
  94. 7- यदि किसी स्थान पर बहुत से कुत्ते एकत्रित होकर भौंके तो वहां रहने वाले लोगों पर कोई बड़ी विपत्ति आती है या फिर वहां के लोगों में भयंकर लड़ाई-झगड़ा होता है।

    ReplyDelete
  95. 8- यदि कुत्ता बाएं घुटने को सूंघते हुए दिखे तो धन प्राप्ति होती है तथा दाहिने घुटने के सूंघता दिखे तो पत्नी से झगड़ा होता है। बाईं जांघ को सूघें तो स्त्री से समागम और दाईं जांघ को सूंघे तो मित्र से वैर होने की संभावना रहती है।

    ReplyDelete
  96. 9- भोजन करते समय यदि कोई कुत्ता अपनी पूंछ उठाकर सिर को हिलाता है भोजन नहीं करना चाहिए, क्योंकि वह भोजन करने से रोगी होने की संभावना रहती है।

    ReplyDelete
  97. 10- यदि किसी यात्री को देखकर कुत्ता भय से या क्रोध से गुर्राता है अथवा बिना किसी कारण से इधर-उधर चक्कर काटे तो उस यात्रा करने वाले को धन की हानि होती है।

    ReplyDelete
  98. लोकप्रियता या सम्मान का तो हर कोई भूखा होता है। ऐसे में इसे बढ़ाना भला कौन नहीं चाहेगा! आइए, आज आपको ऐसे 5 उपाय के बारे में बताते हैं, जो आपकी लोकप्रियता और सम्मान को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकते हैं।

    1. सभी ऐकडेमिक सर्टिफिकेट्स और डिग्रियों को घर के दक्षिणी हिस्से में रखना बेहतरीन फलदायक माना जाता है।

    2. आप फूल-पत्तियों के शौकीन न भी हों तो भी ये फंडा जरूर अपनाएं। अपने गार्डन के दक्षिणी हिस्से में लाल फूलों वाले पौधे लगा सकते हैं। यदि गार्डन की सुविधा न हो तो इसे घर के अंदर भी रखा जा सकता है।

    ReplyDelete
  99. अपने घर के दक्षिणी कोने में पक्षियों को जगह दे सकते हैं। यह शुभ संकेतात्मक होते हैं। घर में पेटिंग्स रखना हर किसी का शौक होता है। लेकिन इसे घर में रखने के दौरान कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें। इसे घर के दक्षिणी हिस्से में और 3 या 9 के समूह में रखें। यदि इन पेंटिंग्स के लिए लाल रंग के फ्रेम का इस्तेमाल करें तो यह आपकी ऊर्जा को और भी बढ़ा सकता है।
    घर की दक्षिणी दीवार यदि लाल रंग की हो तो बेहतर है। घर में रोशनी का ध्यान जरूर रखें। जरूरत हो तो इस हिस्से में मोमबत्तियों का इस्तेमाल कर सकते हैं, यह काफी शक्तिशाली उर्जा का संचार करता है।

    ReplyDelete
  100. आठवीं देवी महागौरी पार्वती ने इस भूलोक में रिद्धि-सिद्धि प्राप्त करने के लिए एक महाकुंजिका की रचना की। देवी ने कहा कि जो भक्त इस मंत्र को नित्य उनका ध्यान करके पढ़ेगा, उसे इस संसार में धन-धान्य, समृद्धि, सुख-शांति और निर्भय जीवन व्यतीत करने के समस्त साधन प्राप्त होंगे। यह एक गुप्त मंत्र है। इसके पाठ से मारण, मोहन, वशीकरण, स्तम्भन और उच्चाटन आदि उद्देश्यों की भी पूर्ति होती है। यह मंत्र कुछ इस तरह हैः

    ओम ऐं ह्लीं क्लीं चमुण्डायै विच्चे।। ओम ग्लौं हुं क्लीं जूं स: ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्लीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।

    नमस्ते रूद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनी ।
    नम: कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनी ।

    ReplyDelete
  101. नमस्ते शुम्भहन्त्रयै च निशुम्भासुरघातिनि।।
    जागतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरूष्व मे ।
    ऐंकारी सृष्टिरूपायै, ह्रींकारी प्रतिपालिका।।
    क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोस्तु ते ।
    चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी।
    विच्चे चाभ्यदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि ।।
    धां धीं धूं धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी ।
    क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरू ।।
    हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
    भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नम: ।।
    अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
    धिजाग्रं धिजागं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरू कुरू स्वाहा ।।
    पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा ।।
    सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धिं कुरूष्व मेव ।।
    इदं तु कुंजिकया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत् ।
    न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा ।।

    ReplyDelete
  102. हमारे जीवन में पानी का बहुत महत्व है क्योंकि पानी के बिना जीवन संभव ही नहीं है। धर्म ग्रंथों में भी पानी से संबंधित कई महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं। उसके अनुसार जिस घर में पानी का दुरुपयोग होता है वहां सदैव धन का अभाव रहता है और धन की देवी मां लक्ष्मी भी ऐसे घर में नहीं ठहरतीं। यही बात वास्तु शास्त्र में भी कही गई है।

    ReplyDelete
  103. 1 - वास्तु शास्त्र के अनुसार जिस घर के नलों में व्यर्थ पानी टपकता रहता है। उस घर में सदा धन का अभाव रहता है। नल से व्यर्थ टपकते पानी की आवाज उस घर के आभा मंडल को भी प्रभावित करती है।
    इसलिए इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि घर के नलों से पानी व्यर्थ नहीं टपके।

    ReplyDelete

  104. 2 - बहुत से लोगों को रात में भी स्नान करने की आदत होती है। किंतु शास्त्रों में रात के स्नान को निषिद्ध माना गया है।
    निशायां चैव न स्नाचात्सन्ध्यायां ग्रहणं विना।
    अर्थात- रात के समय स्नान नहीं करना चाहिए। जिस दिन ग्रहण हो केवल उस दिन ही रात के समय स्नान करना उचित रहता है। रात के समय स्नान करना जल का दुरुपयोग करने के समान है। जो भी जल का ऐसा दुरुपयोग करता है, उसके घर में सदैव धन का अभाव रहता है।

    ReplyDelete

  105. 3- हमारे धर्म शास्त्रों में एवं पुराणों में जल को बचाने के लिए जल को अंजली (हाथों से) से पीने को निषेध बताया गया है।
    न वार्यञ्जलिना पिबेत-मनुस्मृति,स्कंदपुराण
    जलं पिबेन्नाञ्जलिना-याज्ञववल्क्यस्मृति
    क्योंकि इससे जल पीने में कम अंजली के आस पास से ढुलता ज्यादा है। इस संबंध में एक कथा भी प्रचलित है- समुद्र मंथन के समय लक्ष्मीजी से पहले उनकी बड़ी बहन अलक्ष्मी अर्थात दरिद्रता उत्पन्न हुई थी। उनको रहने के लिए स्थान बताते समय लोमष ऋषि ने जो स्थान बताए थे उनमें एक स्थान यह भी था कि जिस घर में जल का व्यय ज्यादा किया जाता हो वहां तुम अपने पति अधर्म के साथ सदैव निवास करना। अर्थात जिस घर में पानी को व्यर्थ बहाया जाता है, वहां दरिद्रता अपने पति अधर्म के साथ निवास करती है।

    ReplyDelete

  106. 4 - श्रीमद्भागवत में एक प्रसंग आता है जब गोपियां निर्वस्त्र होकर यमुना में स्नान कर रही होती हैं तब श्रीकृष्ण कहते हैं-
    यूयं विवस्त्रा यदपो धृतव्रता व्यगाहतैत्तदु देवहेलनम्।
    बद्ध्वाञ्जलिं मूध्न्र्यपनुत्तयेंहस: कृत्वा नमोधो वसनं प्रगृह्यताम्।।
    श्रीकृष्ण ने अपनी परमप्रिय गोपियों से कहा कि तुमने निर्वस्त्र होकर यमुना नदी में स्नान किया इससे जल के देवता वरुण और यमुनाजी दोनों का अपमान हुआ अत:दोनों हाथ जोड़कर उनसे क्षमा मांगों।
    भगवान इस प्रसंग से हमें ये सीख देते हैं कि जहां पर भी संग्रहित जल हो उस स्थान के स्वामी वरुण देवता होते है। उसको गंदा करने से या दूषित करने से जल के देवता का अपमान होता है व ऐसे लोग सदैव धन के अभाव में जीते हैं।

    ReplyDelete
  107. शरीर पर जन्म से जो काले-काले, छोटे-छोटे निशान होते हैं, उन्हें ही तिल कहा जाता है। इन तिलों का हमारे स्वभाव और भविष्य पर सीधा असर पड़ता है। ज्योतिष के अनुसार व्यक्ति के तिलों और तिल के स्थान को देखकर उसके जीवन के संबंध में काफी कुछ मालूम किया जा सकता है।

    ReplyDelete
  108. शरीर पर जन्म से जो काले-काले, छोटे-छोटे निशान होते हैं, उन्हें ही तिल कहा जाता है। इन तिलों का हमारे स्वभाव और भविष्य पर सीधा असर पड़ता है। ज्योतिष के अनुसार व्यक्ति के तिलों और तिल के स्थान को देखकर उसके जीवन के संबंध में काफी कुछ मालूम किया जा सकता है।

    ReplyDelete
  109. 3. जिन लोगों की सीधी आंख की पलक पर तिल होता है, वे बौद्धिक क्षमता के मामलों में अन्य लोगों से काफी आगे होते हैं। इनको बुद्धि से संबंधित कार्य करने में काफी आनंद मिलता है।
    4. जिन लोगों की सीधी आंख के नीचे तिल होता है, वे बहुत कामुक होते हैं। ये लोग प्रेम के मामले में दूसरों से अधिक भावुक होते हैं। इसके साथ ही, इन्हें दूसरों की मदद करना भी बहुत अच्छा लगता है।

    ReplyDelete
  110. 5. जिन लोगों की सीधी आंख के नीचे और नाक के पास तिल होता है, वे स्वभाव से थोड़े रहस्यमयी होते हैं। इन्हें समझना काफी मुश्किल होता है।
    6. यदि किसी व्यक्ति की नाक के प्रारंभिक स्थान पर ठीक बीच में तिल हो तो ऐसे लोग कल्पनाशील होते हैं। ये लोग किसी भी कार्य को रचनात्मक ढंग से करना पसंद करते हैं।

    ReplyDelete
  111. 7. जिन लोगों के बाएं हाथ की ओर वाली आंख के नीचे और नाक के पास तिल होता है, वे दूसरे लोगों से जलन रखने वाले हो सकते हैं। ऐसे लोग स्वयं के विषय में अधिक सोचते हैं।
    8. यदि किसी व्यक्ति की बाईं आंख की ओर ठीक नीचे तिल हो तो ऐसे लोग वासनात्मक स्वभाव के होते हैं। इनके वैवाहिक जीवन में विभिन्न अनुभव होते हैं।

    ReplyDelete
  112. 9. जिन लोगों की बाएं हाथ की ओर की आंख के कोने के पास तिल हो तो व्यक्ति अपने प्रेम के लिए लड़ाई-झगड़ा करने वाला होता है। ये लोग अपने प्रेम पात्र को पाने के लिए कोई अपराध भी कर सकते हैं।
    10. यदि किसी व्यक्ति की बाईं आंख की पलक पर तिल है तो समझ लेना चाहिए कि वह दिमाग से बहुत तेज है। ऐसे लोग अच्छे कूटनीतिकार होते हैं। कूटनीति के कारण कई मुश्किल कार्यों में सफलता प्राप्त कर लेते हैं।

    ReplyDelete
  113. 11. यदि किसी व्यक्ति की नाक पर तिल है तो वह अधिक यात्राएं करना वाला होता है और ऐसे लोग के प्रेम संबंध में कुछ परेशानियां भी हो सकती हैं।
    12. जिन लोगों के सीधे हाथ की ओर वाले गाल की हड्डी पर तिल होता है, वे भावुक होते हैं। भावनाओं के कारण किसी परेशानी में फंस सकते हैं।

    ReplyDelete
  114. 13. सीधे हाथ की ओर वाले गाल पर तिल हो तो व्यक्ति कामुक अधिक होता है। कई बार इनका झगड़ा अपने प्रेमी या जीवन साथी से हो जाता है।
    14. सीधे हाथ की ओर ही नाक के ठीक नीचे तिल हो तो व्यक्ति उच्च विचारों वाला होता है। ऐसे लोग रहस्यमयी होते हैं और अपने राज किसी पर जाहिर नहीं होने देते हैं। इनका भाग्य उत्तम होता है।

    ReplyDelete
  115. 15. यदि किसी व्यक्ति की नाक के मध्य में ठीक नीचे तिल हो तो ऐसे लोग आजादी से जीना पसंद करते हैं। ऐसे लोगों को यात्राएं बहुत अच्छी लगती हैं।
    16. जिन लोगों के होंठ के ठीक ऊपर बाएं हाथ की ओर तिल हो तो वे अपनी संतान से बहुत प्रेम करने वाले होते हैं। इनकी उदारता के कारण घर-परिवार में सुख और समृद्धि का वातावरण रहता है। ये विश्वासपात्र भी होते हैं।

    ReplyDelete
  116. 7. यदि किसी व्यक्ति की नाक पर बाएं ओर तिल हो तो वह कलात्मक तरीके से कार्य करने वाला होता है। ऐसे लोग कई बार अपने कामों से दूसरों को चौंका देते हैं। इनके कई प्रेम संबंध हो सकते हैं, लेकिन शादी के बाद अपने जीवन साथी के प्रति समर्पित रहते हैं।
    18. सीधे हाथ की ओर होंठ के ठीक ऊपर तिल हो तो व्यक्ति अपने कार्य को मौलिकता के साथ करता है। ये लोग बुद्धिमान होते हैं और इनकी कल्पनाशक्ति भी उत्तम होती है।

    ReplyDelete
  117. 19. यदि किसी व्यक्ति के सीधे हाथ की ओर होंठ के कोने पर तिल हो तो व्यक्ति प्रेमी स्वभाव का होता है। जीवन साथी के प्रति समर्पित रहता है। कभी-कभी इनके स्वभाव में ईर्ष्या भी आ जाती है।
    20. जिन लोगों के बाएं हाथ की ओर गाल की हड्डी पर कान के ठीक पास में तिल होता है, उन्हें समझना बहुत मुश्किल है। ऐसे लोग अच्छे योजनाकार होते हैं।

    ReplyDelete
  118. 21. जिन लोगों के बाएं हाथ की ओर गाल की हड्डी पर कान से थोड़ी दूरी पर तिल होता है। उनकी बौद्धिक क्षमता उच्च होती है। इन्हें एक जैसा जीवन पसंद नहीं होता है। समय-समय पर जीवन में बदलाव करना इन्हें पसंद होता है।
    22. बाएं हाथ की ओर होंठ के ठीक कोने में तिल हो तो व्यक्ति ज्यादा कामुक होता है। कामुक स्वभाव के कारण इन्हें जीवन में कई परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है।

    ReplyDelete
  119. 25. जिन लोगों की दाढ़ी (चिन) पर तिल हो तो व्यक्ति परंपरावादी होता है। ऐसे लोग परिवार को सुखी रखने का प्रयास करते हैं। अन्य लोगों से इनके संबंध मधुर रहते हैं। वैसे तो ये लोग स्वभाव से शांत रहते हैं, लेकिन कभी-कभी ये अधिक क्रोधी भी होते हैं। किसी भी कार्य को पूरी लगन और ईमानदारी के साथ करते हैं।

    ReplyDelete
  120. ललाट पर तिल-ललाट के मध्य भाग में तिल निर्मल प्रेम की निशानी है। ललाट के दाहिने तरफ का तिल किसी विषय विशेष में निपुणता, किंतु बायीं तरफ का तिल फिजूलखर्ची का प्रतीक होता है। ललाट या माथे के तिल के संबंध में एक मत यह भी है कि दायीं ओर का तिल धन के संबंध में शुभ और बायीं तरफ का तिल शुभ नहीं है।

    ReplyDelete
  121. लंबी गर्दन- अगर गर्दन सामान्य से अधिक बड़ी हो तो ऐसे जातक बातूनी, मंदबुद्धि, अस्थिर, निराश और चापलूस होता है। यह अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने की आदत से लाचार भी होता है।

    ReplyDelete
  122. सूखी गर्दन- ऐसी गर्दन में मांस कम होता है तथा नसें स्पष्ट दिखाई देती हैं। ऐसे जातक सुस्त, कम महत्वाकांक्षी, सदैव रोगी रहने वाला, आलसी, क्रोधी, विवेकहीन और हर कार्य में असफल होते हैं। ये सामान्य स्तर के लोग होते हैं और अपने जीवन से संतुष्ट भी।

    ReplyDelete
  123. ऊंट जैसी गर्दन- ऐसी गर्दन पतली व ऊंची होती है। ऐसे जातक आमतौर पर सहनशील, अदूरदर्शी व परिश्रमप्रिय होते हैं। इनमें से कुछ लोग धूर्त भी होते हैं। ये लोग अपना हित साधने में लगे होते हैं और समय आने पर किसी भी हद तक जा सकते हैं।

    ReplyDelete
  124. आदर्श गर्दन- ऐसी गर्दन पारदर्शी व सुराहीदार होती है, जो आमतौर पर महिलाओं में पाई जाती है। ऐसी गर्दन कलाप्रिय, कोमल, ऐश्वर्य और भोग की परिचायक होती है। ऐसे जातक सुख व वैभव का जीवन जीते हैं।

    ReplyDelete
  125. समुद्र शास्त्र के अनुसार मनुष्य के शरीर का हर हिस्सा उसके व्यक्तित्व के बारे में काफी कुछ बताता है। अगर किसी व्यक्ति के कुछ विशेष अंगों पर गौर किया जाए तो उसके स्वभाव को आसानी से समझा जा सकता है। गर्दन भी शरीर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।
    गर्दन शरीर का वह हिस्सा है जिस पर मनुष्य का सिर टिका होता है और मस्तिष्क से निकलकर सभी अंगों में पहुंचने वाली नसें और नाडिय़ां इसी से होकर गुजरती हैं। अगली स्लाइड्स पर क्लिक कीजिए और समुद्र शास्त्र के अनुसार जानिए किस तरह की गर्दन वाले का व्यक्ति का स्वभाव किस प्रकार का होता है।

    ReplyDelete
  126. यदि कोई उल्लू रात में यात्रा कर रहे व्यक्ति को होम-होम की आवाज करता मिले तो शुभ फल मिलता है क्योंकि इसी प्रकार की ध्वनि यदि वह फिर करता है तो उसकी इच्छा रमण करने की होती है।

    ReplyDelete

  127. 2- वराह अवतार
    धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु ने दूसरा अवतार वराह रूप में लिया था। वराह अवतार से जुड़ी कथा इस प्रकार है-
    पुरातन समय में दैत्य हिरण्याक्ष ने जब पृथ्वी को ले जाकर समुद्र में छिपा दिया तब ब्रह्मा की नाक से भगवान विष्णु वराह रूप में प्रकट हुए। भगवान विष्णु के इस रूप को देखकर सभी देवताओं व ऋषि-मुनियों ने उनकी स्तुति की। सबके आग्रह पर भगवान वराह ने पृथ्वी को ढूंढना प्रारंभ किया। अपनी थूथनी की सहायता से उन्होंने पृथ्वी का पता लगा लिया और समुद्र के अंदर जाकर अपने दांतों पर रखकर वे पृथ्वी को बाहर ले आए।
    जब हिरण्याक्ष दैत्य ने यह देखा तो उसने वह भगवान विष्णु के वराह रूप को युद्ध के लिए ललकारा। दोनों में भीषण युद्ध हुआ। अंत में भगवान वराह ने हिरण्याक्ष का वध कर दिया। इसके बाद भगवान वराह ने अपने खुरों से जल को स्तंभित कर उस पर पृथ्वी को स्थापित कर दिया। इसके पश्चात् भगवान वराह अंतर्धान हो गए।

    ReplyDelete
  128. गुरुवार को आपकी राशि का चंद्रमा शनि और राहु के साथ रहेगा। शनि और चंद्र की युति विष योग बनाती है और राहु-चंद्र की युति ग्रहण योग बनाती है। जानिए आपके लिए कैसा रहेगा ये संयोग? जानिए पूरे दिन में कब क्या होने वाला है आपके साथ?

    ReplyDelete


  129. जानिए यदि किसी व्यक्ति की कुंडली कुंभ लग्न की हो और उसके पंचम या षष्ठम भाव में सूर्य स्थित हो तो व्यक्ति के जीवन पर क्या-क्या प्रभाव पड़ते हैं...
    कुंभ लग्न की कुंडली के पंचम भाव में सूर्य हो तो...
    कुंडली का पांचवां भाव शिक्षा एवं बुद्धि के साथ ही संतान का कारक स्थान है। कुंभ लग्न की कुंडली का पंचम भाव मिथुन राशि का स्वामी बुध है। बुध की इस राशि में सूर्य होने पर व्यक्ति को शिक्षा के क्षेत्र में विशेष लाभ मिलता है। इन लोगों को संतान की ओर से भी पूर्ण सुख और सहयोग मिलता है। सूर्य की इस स्थिति के कारण व्यक्ति को बुद्धिमान और सुंदर जीवन साथी मिलता है। यदि ये लोग व्यवसाय करते हैं तो सफलता मिलती है।
    कुंभ लग्न की कुंडली में षष्ठम भाव में सूर्य हो तो...
    जिन लोगों की कुंडली कुंभ लग्न की है और उसके षष्ठम भाव में सूर्य हो तो व्यक्ति को शत्रुओं से विशेष लाभ प्राप्त होता है। यदि इनसे कोई शत्रुता रखता है तो उसे हार मिलती है और इन्हें उससे लाभ मिलता है। कुंडली का छठां भाव शत्रु एवं रोग का कारक स्थान होता है। सूर्य के कारण व्यक्ति को व्यवसाय के क्षेत्र में कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। जीवन साथी की ओर से पूरा सहयोग न मिल पाने के कारण कभी-कभी मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है।

    ReplyDelete
  130. आचार्य जी आज दिनाक 26/05/2013 से गंगोत्री उत्तरकाशी में रहेगे जी मोबाइल 7417960099

    गंगा माँ सभ की मनोकाना पूरी करेगे जय गंगा माया जी

    ReplyDelete


  131. 6- चोकरयुक्त आटे की 2 रोटी लेकर एक तेल और दूसरी घी से चुपड़ दें। तेल वाली रोटी पर थोड़ा मिष्ठान रखकर काली गाय को खिला दें। इसके बाद दूसरी रोटी भी खिला दें और शनिदेव का स्मरण करें।

    ReplyDelete
  132. दान - शनि भक्ति में दान का महत्व बताया गया है। दान उदार बनाकर घमण्ड को भी दूर रखता है। इसलिए यथाशक्ति शनि से जुड़ी सामग्रियों या किसी भी रूप में दान धर्म का पालन करें। अहं व विकारों से मुक्त इंसान से शनि प्रसन्न होते हैं।

    ReplyDelete
  133. दि कोई व्यक्ति कर्ज के कारण परेशान है और कर्ज का भुगतान नहीं कर पा रहा है तो उसे यह तांत्रिक उपाय करना चाहिए। ऋण की किश्तों का भुगतान मंगलवार के दिन ही करें। इसके अलावा इस बात का विशेष ध्यान रखें कि बुधवार और गुरुवार को किसी को ऋण के रुपए नहीं देना चाहिए। मंगलवार का दिन ऋण की किश्ते चुकाने के लिए श्रेष्ठ है। इस बात का ध्यान रखेंगे तो कर्ज जल्दी खत्म हो जाएगा।

    ReplyDelete
  134. एक अन्य चमत्कारी टोटके के अनुसार यदि संभव हो तो हमेशा चांदी के बर्तन में पानी पीएं। चांदी बर्तन ना हो तो गिलास में पानी भरें और उसमें चांदी की अंगुठी डालकर पानी पीएं। यह प्राचीन, सरल और बहुत चमत्कारी तांत्रिक उपाय है। इससे निश्चित की धन संबंधी मामलों में राहत मिलती है।

    ReplyDelete
  135. Online corporate astrologers available in India — Chandigarh
    www.jyotishseva.com

    ReplyDelete
  136. पैसा, धन, रुपए जैसे शब्दों सुनते ही लोगों की आंखों में चमक आ जाती है। सभी का सपना होता है कि उनके पास इतना पैसा हो कि वे हर चीज खरीद सके, हर सुख-सुविधा प्राप्त कर सके, जिंदगी के मजे ले सके। लेकिन सभी की किस्मत में अपार धन नहीं होता, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जो भी अमीर लोग हैं उनकी कुंडली में कुछ विशेष योग होते हैं जिसके प्रभाव से वे धनवान बनते हैं।
    जन्म कुंडली में धनयोग
    - जन्म कुंडली का दूसरा घर या भाव धन को दर्शाता है। कुंडली का दूसरा भाव धन, खजाना, सोना, मोती, चांदी, हीरे आदि देने में समर्थ है। साथ ही इस भाव से व्यक्ति के पास कितनी स्थाई संपत्ति जैसे घर, भवन-भूमि होगी, इस बात पर विचार किया जाता है।
    - जिस व्यक्ति की कुंडली में द्वितीय भाव में शुभ ग्रह या शुभ ग्रहों की दृष्टि हो, तो उसे धन प्राप्त होता है।

    ReplyDelete
  137. यदि द्वितीय भाव के चंद्रमा पर नीच के बुध की दृष्टि पड़ जाए तो उस व्यक्ति के परिवार का धन भी समाप्त हो जाता है।
    - यदि चंद्रमा अकेला हो तथा कोई भी ग्रह उससे द्वितीय या द्वादश न हो तो व्यक्ति आजीवन गरीब ही रहता है। ऐसे व्यक्ति को आजीवन अत्यधिक परिश्रम करना होता है परंतु वह अधिक पैसा नहीं प्राप्त कर पाता।

    ReplyDelete
  138. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध द्वितीय भाव में हो तथा उस पर चंद्रमा की दृष्टि हो, तो वह व्यक्ति गरीब होता है।
    - यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में द्वितीय भाव में चंद्रमा स्थित हो तो वह बहुत धनवान होता है। उसके जीवन में जैसे पैसों की बारिश होती रहती है।

    ReplyDelete
  139. यदि द्वितीय भाव में किसी पाप ग्रह की दृष्टि हो, तो वह व्यक्ति धनहीन होता है।
    - यदि सूर्य और बुध द्वितीय भाव में स्थित हो, तो ऐसे व्यक्ति के पास पैसा नहीं टिकता।
    आगे जानिए यदि आप धनवान बनना चाहते हैं तो आपको कौन-कौन से उपाय करने चाहिए.

    ReplyDelete
  140. धनवान बनने के लिए खास उपाय
    सोमवार को व्रत करें। सोमवार शिवजी का दिन है और शिवजी की भक्ति से धन और ऐश्वर्य प्राप्त होता है।
    सोमवार को अनामिका अंगुली (रिंग फिंगर) में सोने, चांदी और तांबे से बनी अंगुठी पहनें।
    शिवलिंग पर प्रतिदिन जल चढ़ाएं, बिल्वपत्र और चावल चढ़ाएं।
    प्रतिदिन शाम को शिवजी के मंदिर में दीपक लगाएं।
    पूर्णिमा को चंद्र का पूजन करें।
    श्रीसूक्त का पाठ करें।
    श्री लक्ष्मीसूक्त का पाठ करें।
    कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें।

    ReplyDelete
  141. जानिए यदि किसी व्यक्ति की कुंडली कुंभ लग्न की हो और उसके सप्तम या अष्टम भाव में गुरु स्थित हो तो व्यक्ति के जीवन पर क्या-क्या प्रभाव पड़ते हैं...
    कुंभ लग्न की कुंडली के सप्तम भाव में गुरु हो तो...
    जिन लोगों की कुंडली कुंभ लग्न की है और उसके सप्तम भाव में गुरु स्थित है तो उन लोगों को जीवन साथी की ओर से पूर्ण सुख एवं सहयोग मिलता है। इनका वैवाहिक जीवन सुखद होता है और इनका रंग-रूप आकर्षक होता है इसी वजह से इनके मित्रों की संख्या भी अधिक होती है। समाज में मान-सम्मान मिलता है। कुंडली का यह स्थान जीवन साथी और व्यवसाय का कारक स्थान होता है। कुंभ लग्न की कुंडली में इस भाव सिंह राशि का स्वामी सूर्य है। सूर्य की इस राशि में गुरु होने पर व्यक्ति को घर-परिवार से भी पूर्ण सहयोग मिलता है।
    कुंभ लग्न की कुंडली के अष्टम भाव में गुरु हो तो...
    कुंडली का आठवां भाव आयु एवं पुरातत्व का कारक स्थान होता है और कुंभ लग्न की कुंडली में इस स्थान कन्या राशि का स्वामी बुध है। यहां गुरु होने पर व्यक्ति को स्वास्थ्य का अधिक ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। इन लोगों को बाहरी स्थानों से विशेष लाभ प्राप्त होता है। धन संबंधी कार्यों में इन्हें अतिरिक्त मेहनत करना होती है। माता से सहयोग न मिलने के कारण कई बार इनके जीवन में मानसिक तनाव बढ़ जाता है। भूमि एवं मकान संबंधी कार्यों में सामान्य शक्ति मिलती है।

    ReplyDelete
  142. जो व्यक्ति शास्त्रों द्वारा वर्जित दिनों में या सायंकाल में स्त्री के साथ सहवास करता हो, दिन में सोता हो उसके घर लक्ष्मी नहीं जातीं। पति-पत्नी को ध्यान रखना चाहिए कि जिस श्राद्ध पक्ष में सहवास नहीं करना चाहिए। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में या शाम के समय भी यह काम नहीं करना चाहिए। इसके अलावा उन तिथियों पर भी सहवास नहीं करना चाहिए जब परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु हुई हो।

    ReplyDelete
  143. सामान्यत: सभी की सोच होती है कि पूजा-अर्चना से लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती हैं परंतु महालक्ष्मी की कृपा के लिए पूजा के साथ-साथ कई अन्य विधान भी बताए गए हैं। इन विधानों के अभाव में लक्ष्मी पूजा भी निष्फल हो जाती है और भक्त को धन, यश, मान-सम्मान प्राप्त नहीं हो पाता। शास्त्रों के अनुसार कुछ ऐसे कार्य वर्जित किए गए हैं जो महालक्ष्मी की कृपा प्राप्ति में बाधा उत्पन्न करते हैं।
    - यदि कोई व्यक्ति आलसी हैं, जो ईश्वर में विश्वास नहीं करता। वह लक्ष्मी की कैसी भी पूजा करें उसके पास हमेशा धन अभाव ही रहता है।

    ReplyDelete
  144. कपटी, चोर, बुरे चरित्र वाले व्यक्तियों के पास देवी लक्ष्मी कभी नहीं जाती और यदि ऐसे लोगों के पैसा होता भी है तो वह अधिक समय के लिए नहीं ठहरता है।
    - गुरु के प्रति अनादर का भाव रखने वाले, गुरु की पत्नी पर बुरी नजर रखने वाले व्यक्ति से महालक्ष्मी अति क्रोधित होती है और पुराना धन भी समाप्त कर देती है।

    ReplyDelete
  145. जो व्यक्ति भगवान पर बासी पुष्प अर्पित करता हो, उससे लक्ष्मी दूर रहती है।
    - जो व्यक्ति घर के सदस्यों में भेद-भाव करता हो, उसे धन प्राप्त नहीं होता।
    - महालक्ष्मी उसे त्याग देती है जो सफाई से नहीं रहता, हमेशा गंदे, दुर्गंधयुक्त कपड़े पहनता हो।

    ReplyDelete
  146. जो व्यक्ति भगवान पर बासी पुष्प अर्पित करता हो, उससे लक्ष्मी दूर रहती है।
    - जो व्यक्ति घर के सदस्यों में भेद-भाव करता हो, उसे धन प्राप्त नहीं होता।
    - महालक्ष्मी उसे त्याग देती है जो सफाई से नहीं रहता, हमेशा गंदे, दुर्गंधयुक्त कपड़े पहनता हो।

    ReplyDelete
  147. जिंदगी को सही ढंग से जीने के लिए सही रोजगार ही नहीं बल्कि पर्याप्त धन की भी आवश्यकता होती है। ऐसे में जीवन को संपूर्णता के साथ जीने के लिए हर इंसान को एक अच्छा कमाई का जरिया व धन की जरुरत होती है। अगर आप अपनी नौकरी या व्यवसाय से संतुष्ट नहीं है। अच्छी नौकरी की तलाश तो हैं पर मिल नहीं रही या आर्थिक कमजोरी के कारण दुखी हैं तो हम आपको बताने जा रहे हैं। रामचरितमानस नामक ग्रंथ की दो ऐसी चौपाईयां जिन्हें बोलने से नौकरी व धन प्राप्त होता है।

    विशेष- अगर जल्द ही इस चौपाई से मिलने वाले सुपरिणाम को जानना हो तो मनोकामना पूरी होने तक राम दरबार की पूजा करें और फिर धूप दीप व प्रसाद के साथ भगवान का आर्शीवाद लें और 108 बार चौपाई का जप करें ।
    नौकरी पाने के लिए -

    बिस्व भरण पोषन कर जोई। ताकर नाम भरत जस होई।।

    धन-दौलत, सम्पत्ति पाने के लिए -

    जे सकाम नर सुनहि जे गावहि।सुख संपत्ति नाना विधि पावहि।।

    ReplyDelete
  148. स्त्री हो या पुरुष रोज सुबह बिस्तर छोडऩे से पहले अपने हाथों के दर्शन करने चाहिए।
    यदि आप सोचते हैं कि केवल हाथों के दर्शन से क्या होगा? तो इस प्रश्न का उत्तर धर्म ग्रंथों में दिए इस मंत्र में छिपा हुआ है-
    कराग्रे वसति लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती।
    करमूले तू गोविंद: प्रभाते करदर्शनम्॥
    इस मंत्र में बताया गया है कि सुबह-सुबह हमें अपने हाथों के दर्शन क्यों करने चाहिए। यह प्राचीन समय से चली आ रही परंपरा है और आज भी जो लोग इसका पालन करते हैं उनके जीवन में सुख और शांति के साथ धन की पूर्ति भी बनी रहती है।

    ReplyDelete
  149. शिवपुराण के कोटिरुद्र संहिता में वर्णन है कि-
    केदारेशस्य भक्ता ये मार्गस्थास्तस्य वै मृता:। तेपि मुक्ता भवन्त्येव नात्र कार्या विचारणा।।
    शिवपुराण के अनुसार केदारनाथ के मार्ग में या उस क्षेत्र में जो भी भक्त मृत्यु को प्राप्त होगा वह भी भवसागर से मुक्ति प्राप्त करेगा।

    ReplyDelete
  150. दि किसी व्यक्ति को धन प्राप्त करने में बार-बार रुकावटें आ रही हों तो उसे यह उपाय करना चाहिए।
    यह उपाय 40 दिनों तक किया जाना चाहिए। इसे अपने घर पर ही किया जा सकता है। उपाय के अनुसार धन प्राप्ति मंत्र का जप करना है। प्रतिदिन 108 बार।
    मंत्र: ऊँ सरस्वती ईश्वरी भगवती माता क्रां क्लीं, श्रीं श्रीं मम धनं देहि फट् स्वाहा।
    इस मंत्र का जप नियमित रूप से करने पर कुछ ही दिनों महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो जाएगी और आपके धन में आ रही रुकावटें दूर होने लगेंगी।

    ReplyDelete
  151. यदि आप दसों दिशाओं से यानी चारों तरफ से पैसा प्राप्त करना चाहते हैं तो यह उपाय करें। यह उपाय दीपावली के दिन किया जाना चाहिए।
    दीपावली की रात में विधि-विधान से महालक्ष्मी का पूजन करें। पूजन के सो जाएं और सुबह जल्दी उठें। नींद से जागने के बाद पलंग से उतरे नहीं बल्कि यहां दिए गए मंत्र का जप 108 बार करें।
    मंत्र: ऊँ नमो भगवती पद्म पदमावी ऊँ ह्रीं ऊँ ऊँ पूर्वाय दक्षिणाय उत्तराय आष पूरय सर्वजन वश्य कुरु कुरु स्वाहा।
    शय्या पर मंत्र जप करने के बाद दसों दिशाओं में दस-दस बार फूंक मारें। इस उपाय से साधक को चारों तरफ से पैसा प्राप्त होता है।

    ReplyDelete
  152. सफेद आंकड़े को छाया में सुखा लें। इसके बाद कपिला गाय यानी सफेद गाय के दूध में मिलाकर इसे पीस लें और इसका तिलक लगाएं। ऐसा करने पर व्यक्ति का समाज में वर्चस्व हो जाता है।

    ReplyDelete
  153. यदि आपको ऐसा लगता है कि किसी स्थान पर धन गढ़ा हुआ है और आप वह धन प्राप्त करना चाहते हैं तो यह उपाय करें।
    गड़ा धन प्राप्त करने के लिए यहां दिए गए मंत्र का जप दस हजार बार करना होगा।
    मंत्र: ऊँ नमो विघ्नविनाशाय निधि दर्शन कुरु कुरु स्वाहा।
    गड़े हुए धन के दर्शन करने के लिए विधि इस प्रकार है। किसी शुभ दिवस में यहां दिए गए मंत्र का जप हजारों की संख्या करें। मंत्र सिद्धि हो जाने के बाद जिस स्थान पर धन गड़ा हुआ है वहां धतुरे के बीज, हलाहल, सफेद घुघुंची, गंधक, मैनसिल, उल्लू की विष्ठा, शिरीष वृक्ष का पंचांग बराबर मात्रा में लें और सरसों के तेल में पका लें। इसके बाद इस सामग्री से गड़े धन की शंका वाले स्थान पर धूप-दीप ध्यान करें। यहां दिए गए मंत्र का जप हजारों की संख्या में करें।
    ऐसा करने पर उस स्थान से सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों का साया हट जाएगा। भूत-प्रेत का भय समाप्त हो जाएगा। साधक को भूमि में गड़ा हुआ धन दिखाई देने लगेगा।
    ध्यान रखें तांत्रिक उपाय करते समय किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी का परामर्श अवश्य लें।

    ReplyDelete
  154. शास्त्रों के अनुसार दूर्वा घास चमत्कारी होती है। इसका प्रयोग कई प्रकार के उपायों में भी किया जाता है। यदि कोई व्यक्ति सफेद दूर्वा को कपिला गाय यानी सफेद गाय के दूध के साथ पीस लें और इसका तिलक लगाएं तो वह किसी भी काम में असफल नहीं होता है।

    ReplyDelete
  155. महालक्ष्मी की कृपा तुरंत प्राप्त करने के लिए यह तांत्रिक उपाय करें।
    किसी शुभ मुहूर्त जैसे दीपावली, अक्षय तृतीया, होली आदि की रात यह उपाय किया जाना चाहिए। दीपावली की रात में यह उपाय श्रेष्ठ फल देता है। इस उपाय के अनुसार आपको दीपावली की रात कुमकुम या अष्टगंध से थाली पर यहां दिया गया मंत्र लिखें।
    मंत्र: ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्मी, महासरस्वती ममगृहे आगच्छ-आगच्छ ह्रीं नम:।
    इस मंत्र का जप भी करना चाहिए। किसी साफ एवं स्वच्छ आसन पर बैठकर रुद्राक्ष की माला या कमल गट्टे की माला के साथ मंत्र जप करें। मंत्र जप की संख्या कम से कम 108 होनी चाहिए। अधिक से अधिक इस मंत्र की आपकी श्रद्धानुसार बढ़ा सकते हैं।
    इस उपाय से आपके घर में महालक्ष्मी की कृपा बरसने लगेगी।

    ReplyDelete
  156. अपामार्ग के बीज को बकरी के दूध में मिलाकर पीस लें, लेप बना लें। इस लेप को लगाने से व्यक्ति का समाज में आकर्षण काफी बढ़ जाता है। सभी लोग इनके कहे को मानते हैं।

    ReplyDelete
  157. यदि आप देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर की कृपा से अकूत धन संपत्ति चाहते हैं तो यह उपाय करें।
    उपाय के अनुसार आपको यहां दिए जा रहे मंत्र का जप तीन माह तक करना है। प्रतिदिन मंत्र का जप केवल 108 बार करें।
    मंत्र: ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवाणाय, धन धन्याधिपतये धन धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।
    मंत्र जप करते समय अपने पास धनलक्ष्मी कौड़ी रखें। जब तीन माह हो जाएं तो यह कौड़ी अपनी तिजोरी में या जहां आप पैसा रखते हैं वहां रखें। इस उपाय से जीवनभर आपको पैसों की कमी नहीं होगी।

    ReplyDelete
  158. एक कड़वा सच---

    मित्रों, मेरे कुछ परिचित बद्रीनाथ एवं उत्तराखंड में हुयी तबाही के बाद वापस आये हें..

    वे लोग बताते हें की सरकार या फिर न्यूज चेनल वाले बचाए गए /जीवित लोगों की जो भी संख्या या आंकड़े बता रहें हें वे सभी झूंठे हें...
    दरअसल अभी तक किसी ने भी मृतकों की असली/वास्तविक संख्या /गिनती बताई ही नहीं हें..???

    जेसे यदि किसी की पत्नी गुजर गयी तो केवल पति को गिना जा रहा हें..या फिर किसी का पति गुजर गया तो केवल पत्नी की गिनती की जा रही हें...केवल बचाए गए लोगों की ही संख्या गिनाई/बताई जा रही हें...
    ...

    उस क्षेत्र में लगभग 30 गाँव पूरी तरह से तबाह हो गए हें..कोई जीवित नहीं बच पाया हें.. आप ही अनुमान लगा लीजिये की एक गाँव में कम से कम पांच हजार लोग तो रहे होंगे तो कितने का स्वर्गवास हुआ..यह स्थिति तो केवल केदार नाथ के निकत्वस्ती कस्बों/गाँव की हें..तो सच क्या हें..???

    और यदि कोई बच भी गया तो क्या वो दो लाख में अपना घर बना पायेगा..???
    और ये जो आपदा राहत सामग्री जा रही हें क्या वह सचमुच सही लोगो तक पहुँच पा रही हें..??

    आपको पता हें एक पानी को बोतल उस समय वहां पर 150 रुपये में उन सभी को खरीदनी पड़ी थी..100 रुपये में बिस्कुट का पैकिट ख़रीदा था मज़बूरी में.

    ReplyDelete
  159. इस गुरु पूर्णिमा पर क्या करे

    क्या और कैसे करे

    वृक्षारोपण हेतु जिला तहसील स्तर पर किसी एक गाँव का पूर्व में ही चयन कर ग्राम वासियों की सहमती ले ले
    हर घर के आंगन में एक वृक्ष लगे ऐसा संकल्प ले
    संगठन स्तर इस विषय पर सक्रीय परिजनों की गोष्ठी करे
    तरुपुत्र संकल्प
    १- गुरुपूर्णिमा के दिन समय निर्धारित करके ग्रामवासियो के किसी स्थान का चयन कर फोधो को स्वस्तिक आकार में जमकर ग्राम वासिओ को जोड़े सहित पूजन में बिठाये.
    २- हो सके एक कुण्डीय यज्ञ कर सकते है. अन्यथा सामान्य यज्ञ कर्मकांड कर पोधो का पूजन करे.
    ३. तत्पश्चात पोधो को ग्रामीणों की गोद में रखकर वृक्ष का महत्व बताकर उनको तरुपुत्र का संकल्प कराये तथा जीवन भर उसकी सुरक्षा एवं पोषण की जिमेदारी ka

    अधिक जानकारी के लिए आचार्य जी संपर्क करे

    ReplyDelete
  160. धर्म की जय हो
    अधर्म का नाश हो
    विश्व का कल्याण हो
    प्राणियो में सदभावना हो

    ReplyDelete
  161. आचार्य जी कल से दिल्ली में उसके बाद सिवान बिहार में रहेगे जी जय माता दी कॉल +919872414003

    ReplyDelete
  162. जब महमूद गजनवी ने भगवान शिव के सोमनाथ मंदिर पर हमला किया था तब उसे एक सेवक ने ही ईनाम के लालच में बताया था की मन्दिर में किस जगह कितना सोना रखा है. जब वो सबकुछ लूटकर ले जाने लगा तब उस सेवक ने कहा की - '' मेरा ईनाम ?'' महमूद गजनवी ने कहा - '' तेरा इनाम ,अभी देता हूँ तेरा इनाम ''ऐसा कहके महमूद गजनवी ने म्यान से अपनी तलवार निकाली और कहा की -'' तेरे जैसे अपने ही धर्म के गद्दारों को ईनाम नही बल्कि मतलब निकलने के बाद उनका सर कलम किया जाता है क्योकि जो इन्सान अपने धर्म का नही हुआ वो मेरे या किसी ओर के धर्म का क्या होगा ''और इतना कहकर महमूद गजनवी ने उसका सिर धड़ से अलग कर दिया |देखा जाए तो इतिहास कि इस घटना को जानने के बाद सोचने पर मजबूर होना पड़ता है कि हमारा असली दुश्मन कौन है ,बाहरी या फिर हमारे घर के अंदर ही छुपे हुए सेकुलर गद्दार??

    ReplyDelete
  163. तुलसी के पत्तों का सेवन करते समय ध्यान रखना चाहिए कि इन पत्तों को चबाए नहीं बल्कि ऐसे ही निगल लेना चाहिए। इस प्रकार तुलसी का सेवन करने से कई रोगों में लाभ प्राप्त होता है। तुलसी के पत्तों में पारा धातु भी विद्यमान होती है जो कि पत्तों को चबाने से दांतों पर लगती है। यह हमारे दांतों के लिए फायदेमंद नहीं है। इससे दांत और मुंह से संबंधित रोग का खतरा बना रहता है। अत: तुलसी के पत्तों को बिना चबाए निगलना चाहिए।

    ReplyDelete
  164. शुभ प्रभात मित्रजनो....
    चेहरे पे मुस्कुराहट एवं निर्मल हंसी ईश्वर का प्रसाद होती है.....
    मुस्कुराते रहिये....ॐ नमह: शिवाय.....जय माँ शक्ति ....हर हर महादेव..

    ReplyDelete
  165. वृ्द्धो का सम्मान करना
    उपाय करने वाले व्यक्ति को कभी भी अपने से बडों व वृ्द्धों का अपमान नहीं करना चाहिए.

    ReplyDelete
  166. स्वातन्त्र्य हार्दिक शुभकामनाए जय हिन्द जय माँ भारती

    ReplyDelete
  167. मंगल दोष –

    गणेशजी के दिशानिदेशों का पालन करके मंगलदोष के क्रोध को शान्त करें। मंगल,जातक की कुंडली में अलग अलग घरों में रहकर अलग अलग प्रभाव डालता है। आइए जाने कि कुंडली में मंगल दोष कैसे होता है।

    जब मंगल कुंडली के 1, 4, 7, 8 या 12 वें स्थान पर हो तो यह एक मंगल दोष है और ऐसे जातक को मांगलिक कहा जाता है। हमारे समाज में मंगल दोष की उपस्थिति एक बहुत बड़ा डर या भ्रम बन गया है। यहां तक की ज्योतिष की लिखी हुई पुरानी किताबों में भी मंगल दोष के बारे में मतभेद हैं, क्या क्या अपवाद उपलब्ध हैं और निवारण के उपाय क्या हैं। जो भी हो मंगल दोष को अनदेखा नहीं किया जा सकता। यह वैवाहिक जीवन में समस्याएं पैदा कर सकता है

    ReplyDelete
  168. दुर्गा के कल्याणकारी सिद्ध मन्त्र

    माँ दुर्गा के लोक कल्याणकारी सिद्ध मन्त्र

    १॰ बाधामुक्त होकर धन-पुत्रादि की प्राप्ति के लिये
    “सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वित:।
    मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:॥” (अ॰१२,श्लो॰१३)

    अर्थ :- मनुष्य मेरे प्रसाद से सब बाधाओं से मुक्त तथा धन, धान्य एवं पुत्र से सम्पन्न होगा- इसमें तनिक भी संदेह नहीं है।

    २॰ बन्दी को जेल से छुड़ाने हेतु
    “राज्ञा क्रुद्धेन चाज्ञप्तो वध्यो बन्धगतोऽपि वा।
    आघूर्णितो वा वातेन स्थितः पोते महार्णवे।।” (अ॰१२, श्लो॰२७)

    ३॰ सब प्रकार के कल्याण के लिये
    “सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
    शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥” (अ॰११, श्लो॰१०)

    अर्थ :- नारायणी! तुम सब प्रकार का मङ्गल प्रदान करनेवाली मङ्गलमयी हो। कल्याणदायिनी शिवा हो। सब पुरुषार्थो को सिद्ध करनेवाली, शरणागतवत्सला, तीन नेत्रोंवाली एवं गौरी हो। तुम्हें नमस्कार है।

    ४॰ दारिद्र्य-दु:खादिनाश के लिये
    “दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:
    स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
    दारिद्र्यदु:खभयहारिणि का त्वदन्या
    सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽ‌र्द्रचित्ता॥” (अ॰४,श्लो॰१७)

    अर्थ :- माँ दुर्गे! आप स्मरण करने पर सब प्राणियों का भय हर लेती हैं और स्वस्थ पुरषों द्वारा चिन्तन करने पर उन्हें परम कल्याणमयी बुद्धि प्रदान करती हैं। दु:ख, दरिद्रता और भय हरनेवाली देवि! आपके सिवा दूसरी कौन है, जिसका चित्त सबका उपकार करने के लिये सदा ही दया‌र्द्र रहता हो।

    ४॰ वित्त, समृद्धि, वैभव एवं दर्शन हेतु
    “यदि चापि वरो देयस्त्वयास्माकं महेश्वरि।।
    संस्मृता संस्मृता त्वं नो हिंसेथाः परमापदः।
    यश्च मर्त्यः स्तवैरेभिस्त्वां स्तोष्यत्यमलानने।।
    तस्य वित्तर्द्धिविभवैर्धनदारादिसम्पदाम्।
    वृद्धयेऽस्मत्प्रसन्ना त्वं भवेथाः सर्वदाम्बिके।। (अ॰४, श्लो॰३५,३६,३७)

    ५॰ समस्त विद्याओं की और समस्त स्त्रियों में मातृभाव की प्राप्ति के लिये
    “विद्या: समस्तास्तव देवि भेदा: स्त्रिय: समस्ता: सकला जगत्सु।
    त्वयैकया पूरितमम्बयैतत् का ते स्तुति: स्तव्यपरा परोक्ति :॥” (अ॰११, श्लो॰६)

    अर्थ :- देवि! सम्पूर्ण विद्याएँ तुम्हारे ही भिन्न-भिन्न स्वरूप हैं। जगत् में जितनी स्त्रियाँ हैं, वे सब तुम्हारी ही मूर्तियाँ हैं। जगदम्ब! एकमात्र तुमने ही इस विश्व को व्याप्त कर रखा है। तुम्हारी स्तुति क्या हो सकती है? तुम तो स्तवन करने योग्य पदार्थो से परे एवं परा वाणी हो।

    ६॰ शास्त्रार्थ विजय हेतु
    “विद्यासु शास्त्रेषु विवेकदीपेष्वाद्येषु च का त्वदन्या।
    ममत्वगर्तेऽति महान्धकारे, विभ्रामयत्येतदतीव विश्वम्।।” (अ॰११, श्लो॰ ३१)

    ७॰ संतान प्राप्ति हेतु
    “नन्दगोपगृहे जाता यशोदागर्भ सम्भवा।
    ततस्तौ नाशयिष्यामि विन्ध्याचलनिवासिनी” (अ॰११, श्लो॰४२)

    ८॰ अचानक आये हुए संकट को दूर करने हेतु
    “ॐ इत्थं यदा यदा बाधा दानवोत्था भविष्यति।
    तदा तदावतीर्याहं करिष्याम्यरिसंक्षयम्ॐ।।” (अ॰११, श्लो॰५५)

    ९॰ रक्षा पाने के लिये
    शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।
    घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि:स्वनेन च॥

    अर्थ :- देवि! आप शूल से हमारी रक्षा करें। अम्बिके! आप खड्ग से भी हमारी रक्षा करें तथा घण्टा की ध्वनि और धनुष की टंकार से भी हमलोगों की रक्षा करें।

    १०॰ शक्ति प्राप्ति के लिये
    सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्ति भूते सनातनि।
    गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोऽस्तु ते॥

    अर्थ :- तुम सृष्टि, पालन और संहार की शक्ति भूता, सनातनी देवी, गुणों का आधार तथा सर्वगुणमयी हो। नारायणि! तुम्हें नमस्कार है।

    ११॰ प्रसन्नता की प्राप्ति के लिये
    प्रणतानां प्रसीद त्वं देवि विश्वार्तिहारिणि।
    त्रैलोक्यवासिनामीडये लोकानां वरदा भव॥

    अर्थ :- विश्व की पीडा दूर करनेवाली देवि! हम तुम्हारे चरणों पर पडे हुए हैं, हमपर प्रसन्न होओ। त्रिलोकनिवासियों की पूजनीया परमेश्वरि! सब लोगों को वरदान दो।

    ReplyDelete
  169. Are you worried about health, business, career, marriage, love, property, litigation, relationship, Experience & qualified Pandit Ji available, you can know your future on phone.Direct answer on phone log on to 9023324307 http://www.jyotishseva.com

    ReplyDelete
  170. रिश्तों का आधार प्रेम होता है। जो रिश्ते धन, बल, सम्पत्ति और स्वार्थ पर टिके होते हैं, वे ज्यादा दिन निभाए नहीं जा सकते।

    ReplyDelete
  171. पितृ दोष के कारण कई व्यक्तियों को संतान प्राप्ति में बाधा तथा रुकावटों का सामना करना पड़ता है.
    इन बाधाओं के निवारण के लिए कुछ उपाय हैं जो निम्नलिखित हैं :-
    1. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य-राहु, सूर्य-शनि आदि योग के कारण पितृ दोष बन रहा है तब उसके लिए नारायण बलि, नाग बलि, गया में श्राद्ध, आश्विन कृष्ण पक्ष में पितरों का श्राद्ध, पितृ तर्पण, ब्राह्मण भोजन तथा दानादि करने से शांति प्राप्त होती है.
    2. मातृ दोष |
    यदि कुंडली में चंद्रमा पंचम भाव का स्वामी होकर शनि, राहु, मंगल आदि क्रूर ग्रहों से युक्त या आक्रान्त हो और गुरु अकेला पंचम या नवम भाव में है तब मातृ दोष के कारण संतान सुख में कमी का अनुभव हो सकता है. मातृ दोष के शांति उपाय | यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मातृ दोष बन रहा है तब इसकी शांति के लिए गोदान करना चाहिए या चांदी के बर्तन में गाय का दूध भरकर दान देना शुभ होगा. इन शांति उपायों के अतिरिक्त एक लाख गायत्री मंत्र का जाप करवाकर हवन कराना चाहिए तथा दशमांश तर्पण करना चाहिए और ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए, वस्त्रादि का दान अपनी सामर्थ्य अनुसार् करना चाहिए. इससे मातृ दोष की शांति होती है. मातृ दोष की शांति के लिए पीपल के वृक्ष की 28 हजार परिक्रमा करने से भी लाभ मिलता है.
    3. भ्रातृ दोष |
    तृतीय भावेश मंगल यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु के साथ पंचम भाव में हो तथा पंचमेश व लग्नेश दोनों ही अष्टम भाव में है तब भ्रातृ शाप के कारण संतान प्राप्ति बाधा तथा कष्ट का सामना करना पड़ता है. भ्रातृ दोष के शांति उपाय | भ्रातृ दोष की शांति के लिए श्रीसत्यनारायण का व्रत रखना चाहिए और सत्यनारायण भगवान की कथा कहनी या सुननी चाहिए तथा विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करके सभी को प्रसाद बांटना चाहिए.
    4. सर्प दोष |
    यदि पंचम भाव में राहु है और उस पर मंगल की दृष्टि हो या मंगल की राशि में राहु हो तब सर्प दोष की बाधा के कारण संतान प्राप्ति में व्यवधान आता है या संतान हानि होती है. सर्प दोष के शांति उपाय | सर्प दोष की शांति के लिए नारायण नागबली विधिपूर्वक करवानी चाहिए. इसके बाद ब्राह्मणों को अपनी सामर्थ्यानुसार भोजन कराना चाहिए, उन्हें वस्त्र, गाय दान, भूमि दान, तिल, चांदी या सोने का दान भी करना चाहिए. लेकिन एक बात ध्यान रखें कि जो भी करें वह अपनी यथाशक्ति अनुसार करें.
    5. ब्राह्मण श्राप या दोष |
    किसी व्यक्ति की कुंडली में यदि धनु या मीन में राहु स्थित है और पंचम भाव में गुरु, मंगल व शनि हैं और नवम भाव का स्वामी अष्टम भाव में है तब यह ब्राह्मण श्राप की कुंडली मानी जाती है और इस ब्राह्मण दोष के कारण ही संतान प्राप्ति में बाधा, सुख में कमी या संतान हानि होती है. ब्राह्मण श्राप के शांति उपाय | ब्राह्मण श्राप की शांति के लिए किसी मंदिर में या किसी सुपात्र ब्राह्मण को लक्ष्मी नारायण की मूर्तियों का दान करना चाहिए. व्यक्ति अपनी शक्ति अनुसार किसी कन्या का कन्यादान भी कर सकता है. बछड़े सहित गाय भी दान की जा सकती है. शैय्या दान की जा सकती है. सभी दान व्यक्ति को दक्षिणा सहित करने चाहिए. इससे शुभ फलों में वृद्धि होती है और ब्राह्मण श्राप या दोष से मुक्ति मिलती है.
    6. मातुल श्राप |
    यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में पांचवें भाव में मंगल, बुध, गुरु तथा राहु हो तब मामा के श्राप से संतान प्राप्ति में बाधा आती है. मातुल श्राप के शांति उपाय | मातुल श्राप से बचने के लिए किसी मंदिर में श्री विष्णु जी की प्रतिमा की स्थापना करानी चाहिए. लोगों की भलाई के लिए पुल, तालाब, नल या प्याउ आदि लगवाने से लाभ मिलता है और मातुल श्राप का प्रभाव कुछ कम होता है.
    7. प्रेत श्राप |
    किसी व्यक्ति की कुंडली में यदि पंचम भाव में शनि तथा सूर्य हों और सप्तम भाव में कमजोर चंद्रमा स्थित हो तथा लग्न में राहु, बारहवें भाव में गुरु हो तब प्रेत श्राप के कारण वंश बढ़ने में समस्या आती है. यदि कोई व्यक्ति अपने दिवंगत पितरों और अपने माता-पिता का श्राद्ध कर्म ठीक से नहीं करता हो या अपने जीवित बुजुर्गों का सम्मान नहीं कर रह हो तब इसी प्रेत बाधा के कारण वंश वृद्धि में बाधाएँ आ सकती हैं. प्रेत श्राप के शांति उपाय |
    प्रेत शांति के लिए भगवान शिवजी का पूजन करवाने के बाद विधि-विधान से रुद्राभिषेक कराना चाहिए. ब्राह्मणों को अन्न, वस्त्र, फल, गोदान आदि उचित दक्षिणा सहित अपनी यथाशक्ति अनुसार देनी चाहिए. इससे प्रेत बाधा से राहत मिलती है. गयाजी, हरिद्वार, प्रयाग आदि तीर्थ स्थानों पर स्नान तथा दानादि करने से लाभ और शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
    ______________________________

    ReplyDelete
  172. पितृ दोष के कारण कई व्यक्तियों को संतान प्राप्ति में बाधा तथा रुकावटों का सामना करना पड़ता है.
    इन बाधाओं के निवारण के लिए कुछ उपाय हैं जो निम्नलिखित हैं :-
    1. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य-राहु, सूर्य-शनि आदि योग के कारण पितृ दोष बन रहा है तब उसके लिए नारायण बलि, नाग बलि, गया में श्राद्ध, आश्विन कृष्ण पक्ष में पितरों का श्राद्ध, पितृ तर्पण, ब्राह्मण भोजन तथा दानादि करने से शांति प्राप्त होती है.
    2. मातृ दोष |
    यदि कुंडली में चंद्रमा पंचम भाव का स्वामी होकर शनि, राहु, मंगल आदि क्रूर ग्रहों से युक्त या आक्रान्त हो और गुरु अकेला पंचम या नवम भाव में है तब मातृ दोष के कारण संतान सुख में कमी का अनुभव हो सकता है. मातृ दोष के शांति उपाय | यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मातृ दोष बन रहा है तब इसकी शांति के लिए गोदान करना चाहिए या चांदी के बर्तन में गाय का दूध भरकर दान देना शुभ होगा. इन शांति उपायों के अतिरिक्त एक लाख गायत्री मंत्र का जाप करवाकर हवन कराना चाहिए तथा दशमांश तर्पण करना चाहिए और ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए, वस्त्रादि का दान अपनी सामर्थ्य अनुसार् करना चाहिए. इससे मातृ दोष की शांति होती है. मातृ दोष की शांति के लिए पीपल के वृक्ष की 28 हजार परिक्रमा करने से भी लाभ मिलता है.
    3. भ्रातृ दोष |
    तृतीय भावेश मंगल यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु के साथ पंचम भाव में हो तथा पंचमेश व लग्नेश दोनों ही अष्टम भाव में है तब भ्रातृ शाप के कारण संतान प्राप्ति बाधा तथा कष्ट का सामना करना पड़ता है. भ्रातृ दोष के शांति उपाय | भ्रातृ दोष की शांति के लिए श्रीसत्यनारायण का व्रत रखना चाहिए और सत्यनारायण भगवान की कथा कहनी या सुननी चाहिए तथा विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करके सभी को प्रसाद बांटना चाहिए.
    4. सर्प दोष |
    यदि पंचम भाव में राहु है और उस पर मंगल की दृष्टि हो या मंगल की राशि में राहु हो तब सर्प दोष की बाधा के कारण संतान प्राप्ति में व्यवधान आता है या संतान हानि होती है. सर्प दोष के शांति उपाय | सर्प दोष की शांति के लिए नारायण नागबली विधिपूर्वक करवानी चाहिए. इसके बाद ब्राह्मणों को अपनी सामर्थ्यानुसार भोजन कराना चाहिए, उन्हें वस्त्र, गाय दान, भूमि दान, तिल, चांदी या सोने का दान भी करना चाहिए. लेकिन एक बात ध्यान रखें कि जो भी करें वह अपनी यथाशक्ति अनुसार करें.
    5. ब्राह्मण श्राप या दोष |
    किसी व्यक्ति की कुंडली में यदि धनु या मीन में राहु स्थित है और पंचम भाव में गुरु, मंगल व शनि हैं और नवम भाव का स्वामी अष्टम भाव में है तब यह ब्राह्मण श्राप की कुंडली मानी जाती है और इस ब्राह्मण दोष के कारण ही संतान प्राप्ति में बाधा, सुख में कमी या संतान हानि होती है. ब्राह्मण श्राप के शांति उपाय | ब्राह्मण श्राप की शांति के लिए किसी मंदिर में या किसी सुपात्र ब्राह्मण को लक्ष्मी नारायण की मूर्तियों का दान करना चाहिए. व्यक्ति अपनी शक्ति अनुसार किसी कन्या का कन्यादान भी कर सकता है. बछड़े सहित गाय भी दान की जा सकती है. शैय्या दान की जा सकती है. सभी दान व्यक्ति को दक्षिणा सहित करने चाहिए. इससे शुभ फलों में वृद्धि होती है और ब्राह्मण श्राप या दोष से मुक्ति मिलती है.
    6. मातुल श्राप |
    यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में पांचवें भाव में मंगल, बुध, गुरु तथा राहु हो तब मामा के श्राप से संतान प्राप्ति में बाधा आती है. मातुल श्राप के शांति उपाय | मातुल श्राप से बचने के लिए किसी मंदिर में श्री विष्णु जी की प्रतिमा की स्थापना करानी चाहिए. लोगों की भलाई के लिए पुल, तालाब, नल या प्याउ आदि लगवाने से लाभ मिलता है और मातुल श्राप का प्रभाव कुछ कम होता है.
    7. प्रेत श्राप |
    किसी व्यक्ति की कुंडली में यदि पंचम भाव में शनि तथा सूर्य हों और सप्तम भाव में कमजोर चंद्रमा स्थित हो तथा लग्न में राहु, बारहवें भाव में गुरु हो तब प्रेत श्राप के कारण वंश बढ़ने में समस्या आती है. यदि कोई व्यक्ति अपने दिवंगत पितरों और अपने माता-पिता का श्राद्ध कर्म ठीक से नहीं करता हो या अपने जीवित बुजुर्गों का सम्मान नहीं कर रह हो तब इसी प्रेत बाधा के कारण वंश वृद्धि में बाधाएँ आ सकती हैं. प्रेत श्राप के शांति उपाय |
    प्रेत शांति के लिए भगवान शिवजी का पूजन करवाने के बाद विधि-विधान से रुद्राभिषेक कराना चाहिए. ब्राह्मणों को अन्न, वस्त्र, फल, गोदान आदि उचित दक्षिणा सहित अपनी यथाशक्ति अनुसार देनी चाहिए. इससे प्रेत बाधा से राहत मिलती है. गयाजी, हरिद्वार, प्रयाग आदि तीर्थ स्थानों पर स्नान तथा दानादि करने से लाभ और शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
    ______________________________

    ReplyDelete
  173. कुछ उपयोगी टोटके :- छोटे-छोटे उपाय हर घर में लोग जानते हैं, पर उनकी विधिवत् जानकारी के अभाव में वे उनके लाभ से वंचित रह जाते हैं। इस लोकप्रिय स्तंभ में उपयोगी टोटकों की विधिवत् जानकारी दी जा रही हैकृ हमारे आसपास पाए जाने वाले विभिन्न पेड़-पौधों के पत्तों, फलों आदि का टोटकों के रूप में उपयोग भी हमारी सुख-समृद्धि की वृद्धि में सहायक हो सकता है। यहां कुछ ऐसे ही सहज और सरल उपायों का उल्लेख प्रस्तुत है, जिन्हें अपना कर पाठकगण लाभ उठा सकते हैं।
    विल्व पत्र : अश्विनी नक्षत्र वाले दिन एक रंग वाली गाय के दूध में बेल के पत्ते डालकर वह दूघ निःसंतान स्त्री को पिलाने से उसे संतान की प्राप्ति होती है।
    अपामार्ग की जड़ : अश्विनी नक्षत्र में अपामार्ग की जड़ लाकर इसे तावीज में रखकर किसी सभा में जाएं, सभा के लोग वशीभूत होंगे।
    नागर बेल का पत्ता : यदि घर में किसी वस्तु की चोरी हो गई हो, तो भरणी नक्षत्र में नाग
    र बेल का पत्ता लाकर उस पर कत्था लगाकर व सुपारी डालकर चोरी वाले स्थान पर रखें, चोरी की गई वस्तु का पला चला जाएगा।
    संखाहुली की जड़ : भरणी नक्षत्र में संखाहुली की जड़ लाकर तावीज में पहनें तो विपरीत लिंग वाले प्राणी आपसे प्रभावित होंगे।
    आक की जड़ : कोर्ट कचहरी के मामलों में विजय हेतु आर्द्रा नक्षत्र में आक की जड़ लाकर तावीज की तरह गले में बांधें।
    दूधी की जड़ : सुख की प्राप्ति के लिए पुनर्वसु नक्षत्र में दूधी की जड़ लाकर शरीर में लगाएं।
    शंख पुष्पी : पुष्य नक्षत्र में शंखपुष्पी लाकर चांदी की डिविया में रखकर तिजोरी में रखें, धन की वृद्धि होगी।
    बरगद का पत्ता : अश्लेषा नक्षत्र में बरगद का पत्ता लाकर अन्न भंडार में रखें, भंडार भरा रहेगा।
    धतूरे की जड़ : अश्लेषा नक्षत्र में धतूरे की जड़ लाकर घर में रखें, घर में सर्प नहीं आएगा और आएगा भी तो कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा।
    बेहड़े का पत्ता : पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में बेहड़े का पत्ता लाकर घर में रखें, घर ऊपरी हवाओं के प्रभाव से मुक्त रहेगा।
    नीबू की जड़ : उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में नीबू की जड़ लाकर उसे गाय के दूध में मिलाकर निःसंतान स्त्री को पिलाएं, उसे पुत्र की प्राप्ति होगी।
    चंपा की जड़ : हस्त नक्षत्र में चंपा की जड़ लाकर बच्चे के गले में बांधें, बच्चे की प्रेत बाधा तथा नजर दोष से रक्षा होगी।
    चमेली की जड़ : अनुराधा नक्षत्र में चमेली की जड़ गले में बांधें, शत्रु भी मित्र हो जाएंगे।
    काले एरंड की जड़ : श्रवण नक्षत्र में एरंड की जड़ लाकर निःसंतान स्त्री के गले में बांधें, उसे संतान की प्राप्ति होगी।
    तुलसी की जड़ : पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में तुलसी की जड़ लाकर मस्तिष्क पर रखें, अग्निभय से मुक्ति मिलेगी।

    ReplyDelete
  174. जिन व्यक्तियों को निरन्तर कर्ज घेरे रहते हैं, उन्हें प्रतिदिन "ऋणमोचक मंगल स्तोत्र´´ का पाठ करना चाहिये। यह पाठ शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार से शुरू करना चाहिये। यदि प्रतिदिन किसी कारण न कर सकें, तो प्रत्येक मंगलवार को अवश्य करना चाहिये।

    ReplyDelete
  175. 1- धनवान बनने के लिए जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण को सफेद मिठाई या खीर का भोग लगाएं। इसमें तुलसी के पत्ते अवश्य डालें। इससे भगवान श्रीकृष्ण जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं।

    ReplyDelete
  176. 3- किसी कृष्ण मंदिर में जाकर तुलसी की माला से नीचे लिखे मंत्र की 11 माला जप करें। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण को पीला वस्त्र व तुलसी के पत्ते अर्पित करें।

    ReplyDelete
  177. जो भी भक्त ऐसा नियमित रूप से करता है वह सभी प्रकार के कष्टों और दुखों से मुक्त हो जाता है। हनुमानजी की कृपा प्राप्ति के बाद व्यक्ति को भूत-प्रेत आदि का भी कोई भय नहीं रहता है। जीवन में कभी भी किसी भी बुरी नजर का प्रभाव आप पर नहीं पड़ेगा। घर-परिवार में भी सभी परेशानियों से निजात मिलेगी।

    ReplyDelete
  178. जन्माष्टमी की करीब12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का केसर मिश्रित दूध से अभिषेक करें तो जीवन में कभी धन की कमी नहीं आती, तिजोरी हमेशा पैसों से भरी रहती है।

    ReplyDelete
  179. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते समय कुछ रुपए इनके पास रख दें। पूजन के बाद ये रूपए अपने पर्स में रख लें। इससे आपकी जेब कभी खाली नहीं होगी।

    ReplyDelete
  180. जन्माष्टमी को शाम के समय तुलसी को गाय के घी का दीपक लगाएं और ऊँ वासुदेवाय नम: मंत्र बोलते हुुए तुलसी की 11 परिक्रमा करें।

    ReplyDelete
  181. जन्माष्टमी को शाम के समय तुलसी को गाय के घी का दीपक लगाएं और ऊँ वासुदेवाय नम: मंत्र बोलते हुुए तुलसी की 11 परिक्रमा करें।

    ReplyDelete
  182. भादौ महीने के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि की जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण के जन्म उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस बार ये त्योहार 28 अगस्त, बुधवार को है। अगर इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए विशेष उपाय किए जाएं तो हर मनोकामना पूरी हो सकती है।
    धर्म ग्रंथों के अनुसार श्रीकृष्ण की पत्नी रुक्मणी देवी लक्ष्मी का अवतार थीं। तो अगर इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न कर लिया जाए तो मां लक्ष्मी अपने आप ही भक्त पर कृपा बरसा देती है।

    ReplyDelete
  183. जानिए यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के नवम या दशम भाव में राहु स्थित हो तो व्यक्ति के जीवन पर क्या-क्या प्रभाव पड़ते हैं...
    मीन लग्न की कुंडली के नवम भाव में राहु हो तो...
    कुंडली का नवम भाव भाग्य एवं धर्म का कारक स्थान होता है। मीन लग्न की कुंडली का नवम भाव वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल है। मंगल की इस राशि में राहु होने पर व्यक्ति को भाग्य का पूर्ण सहयोग नहीं मिल पाता है। धर्म संबंधी कार्यों में इन्हें खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस ग्रह स्थिति के कारण व्यक्ति को गुप्त योजनाओं के बल पर सफलता मिलती है।
    मीन लग्न की कुंडली के दशम भाव में राहु हो तो...
    मीन लग्न की कुंडली का दशम भाव में राहु होने पर व्यक्ति को पिता की ओर से पूर्ण सुख प्राप्त नहीं हो पाता है। कुंडली का दसवां भाव पिता एवं शासकीय कार्यों का कारक स्थान होता है। मीन लग्न की कुंडली में इस स्थान धनु राशि का स्वामी गुरु है। यहां राहु होने पर व्यक्ति को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ये लोग साहसी होते हैं और मेहनत के बल पर कार्यों में सफलता प्राप्त कर लेते हैं।

    ReplyDelete
  184. जानिए यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के नवम या दशम भाव में राहु स्थित हो तो व्यक्ति के जीवन पर क्या-क्या प्रभाव पड़ते हैं...
    मीन लग्न की कुंडली के नवम भाव में राहु हो तो...
    कुंडली का नवम भाव भाग्य एवं धर्म का कारक स्थान होता है। मीन लग्न की कुंडली का नवम भाव वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल है। मंगल की इस राशि में राहु होने पर व्यक्ति को भाग्य का पूर्ण सहयोग नहीं मिल पाता है। धर्म संबंधी कार्यों में इन्हें खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस ग्रह स्थिति के कारण व्यक्ति को गुप्त योजनाओं के बल पर सफलता मिलती है।
    मीन लग्न की कुंडली के दशम भाव में राहु हो तो...
    मीन लग्न की कुंडली का दशम भाव में राहु होने पर व्यक्ति को पिता की ओर से पूर्ण सुख प्राप्त नहीं हो पाता है। कुंडली का दसवां भाव पिता एवं शासकीय कार्यों का कारक स्थान होता है। मीन लग्न की कुंडली में इस स्थान धनु राशि का स्वामी गुरु है। यहां राहु होने पर व्यक्ति को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ये लोग साहसी होते हैं और मेहनत के बल पर कार्यों में सफलता प्राप्त कर लेते हैं।

    ReplyDelete
  185. यदि मंगल और शनि लग्न में हो तो वह व्यक्ति युद्ध में विजेता, माता का द्वेषी, अल्पायु और भाग्यहीन होता है।
    - यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल और शनि चतुर्थ भाव में हो तो वह अन्न-पान सुख से हीन, भाइयों और मित्रों से रहित होता है।
    - यदि मंगल और शनि सप्तम भाव में हो तो व्यक्ति गरीब, रोगी, बुरी आदतों वाला, अपमानित होता है। यदि किसी स्त्री की कुंडली में ऐसा हो तो वह स्त्री पुत्र विहीन हो सकती है।
    - यदि शनि और मंगल दशम भाव में हैं व्यक्ति राज्यमंत्री बनता है। ऐसा व्यक्ति अपराधी प्रवृत्ति का और सजा प्राप्त करने वाला होता है। ऐसे लोग झूठ भी बहुत बोलते हैं।

    ReplyDelete
  186. इन बुरे प्रभावों से बचने के उपाय
    प्रति मंगलवार और शनिवार हनुमान को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं।
    मंगल और शनि की विशेष पूजा कराएं।
    मंगल और शनि का दान करें।
    मंगलवार को मंगल देव की भात पूजा कराएं।
    प्रतिदिन पीपल को जल चढ़ाएं और 7 परिक्रमा करें।
    प्रतिदिन शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और विधि-विधान से पूजन करें।
    प्रतिदिन हनुमान चालिसा का पाठ करें।
    कम से कम महिने में एक सुंदरकांड का पाठ करें।

    ReplyDelete
  187. जानिए यदि किसी व्यक्ति की कुंडली मीन लग्न की हो और उसके प्रथम या द्वितीय भाव में केतु स्थित हो तो व्यक्ति के जीवन पर क्या-क्या प्रभाव पड़ते हैं...
    मीन लग्न की कुंडली के प्रथम भाव में केतु हो तो...
    जिन लोगों की कुंडली मीन लग्न की है और उसके प्रथम भाव में केतु स्थित है तो उन्हें कई प्रकार के संकटों का सामना करना पड़ता है। कुंडली का पहला भाव शरीर का कारक स्थान होता है और मीन लग्न की कुंडली में इस स्थान मीन राशि का स्वामी गुरु है। यहां केतु होने पर व्यक्ति को जीवन में कई बार मृत्यु के जैसी परेशानियां आती हैं। ये लोग अधिक मेहनत करते हैं लेकिन फिर भी संतोषजनक प्रतिफल प्राप्त नहीं हो पाता है।
    मीन लग्न की कुंडली के द्वितीय भाव में केतु हो तो...
    कुंडली का दूसरा भाव धन एवं घर-परिवार का कारक स्थान होता है। मीन लग्न की कुंडली में इस स्थान मेष राशि का स्वामी मंगल है। जिन लोगों की कुंडली मीन लग्न की है और इसके धन भाव में केतु स्थित है तो उन्हें घर-परिवार की ओर से पूर्ण सहयोग नहीं मिल पाता है। इसके साथ ही इन लोगों को जीवन में कड़ी मेहनत करना पड़ती है। सामान्यत: इनके जीवन में असंतोष अधिक रहता है।

    ReplyDelete
  188. हमारे आसपास के वातावरण में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार की शक्तियां सक्रिय रहती हैं। जो कि हम पर सीधा प्रभाव डालती हैं। वास्तु शास्त्र इन्हीं शक्तियों के सिद्धांत पर कार्य करता है। जिस घर में नकारात्मक ऊर्जा अधिक सक्रिय होती है वहां के सदस्यों में नेगेटिव विचार अधिक रहते हैं और उन्हें आर्थिक परेशानियों के साथ-साथ पारिवारिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है।

    ReplyDelete
  189. वास्तु शास्त्र में जीवन को सुखी और समृद्धिशाली बनाने के लिए कई अचूक फंडे बताए गए हैं। यदि किसी घर में वास्तुदोष हैं और उनका सही उपाय नहीं हो पा रहा है तो बाथरूम में एक कटोरी साबूत या खड़ा समुद्री नमक रखें। ऐसा करने पर घर की कई प्रकार नकारात्मक शक्तियां निष्क्रीय हो जाएगी और सकारात्मक ऊर्जा को बल प्राप्त होने लगेगा।

    ReplyDelete
  190. नमक में अद्भुत शक्तियां होती हैं जो कई प्रकार के नकारात्मक प्रभावों को नष्ट कर देती हैं। इसके अलावा इससे घर दरिद्रता का भी नाश होता है और महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। परिवार के सभी सदस्यों के विचार सकारात्मक होंगे जिससे उनका कार्य में मन लगा रहेगा। असफलताओं का दौर समाप्त हो जाएगा और सफलताएं मिलने लगेंगी।

    ReplyDelete
  191. नमक के इसी महत्व के कारण उसका गिर जाना (यानी व्यर्थ हो जाना) किसी भी तरह की हानि का संकेत मान लिया गया होगा। शायद इसीलिए नीदरलैंड में नमक उधार देना भी बुरा माना जाता है। इंग्लैंड में लोकविश्वास है कि गिरे नमक में से एक चुटकी लेकर बाएं कंधे की ओर से पीछे फेंक देने पर अपशकुन नहीं होता।

    ReplyDelete
  192. पूजा स्थल पूर्वी या उत्तरी ईशान कोण(उत्तर-पूर्व) में होना चाहिए चूंकि ईश्वरीय शक्ति ईशान कोण से प्रवेश कर नैऋत्य कोण(पश्चिम-दक्षिण) से बाहर निकलती है। इसका एक हिस्सा शरीर द्वारा ग्राह्य बायोशक्ति में बदलकर जीवनोपयोगी बनता है।

    ReplyDelete
  193. यदि मंगल दोष के कारण विवाह में विलंब हो रहा हो तो उसके कमरे के दरवाजे का रंग लाल अथवा गुलाबी रखना चाहिए।

    ReplyDelete
  194. सुन्दर काण्ड का अद्भुत अनुष्ठान

    इस अनुष्ठान से सभी प्रकार की मनोकामनाएँ निश्चय ही पूर्ण होती है । अनेक व्यक्तियों द्वारा यह अनुभूत है ।

    सर्वप्रथम अपने पूजा स्थान में श्रीहनुमान जी का एक सुन्दर चित्र विधि-वत् प्रतिष्ठित कर लें । उस चित्र के सम्मुख दीपक एवं धूपबत्ती जलाकर रखें । चित्र का यथा-शक्ति भक्ति-भाव के साथ पूजन करें ।
    पूजन कर चुकने पर ‘श्रीराम-चरित-मानस‘ के ‘किष्किन्धा-काण्ड‘ की निम्न-लिखित पंक्तियों का पाठ हाथ जोड़ कर 11 बार करें -
    “कहइ रीछ-पति-’सुनु हनुमाना ! का चुप साधि रहेहु बलवाना ?
    पवन-तनय बल पवन समाना , बुधि विवेक विग्यान निधाना ।।
    कौन-सी काजु कठिन जग माँहीं, जो नहीं होत तात तुम पाहीं ।”

    11 पाठ कर चुकने पर ‘सुन्दर-काण्ड‘ का आद्योपान्त पाठ करें । तदनन्तर पुनः उक्त पंक्तियों का पाठ 11 बार करें । इस प्रकार यह ‘एक पाठ‘ हुआ ।
    उक्त पाठ को 45 बार करना है । इस अनुष्ठान को किसी भी मंगलवार के दिन श्रीहनुमान जी के दर्शन करने के बाद प्रारम्भ करना चाहिए । प्रतिदिन तीन पाठ करें, तो 15 दिनों में अनुष्ठान पूरा हो जाएगा । यदि तीन पाठ न कर सकें, तो प्रतिदिन एक ही पाठ कर 45 दिनों में अनुष्ठान पूर्ण कर सकते हैं ।
    अनुष्ठान काल में अपनी दिन-चर्या इस प्रकार बितानी चाहिए, जिससे श्रीहनुमान जी प्रसन्न हों अर्थात् ब्रह्मचर्य, सत्य-वादिता, भगवान् श्रीराम का गुणानुवाद, सत्संग आदि में तत्पर रहे ।

    ReplyDelete
  195. कार्य-सिद्धि कारक गोरक्षनाथ मंत्र

    मन्त्रः-
    “ॐ गों गोरक्षनाथ महासिद्धः, सर्व-व्याधि विनाशकः ।
    विस्फोटकं भयं प्राप्ते, रक्ष रक्ष महाबल ।। १।।
    यत्र त्वं तिष्ठते देव, लिखितोऽक्षर पंक्तिभिः ।
    रोगास्तत्र प्रणश्यन्ति, वातपित्त कफोद्भवाः ।। २।।
    तत्र राजभयं नास्ति, यान्ति कर्णे जपाः क्षयम् ।
    शाकिनी भूत वैताला, राक्षसा प्रभवन्ति न ।। ३।।
    नाऽकाले मरणं तस्य, न च सर्पेण दश्यते ।
    अग्नि चौर भयं नास्ति, ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं गों ।। ४।।
    ॐ घण्टाकर्णो नमोऽस्तु ते ॐ ठः ठः ठः स्वाहा ।।”


    विधिः- यह मंत्र तैंतीस हजार या छत्तीस हजार जाप कर सिद्ध करें । इस मंत्र के प्रयोग के लिए इच्छुक उपासकों को पहले गुरु-पुष्य, रवि-पुष्य, अमृत-सिद्धि-योग, सर्वार्त-सिद्धि-योग या दिपावली की रात्रि से आरम्भ कर तैंतीस या छत्तीस हजार का अनुष्ठान करें । बाद में कार्य साधना के लिये प्रयोग में लाने से ही पूर्णफल की प्राप्ति होना सुलभ होता है ।
    विभिन्न प्रयोगः- इस को सिद्ध करने पर केवल इक्कीस बार जपने से राज्य भय, अग्नि भय, सर्प, चोर आदि का भय दूर हो जाता है । भूत-प्रेत बाधा शान्त होती है । मोर-पंख से झाड़ा देने पर वात, पित्त, कफ-सम्बन्धी व्याधियों का उपचार होता है ।
    १॰ मकान, गोदाम, दुकान घर में भूत आदि का उपद्रव हो तो दस हजार जप तथा दस हजार गुग्गुल की गोलियों से हवन किया जाये, तो भूत-प्रेत का भय मिट जाता है । राक्षस उपद्रव हो, तो ग्यारह हजार जप व गुग्गुल से हवन करें ।
    २॰ अष्टगन्ध से मंत्र को लिखकर गेरुआ रंग के नौ तंतुओं का डोरा बनाकर नवमी के दिन नौ गांठ लगाकर इक्कीस बार मंत्रित कर हाथ के बाँधने से चौरासी प्रकार के वायु उपद्रव नष्ट हो जाते हैं ।
    ३॰ इस मंत्र का प्रतिदिन १०८ बार जप करने से चोर, बैरी व सारे उपद्रव नाश हो जाते हैं तथा अकाल मृत्यु नहीं होती तथा उपासक पूर्णायु को प्राप्त होता है ।
    ४॰ आग लगने पर इक्कीस बार पानी को अभिमंत्रित कर छींटने से आग शान्त होती है ।
    ५॰ मोर-पंख से इस मंत्र द्वारा झाड़े तो शारीरिक नाड़ी रोग व श्वेत कोढ़ दूर हो जाता है ।
    ६॰ कुंवारी कन्या के हाथ से कता सूत के सात तंतु लेकर इक्कीस बार अभिमंत्रित करके धूप देकर गले या हाथ में बाँधने पर ज्वर, एकान्तरा, तिजारी आदि चले जाते हैं ।
    ७॰ सात बार जल अभिमंत्रित कर पिलाने से पेट की पीड़ा शान्त होती है ।
    ८॰ पशुओं के रोग हो जाने पर मंत्र को कान में पढ़ने पर या अभिमंत्रित जल पिलाने से रोग दूर हो जाता है । यदि घंटी अभिमंत्रित कर पशु के गले में बाँध दी जाए, तो प्राणि उस घंटी की नाद सुनता है तथा निरोग रहता है ।
    ९॰ गर्भ पीड़ा के समय जल अभिमंत्रित कर गर्भवती को पिलावे, तो पीड़ा दूर होकर बच्चा आराम से होता है, मंत्र से १०८ बार मंत्रित करे ।
    १०॰ सर्प का उपद्रव मकान आदि में हो, तो पानी को १०८ बार मंत्रित कर मकानादि में छिड़कने से भय दूर होता है । सर्प काटने पर जल को ३१ बार मंत्रित कर पिलावे तो विष दूर हो ।

    ReplyDelete
  196. नामावली श्रीबटुक-भैरव ।।
    भैरव, भूतात्मा, भूतनाथ को है मेरा शत-शत प्रणाम ।
    क्षेत्रज्ञ, क्षेत्रदः, क्षेत्रपाल, क्षत्रियः भूत-भावन जो हैं,
    जो हैं विराट्, जो मांसाशी, रक्तपः, श्मशान-वासी जो हैं,
    स्मरान्तक, पानप, सिद्ध, सिद्धिदः वही खर्पराशी जो हैं,
    वह सिद्धि-सेवितः, काल-शमन, कंकाल, काल-काष्ठा-तनु हैं ।
    उन कवि-स्वरुपः, पिंगल-लोचन, बहु-नेत्रः भैरव को प्रणाम ।

    वह देव त्रि-नेत्रः, शूल-पाणि, कंकाली, खड्ग-पाणि जो हैं,
    भूतपः, योगिनी-पति, अभीरु, भैरवी-नाथ भैरव जो हैं,
    धनवान, धूम्र-लोचन जो हैं, धनदा, अधन-हारी जो हैं,
    जो कपाल-भृत हैं, व्योम-केश, प्रतिभानवान भैरव जो हैं,
    उन नाग-केश को, नाग-हार को, है मेरा शत-शत प्रणाम ।

    कालः कपाल-माली त्रि-शिखी कमनीय त्रि-लोचन कला-निधि
    वे ज्वलक्षेत्र, त्रैनेत्र-तनय, त्रैलोकप, डिम्भ, शान्त जो हैं,
    जो शान्त-जन-प्रिय, चटु-वेष, खट्वांग-धारकः वटुकः हैं,
    जो भूताध्यक्षः, परिचारक, पशु-पतिः, भिक्षुकः, धूर्तः हैं,
    उन शुर, दिगम्बर, हरिणः को है मेरा शत-शत-शत प्रणाम ।

    जो पाण्डु-लोचनः, शुद्ध, शान्तिदः, वे जो हैं भैरव प्रशान्त,
    शंकर-प्रिय-बान्धव, अष्ट-मूर्ति हैं, ज्ञान-चक्षु-धारक जो हैं,
    हैं वहि तपोमय, हैं निधीश, हैं षडाधार, अष्टाधारः,
    जो सर्प-युक्त हैं, शिखी-सखः, भू-पतिः, भूधरात्मज जो हैं,
    भूधराधीश उन भूधर को है मेरा शत-शत-शत प्रणाम ।

    नीलाञ्जन-प्रख्य देह-धारी, सर्वापत्तारण, मारण हैं,
    जो नाग-यज्ञोपवीत-धारी, स्तम्भी, मोहन, जृम्भण हैं,
    वह शुद्धक, मुण्ड-विभूषित हैं, जो हैं कंकाल धारण करते,
    मुण्डी, बलिभुक्, बलिभुङ्-नाथ, वे बालः हैं, वे क्षोभण हैं ।
    उन बाल-पराक्रम, दुर्गः को है मेरा शत-शत-शत प्रणाम ।

    जो कान्तः, कामी, कला-निधिः, जो दुष्ट-भूत-निषेवित हैं,
    जो कामिनि-वश-कृत, सर्व-सिद्धि-प्रद भैरव जगद्-रक्षाकर हैं,
    जो वशी, अनन्तः हैं भैरव, वे माया-मन्त्रौषधि-मय हैं,
    जो वैद्य, विष्णु, प्रभु सर्व-गुणी, मेरे आपद्-उद्धारक हैं ।
    उन सर्व-शक्ति-मय भैरव-चरणों में मेरा शत-शत प्रणाम ।
    ।। फल-श्रुति ।।
    इन अष्टोत्तर-शत नामों को-भैरव के जो पढ़ता है,
    शिव बोले – सुख पाता, दुख से दूर सदा वह रहता है ।
    उत्पातों, दुःस्वप्नों, चोरों का भय पास न आता है,
    शत्रु नष्ट होते, प्रेतों-रोगों से रक्षित रहता है ।
    रहता बन्धन-मुक्त, राज-भय उसको नहीं सताता है,
    कुपित ग्रहों से रक्षा होती, पाप नष्ट हो जाता है ।
    अधिकाधिक पुनुरुक्ति पाठ की, जो श्रद्धा-पूर्वक करते हैं,
    उनके हित कुछ नहीं असम्भव, वे निधि-सिद्धि प्राप्त करते हैं ।

    ReplyDelete
  197. गवान् नृसिंह को नमस्कार तप्तस्वर्णसवर्णघूर्णदतिरूक्षाक्षं सटाकेसर- प्रोत्कम्पप्रनिकुम्बिताम्बरमहो जीयात्तवेदं वपुः | व्यात्तव्याप्तमहादरीसखमुखं खड्गोग्रवल्गन्महा- जिह्वानिर्गमदृश्यमानसुमहादंष्ट्रायुगोड्डामरम् || उत्सर्पद्वलिभङ्गभीषणहनुं ह्वस्वस्थवीयस्तर- ग्रीवं पीवरदोश्शतोद्गतनखक्रूरांशुदूरोल्बणम् | व्योमोल्लङ्घिघनाघनोपमघनप्रध्वाननिर्द्धावित- स्पर्द्धालुप्रकरं नमामि भवतस्तन्नारसिंहं वपुः || अहो ! जिसके तपे हुए स्वर्ण के समान पीले तथा अत्यन्त रुखे नेत्र चंचल हो रहे थे और सटाके बाल ऊपर उठे हुए हिल रहे थे, जिनसे गगनतल आच्छादित हो [

    ReplyDelete
  198. भगवान् नृसिंह को नमस्कार

    तप्तस्वर्णसवर्णघूर्णदतिरूक्षाक्षं सटाकेसर-
    प्रोत्कम्पप्रनिकुम्बिताम्बरमहो जीयात्तवेदं वपुः |
    व्यात्तव्याप्तमहादरीसखमुखं खड्गोग्रवल्गन्महा-
    जिह्वानिर्गमदृश्यमानसुमहादंष्ट्रायुगोड्डामरम् ||
    उत्सर्पद्वलिभङ्गभीषणहनुं ह्वस्वस्थवीयस्तर-
    ग्रीवं पीवरदोश्शतोद्गतनखक्रूरांशुदूरोल्बणम् |
    व्योमोल्लङ्घिघनाघनोपमघनप्रध्वाननिर्द्धावित-
    स्पर्द्धालुप्रकरं नमामि भवतस्तन्नारसिंहं वपुः ||
    अहो ! जिसके तपे हुए स्वर्ण के समान पीले तथा अत्यन्त रुखे नेत्र चंचल हो रहे थे और सटाके बाल ऊपर उठे हुए हिल रहे थे, जिनसे गगनतल आच्छादित हो रहा था, जिसका मुख खुली हुई एक विस्तृत महती गुफा-सदृश था, जिसकी खड्ग के समान तीखी महान् जिह्वा मुख के बाहर लपलपा रही थी और जो दृश्यमान दो महान् दाढ़ों से अत्यन्त भीषण लग रहा था, आपके उस दिव्य विग्रह की जय हो ।
    अट्टहास करते तथा जँभाई लेते समय ऊपर उठनेवाली वलिभंगिमा से जिसके जबड़े बड़े भयंकर लग रहे थे, जिसकी गरदन नाटी तथा मोटी थी, जिसके सैंकड़ों मोटे-मोटे हाथ थे, जिसके नखों की क्रूर किरणों से वह अतिशय भयावना लग रहा था, जो आकाश को लाँघनेवाले सजल जलधर के गर्जन-सदृश अत्यन्त भयानक गर्जना से शत्रुसमूहों को खदेड़ देनेवाला था, आपके उस नृसिंह-शरीर को मैं नमस्कार करता हूँ ।

    ReplyDelete
  199. सोम-पुष्य के दिन मां लक्ष्मी की चांदी से निर्मित चरण पादुका की स्थापना अपने धन स्थान पर करें। इस बात का विशेष ध्यान रखें चरण पादुका की दिशा धन स्थान की ओर जाते हुए हो न कि बाहर आते हुए। इस तरह आपके धन स्थान पर सदैव मां लक्ष्मी का वास रहेगा।

    ReplyDelete
  200. आज के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कार्यों से निपट कर किसी लक्ष्मी मंदिर में जाएं और मां लक्ष्मी को कमल के फूल अर्पित करें और सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाएं। मां लक्ष्मी से धन संबंधी समस्याओं के निवारण के लिए प्रार्थना करें। कुछ ही समय में आपकी समस्या का समाधान हो जाएगा

    ReplyDelete